कत्थई आंखों के ख्वाब – Short Story In Hindi

फिर वही ख्वाब…..मिताली अपनी ही डरावनी आवाज़ से जागकर बिस्तर पर उठ कर बैठ गई…… …..एक कमरा  छोटा सा…. चारों तरफ से बिल्कुल बंद  जिसका केवल एक ही छोटा सा दरवाजा है…..काफी नीची छत है …..एक भी रोशनदान नहीं है… घुप अंधेरा….. उसमें एक लड़की  है उसका पूरा चेहरा अस्पष्ट सा है केवल उसकी  कत्थई … Read more

सपनें – Inspiring Story In Hindi 

“दादी माँ! अपनी पसंद बताओ ना, क्या खाओगी” मेरी बहू की बहू ने मेनू कार्ड मेरी तरफ कर पूछा तो आँखें छलक आईं जब अपने बाउजी के घर में थी तो चारदीवारी ही मेरी दुनिया थी। सिर्फ मेरी ही नहीं! मेरी माँ, भाभी,चाची और दादी की भी। स्कूल सिर्फ सातवीं तक गई वो भी बड़े … Read more

गुलाबी-स्कूटी – सीमा वर्मा

साथियों इतनी लम्बी जिन्दगी के न जाने कितनी खट्टी-मीठी यादें होगीं। उनमे से एक जो मैं सुनाने जा रही हूँ वो आज भी मेरे दिल के बहुत करीब है। ये कथा करीब २००२ में हमारे शहर की गली-मुहल्ले वाली संस्कृति से जुड़ी है। जहां आज भी विकास की हवा हौले-हौले ही बह रही है। सब … Read more

संस्कार’ – -पूनम वर्मा

“मम्मी ! आजकल आप रोज चिड़ियों के लिए दाना-पानी क्यों रखती हैं ?” जिज्ञासु बंटी ने मम्मी को सकोरे में पानी रखते देखकर पूछा । ” मेरे प्यारे बंटी ! देख रहे हो आजकल गर्मी कितनी पड़ रही है ? सभी नदी-तालाब सूख गए हैं और खेतों में भी अभी फसल नहीं लगती । इसलिए … Read more

बेटे के लिए अंधा प्यार – के कामेश्वरी

प्रतीक माँ के सामने ग़ुस्से से खड़ा था । माँ उसे समझा रही थी कि बेटा ऐसे नहीं कहते वह तुम्हारी बहन है । प्रतीक अपने ग़ुस्से को क़ाबू में करते हुए कहता है कि माँ मुझे समझाने की ज़रूरत नहीं है मुझे मालूम है कि मुझे क्या करना है । बेटे के लिए अटूट … Read more

अंधे रिश्ते” – सुधा जैन

सौम्या कारपोरेट सेक्टर में काम करती है ।बहुत ही प्रतिभाशाली है। एक वर्ष पूर्व ही उसने अपने साथी नीरज से शादी की है ,और अपनी नई गृहस्थी का आनंद ले रही है ।उसी के ऑफिस में प्रमोशन लेकर राहुल आए हैं। राहुल ने सौम्या की प्रतिभा को पहचान कर उसे अपने प्रोजेक्ट में लिया है … Read more

सतरंगी ख्वाब – तरन्नुम तन्हा

मैंने हमेशा इतने दुःस्वप्न देखे हैं कि बचपन का एक भी सतरंगी ख्वाब मुझे याद नहीं। मेरी पीड़ा, मुझे दर्दो-ज़लन होने तक, मेरे माता-पिता को परेशां करती रही, लेकिन मेरा दर्द से चीखना बंद होने पर, वे भी मुझे हिक़ारत से ही देखते। इसमें मैं उनकी गलती नहीं मानती, एक अधज़ले चेहरे वाली, भयानक सी … Read more

सपनों की कीमत – संजय मृदुल

काठ के पुतले की तरह बैठे नरेंद्र पंडित जी के निर्देश का पालन किये जा रहे थे। मानो  बस कान ही हों वहां, बाकी शरीर और आत्मा बेटी को अनन्त आकाश में ढूंढने गयी हो जैसे। दशगात्र है आज रुचि का। मंडला में नर्मदा के संगम में क्रियाकर्म सम्पन्न करते नरेंद्र का मन हुआ कि … Read more

विदाई का टीका – नीरजा कृष्णा

इस वर्ष  माँबाबूजी के जाने के बाद राखी दीदी और जीजाजी पहली बार उनके पास एक सप्ताह के लिए आ रहे थे। राजेश और रागिनी बहुत खुशी से सब व्यवस्थाएँ देख रहे थे। राशन के सामानों की लिस्ट बन रही थी, तभी राजेश बोल पड़ा, “देखो रागिनी! बहुत दिनों पर दीदी जीजाजी के साथ आ … Read more

सपनों से समझौता ** – डॉ उर्मिला शर्मा

  #ख़्वाब        एक छोटे से शहर के निकटवर्ती गॉव की नम्रता स्नातक की छात्रा थी। जो रोजाना सायकिल से शहर के कॉलेज में पढ़ने जाया करती थी। औसत दर्जे की पढाई में नम्रता बहुत ही महत्वाकांक्षी लड़की थी। घर में तीन भाई- बहनों में नम्रता सबसे छोटी सबकी चहेती थी। उसका निम्न मध्यमवर्गीय परिवार बुनियादी जरूरतों … Read more

error: Content is Copyright protected !!