Moral Stories in Hindi : आओ आओ रेनू बेटा, कभी थोड़ी बहुत देर हमारे पास भी बैठ जाया करो जब देखो तब हमेशा ही घर और बाहर के काम में लगी रहती हो। अरे घर की बहू हो, कोई नौकरानी थोड़ी। थोड़ा सा आराम तो तुम्हें भी चाहिए। वैसे क्या बात हो गई, कल तुम्हारे घर से चिल्लाने की जोर-जोर से आवाज आ रही थी लगता है सुमित्रा जी ने फिर से तुम्हारे मायके बालों को लेकर कुछ उल्टा सीधा बोला होगा,
अब यह भला कौन सी बात हुई, एक तो बहु दिन भर घर का काम करें, ऊपर से अपने मायके वालों की बुराई भी सुने। पांडे आंटी जी के इतना बोलते ही रेनू ने उनको जो जवाब दिया उसे सुनकर वह गुस्सा होने के साथ-साथ दंग भी रह गई, जिस लड़की की कभी जवान चलती हुई नहीं देखी आज उनसे कह रही थी… आंटी जी, आपकी हिम्मत कैसे हुई मेरी सास या मेरे परिवार के बारे में कुछ भी उल्टा सीधा बोलने की। वह मेरा परिवार है
और मेरी जिम्मेदारी है आपको हमारे मामले में दखल देने की जरूरत नहीं है, आप पहले अपने घर के मामले देखिए फिर दूसरों के मामले सुलझाइए। अच्छा फिर मिलती हूं, कोई काम हो तो याद कीजिएगा। ऐसा कहकर रेनू अपने घर आ गई और सारी बातें अपनी सास को बता दी। तब रेणु की सास ने कहा.. बेटा आजकल की दुनिया ऐसी ही है जो दूसरों के घरों में छोटी सी बात को बढ़ावा देकर आग लगाने का काम करती है। यह सास बहू को एक दूसरे के खिलाफ भड़काती है।
आज तूने अच्छा किया जो उनको ऐसा जवाब देकर उनका मुंह बंद करवा दिया, आज के बाद से तुझ से कभी अपने घर की बुराई करने की उनकी हिम्मत नहीं होगी। अब तू देखना कल मुझ से किस तरह की बातें करती है। अगले दिन सुमित्रा जी शाम को पार्क में गई जहां उनकी सारी महिला मित्र एकत्रित थी तभी श्रीमती पांडे ने सुमित्रा जी से कहा …
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अरे सुमित्रा बहन क्या बात है, इतनी गुमसुम और दुखी क्यों हो,? लगता है आज फिर बहू ने कुछ सुना दिया, अरे आजकल की लड़कियों में इतनी भी तमीज नहीं है की बड़े बूढ़ों का तो लिहाज कर ले। सास ससुर तो इनको बोझ लगने लग जाते हैं, दो वक्त की रोटी देने में जान निकलती है उनकी। इनका बस चले तो आज आए और कल अपने पति को लेकर अलग हो जाए। ऐसी बहू का भी क्या फायदा? हां हां श्रीमती पांडे जी …
आप सही कह रही है, तभी आपकी बहू और बेटा आपसे अलग रहते हैं, आपका बेटा बहू आते ही क्यों अलग हो गए? वैसे “तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई” मेरी बहू के बारे में उल्टा सीधा बोलने की? वह मेरी बेटी है या बहू है वही मेरे काम आएगी! आप जैसे लोग सिर्फ घरों में दरार डालने का काम करते हैं, और भगवान का शुक्र है कि मेरी बहू बहुत अच्छी है और आप जैसे लोगों की चाल को खूब समझती है, हम दोनों ही आप जैसे लोगों से दूरी बनाए रखते हैं।
आज के बाद कभी मुझसे या मेरी बहू से उल्टा सीधा बोलने की कोशिश मत कीजिएगा और आपको एक में मुफ्त की सलाह देती हूं…. पहले जाकर अपने घर मैं लगी आग बुझाइए, दूसरों के घरों में आग लगाने की कोशिश मत कीजिएगा, कहीं ऐसा ना हो की आग लगाते लगाते आपके हाथ चल जाए, मतलब “हवन करते ही हाथ जले”वाला मामला हो जाए! सुमित्रा जी की बातें सुनकर श्रीमती पांडे जी किसी से नजर नहीं मिला पा रही थी और सभी महिलाएं उनकी असलियत समझ चुकी थी!
हेमलता गुप्ता स्वरचित
तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई
अंतर्जाल सस्ता और आसानी से उपलब्ध है, इसलिए पढ़ाई, लिखाई का कोई वास्ता नहीं रह गया है, हर किसी को साहित्यकार बनना है, हवन करते हाथ जलने का मतलब होता है, किसी का भला करने जाओ और खुद का ही नुकसान हो जाए , पहले कम से कम सामान्य हिंदी व्याकरण का तो ज्ञान लीजिए उसके बाद साहित्यक जानकारी पर आइए।।
warna kahani mat likho tum gadhe log