बड़े भैया पिता समान – गरिमा जैन 

4 January 2007

तिहाड़ जेल  सुबह के नौ बजे

भोलू : यार मुकेश आज तो तू रिहा हो जाएगा। अब तो बता दे उस रात क्या हुआ था ?इतने सालों से एक उदासी जो मैंने तेरे चेहरे पर देखी है उससे मुझे यही लगता है कि उस रात जो कुछ भी हुआ वह सच सच तूने किसी को नहीं बताया। आज तो तू यहां से आजाद हो जाएगा ।7 साल हम साथ साथ रहे हमारी दोस्ती के खातिर ही सही मुझे अपनी सच्चाई बता दे, नहीं तो मैं जिंदगी भर तेरे बारे में सोचता रहूंगा। पता नहीं हम कभी अब मिल पाएंगे या नहीं? मुझे तो यहां 14 साल यानी कि अभी 6 साल और सजा काटनी है ।6 साल में ना जाने मैं कहां और तू कहां!  पता नहीं तो एक सजायाफ्ता इंसान से तू मिलना चाहेगा भी या नहीं। तब तक तो तू बड़ा आदमी बन चुका होगा ना।

मुकेश : तेरी यही बात मुझे पसंद नहीं। तू बार-बार यह सब क्या बोलता है, सजायाफ्ता सजायाफ्ता , सजा काट ली हो तो फिर हम भी आम आदमी की तरह ही हो गए  ना ।क्या हमे समाज में  इज्जत नहीं मिलेगी। 6 साल के बाद तू निकल कर आएगा तो मैं तुझे 1 हफ्ते के लिए अपने घर पर ही रोक लूंगा।

भोलू :हां हां ठीक है. मैं भी देख लूंगा ।मैं भी यहीं हूं और तू भी यही।  कोई भी जेल से निकले कैदी को अपने घर लेकर नहीं जाएगा ।तब तो उसे समाज की इज्जत ,पड़ोसियों का डर ,अपनी प्रतिष्ठा का ध्यान आता है।

मुकेश : नहीं यार भोलू मेरे घरवाले ऐसे नहीं मेरे बड़े भैया भी मुझे लेने आ रहे होंगे .मां भी मुझे देखकर कितनी  खुश होगी और मेरे छोटे भतीजी भतीजे मुझे देखे उछल पड़ेगे ।7 साल के बाद उन्हें देख लूंगा, जब मैं जेल आया था ना तब वे बिल्कुल छोटे छोटे थे ।मुन्नी तो लगभग 3 साल की रही होगी और गुड्डू ,गुड्डू 5 साल का था। सच चाचा चाचा कहकर मेरी गोद में चढ़ जाएंगे।



भोलू : बहुत अच्छी बात है यार तेरे घर वाले तुझे इतने अच्छे मिले हैं। मुझे तो पता है मैं जब यहां से निकलूंगा तो मेरे लिए ना कोई घर होगा ना कोई काम । होगा तो चार पैसे जो मैंने यहां कमाए हैं ।शायद वही मेरे लिए सहारा बन जाएंगे ।मेरी बीवी ने तो पहले ही दूसरी शादी कर ली थी ।वह तो मुझे मालूम पड़ गया था और मेरा एक प्यारा सा बेटा था ।उसे हम प्यार से छुटकू कहते थे ।छुटकू तो अब काफी बड़ा हो गया होगा और शायद अपने सौतेले पिता को ही अपना पापा बोलता होगा ।पता है यार मैं उनसे मिलने तक नहीं जाऊंगा। मैं नहीं जानता चाहता कि मेरी छवि उनके हंसते खेलते परिवार पर पड़े।

मुकेश : तेरी यही बात पसंद नहीं आती। तू बात बात पर अपने आप को सजायाफ्ता क्यों बोलता है ?वह खून तूने जानबूझकर थोड़ी ना किया था! वह तो तुझसे गलती से हो गया था. बस सब किस्मत का खेल था. सारी गवाही तेरे खिलाफ हो गई और तुझे सजा हो गई….

भोलू : मुकेश उस रात एक्सीडेंट भी तो तुझ से नहीं हुआ था ना , तेरे बड़े भाई से हुआ था !और उसकी सजा तुम यहां काट रहा है!

मुकेश : आज यह बात कही है पर  जिंदगी में यह बात दोबारा मत कहना !वह एक्सीडेंट मुझसे ही हुआ था और मैं अपने किए की सजा काट रहा हूं ।मेरे बड़े भैया तो देवता सामान आदमी है। उनके लिए कभी कुछ मत कहना।

भोलू : हां मुझे पता है तेरे बड़े भाई सच में बहुत अच्छे हैं। नियमित रूप से इतने सालों से तुझ से मिलते हैं लेकिन ना जाने क्यों मुझे उनकी आंखों में ग्लानि की भावना दिखाई देती है। जैसे वह अपना कोई पुराना कर्ज उतार रहे हैं और जब वह पिछले साल तुझसे मिलने आई थे ना और रो रहे थे फूट फूट कर,तो उनके मुंह से निकल गया था कि तूने क्या किया मुकेश ,तूने क्या किया, तूने मेरे हिस्से का दर्द अपने हिस्से ले लिया।

मुकेश :अब इन सब बातों का कोई फायदा नहीं ।जो होना था वह हो गया। अगर मैं ऐसा नहीं करता तो भैया का हंसता खेलता परिवार बर्बाद हो जाता ।उनके दो बच्चे थे बीवी थी और मेरा क्या था ?मैं तो अकेला था ।और वह हादसा था ।ना जाने वह औरत  कहां से सामने आ गई गाड़ी के और…

भैया गाड़ी बहुत तेज चला रहे थे और उन्होंने थोड़ी शराब पी रखी थी ।अगर उस रात कुछ हो जाता तो वह शायद बहुत लंबे समय के लिए अंदर जाते इसीलिए मैं…

भोलू : इसलिए तूने स्टेरिंग भी संभाल ली। तूने शराब नहीं पी रखी थी इसलिए सजा तुझे 7 साल की हुई तेरे भैया तो शायद लंबे अंदर जाते ।

मुकेश :भैया के प्यारे प्यारे दो बच्चे थे और मैं  पढ़ाई कर रहा था ।मैं कुछ कमाई भी नहीं करता था। पूरा घर बर्बाद हो जाता ।



भोलू :तूने कभी सोचा है तू अब क्या करेगा ? पढ़ाई छूट चुकी है, शादी अभी हुई नहीं और आगे होगी मुझे ऐसा पता नहीं । तेरे बड़े भाई बहुत अच्छे हैं ,तो हो सकता है मेरा ही अच्छे लोगों से पाला ना पड़ा हो।  मेरा आशीर्वाद हमेशा तेरे साथ रहेगा ।तो जिंदगी में खूब आगे बढ़े खूब उन्नति करें और एक बात का ध्यान रखना जो पैसे भी तूने जेल में कमाए हैं वह संभाल के अपने पास रखना ,खराब वक्त में वही तेरे  काम आएंगे।

Garima Jain, [5/12/2022 12:30 PM]

तभी वहां पर जेल का एक कर्मी आता है और मुकेश को साथ चलने को कहता है। मुकेश को उसका सारा सामान वापस कर दिया जाता है और 7 सालों के बाद वह खुली हवा में सांस लेता है।बाहर गुलाबी ठंड थी ।हर तरफ कोहरा छाया था ।मुकेश को आज सब की बहुत याद आ रही थी ।वह बेसब्री से अपने बड़े भाई का इंतजार कर रहा था…

जेलर: आपके बड़े भाई साहब अभी तक लेने नहीं आए हैं। अगर आप चाहे तो खुद अपने घर जा सकते हैं ।यह आपके यहां कमाए हुए कुल पैसे है जो आपने 7 सालों में यहां कमाए हैं।

मुकेश :जेलर साहब क्या मैं यहां थोड़ी देर और इंतजार नहीं कर सकता ?मुझे पूरा यकीन है बड़े भैया मुझे लेने आते ही होंगे।

जेलर :कर सकते हैं। 1 घंटे क्या आप यहां पर तो 3 घंटे इंतजार कर सकते हैं।

दोपहर के 3:00 बज जाते हैं। मुकेश को लेने कोई नहीं आता। तब मुकेश एक टैक्सी बुक करता है और वहां से अपने घर के लिए निकल जाता है।



मुकेश के मन में ढेरों सवाल उठ रहे थे ।क्या भोलू ठीक कह रहा था ?क्या एक जेल से निकले हुए इंसान के लिए कोई घर नहीं होता? क्या बड़े भैया मुझे अपने साथ नहीं रखेंगे ?क्या उनके बच्चे चाचा चाचा कह कर मुझ से नहीं लिपटेंगे? क्या मैं हमेशा एक गुनहगार कहलाऊंगा ?एक जेल से निकला हुआ कैदी ?मेरा कभी कोई परिवार नहीं होगा? मेरी पढ़ाई तो बीच में ही छूट गई थी ,सच ना जाने उस समय भावनाओं में बहकर में क्या कुछ नहीं कर गया ! क्या मैंने अपने हाथों अपनी जिंदगी बर्बाद कर दी? लेकिन मेरे बड़े भैया तो मेरे पिता समान थे मैंने उनको हमेशा पिता की नजरों से ही देखा है ।पिताजी तो हमें छोड़कर बहुत पहले चले गए थे ।बड़े भैया ही तो थे जो मेरे सब कुछ ….

ऐसे ही मन में बहुत सी उधेड़बुन लिए मुकेश अपने घर पहुंचता है ।घर बिल्कुल सुनसान पड़ा था। मुकेश ने सोचा था उसके स्वागत में फूलों की माला लगी होंगी ।उसकी मां दरवाजे पर उसे खड़ी मिलेगी ।उसके  भाई के बच्चे उछलते हुए उसके गले लग जाएंगे ,लेकिन उसे आश्चर्य हुआ जब उसने घर को ऐसा सुनसान वीरान देखा। जब उसने पास में जाकर घंटी बजाई तक दरवाजा किसी ने नहीं खोला ।

पड़ोसी ने बताया भाई साहब आपको पता नहीं मां जी की तबीयत बहुत खराब हो गई थी ,सब उनको सिविल अस्पताल लेकर गए हैं ।

यह सुनकर मुकेश बहुत घबरा जाता है वह अपना बैग वहीं छोड़कर बहुत तेजी से सिविल अस्पताल की तरफ भागता है।

सिविल अस्पताल में जब वह सब से पूछते हुए अपनी मां के कमरे में पहुंचता है तो बीमार पड़ी उसकी मां उसे देखते ही उठ कर बैठ जाती है।  उसके बड़े भाई के आंखों से आंसू छलक पड़ते हैं और उसकी भाभी दौड़ के अपने देवर के पास आती है और उनके पैर छू लेती है। अपने बच्चों से कहती है 

“देखो हमारे भगवान आए है।तुम लोग पूछते थे ना कि मां क्या भगवान दिखाई नहीं देते तो देखो साक्षात रुप से तुम दोनों के सामने खड़े हैं ।”

यह सब सुनकर मुकेश की आंखों से आंसू छलक पड़ते हैं। वह ना जाने इतनी देर में क्या कुछ नहीं सोच बैठा था। दोनों बच्चे आते हैं और अपने चाचू की गोद में तो नहीं चढ़ते पर उनके पांव चूम लेते हैं ।मुकेश से रहा नहीं जाता और वह दोनों बच्चों को अपनी गोद में उठा लेता है ।उन्हें खूब प्यार करता है। तभी उसके बड़े भैया उसके पास आते हैं और कहते हैं

” मुकेश वास्तव में मैं तेरा बड़ा भाई नहीं था तू मेरा बड़ा भाई था और तूने मेरे पिता होने का फर्ज निभाया आज तेरी वजह से ही पूरा परिवार हमारी आंखों के सामने खड़ा है। पूरे परिवार की आंखें भीग जाती है सारे गले मिलकर वहीं बैठ अपनी मां से बाते करने लगते है।

इति

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