जीवन संध्या – मधु श्री
दिसंबर का महीना था,सुधा घर का सारा काम निपटा कर धूप में आकर बैठ गई। आज बालकनी में इतनी धूप नहीं थी जितनी तेज हवा चल रही थी। हल्की हल्की कोहरे की धुंध भी थी फिर भी धूप का हल्का सा सेंक अच्छा लग रहा था।मनोज को आफिस भेज कर सुधा थोड़ा निश्चिन्त महसूस कर … Read more