अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 38) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“भैया, टिकट तो आप आज देख रहे थे। फिर ये दोनों”…संपदा मिन्नी, विन्नी के अंजना के पास जाने के बाद मनीष से धीरे से पूछती है। “ये तो परसों ही करा दिया था मेरी बहन, मिन्नी, विन्नी इसी शर्त पर आई हैं कि दो दिन से ज्यादा नहीं ठहरेंगी तो लौटने की टिकट देख रहा … Read more

गरम होना – निशा जैन : Moral Stories in Hindi

सुनिए जी आपका ये बात बात पर गरम होने के स्वभाव की वजह से बच्चे आपसे कहीं दूरियां न बढ़ा ले.. कामिनी ने अपने पति सुबोध से कहा जो रोज ऑफिस से आते ही खेल कूद कर रहे , हल्ला गुल्ला कर रहे बच्चों को झिड़क देता ये कहकर कि तुम लोग शांत नही रह … Read more

गरम होना – संगीता श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

 “तू स्कूल क्यों नहीं आया? मैं स्कूल के फाटक पर तुम्हारा इंतजार करता रहा। दो दिनों बाद पेपर है और तुम घर पर हो। क्या बात है? बताओ तो सही!”नवीन छुट्टी के बाद अपने दोस्त रतन के घर पहुंचा। “हां यार! इस बार मुझे परीक्षा देने का मन नहीं”रतन ने कहा। यह कैसी मजाक वाली … Read more

खानदान ( भाग 4 ) – डॉ संजु झा  : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : धीरे-धीरे मुझे भी समझ में आने लगा कि मैं घर नहीं बल्कि इसी माहौल के लिए  पैदा हुआ हूँ।इसी कारण ईश्वर ने मुझे अपूर्ण बनाया है।फिर मैं सोचता कि घर पर तुम्हारे सिवा मेरा है ही कौन।मुझे तो घर में और कोई  पसन्द नहीं करता है।सभी की तिरस्कृत नजरें और … Read more

खानदान ( भाग 3 ) – डॉ संजु झा  : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : कमला का तो बेटे के लिए रो-रोकर बुरा हाल था।उसे ऐसा महसूस हो रहा था ,मानो किसी ने उसका कलेजा काटकर निकाल लिया हो।दस साल के बेटे को भी वह छोटे मासूम की तरह सीने से चिपकाए नजरों के सामने रखती थी।उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि पलक झपकते … Read more

खानदान ( भाग 2 ) – डॉ संजु झा  : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : कमला चुपचाप पति और सास की कटू बातें सुनकर लेती,पर खुद से बच्चे को कभी भी अलग नहीं करती।वह मन -ही-मन सोचती -” मैंने इस बच्चे का नाम अशोक रखा है।इस कारण  यह बच्चा किसी को शोक नहीं दे सकता है।फिर  मैं अपने कोखजाए के लिए शोक क्यों मनाऊँ?” समय … Read more

खानदान ( भाग 1 ) – डॉ संजु झा  : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : कभी-कभी हम जिस बच्चे को खानदान का चिराग समझते हैं,वही खानदान की प्रतिष्ठा में कलंक लगा देते हैं और जिसे खानदान का कलंक समझते हैं,वही  अपने सत्कर्मों से माता-पिता की जिन्दगी को रोशन कर देते हैं।प्रस्तुत निम्नलिखित कहानी इसी  विषय से सम्बन्धित है। कमला प्रसव पीड़ा से बेहाल थी।पहले से … Read more

सफ़र मुहब्बत का (भाग -7) : Moral Stories in Hindi

अब तक आपने पढ़ा…. गौरव अनुराधा को ऑफिस में काफ़ी परेशान करता है…और उसे अपने साथ जिम ले जाता है … अब आगे… गौरव के रिंग में गिवअप करने पर अनुराधा अपनी पकड़ ढीली करती है…. गौरव उसी वक़्त पलट कर उसके ऊपर आ जाता है….. और हँसने लगता है…..गौरव ने अनुराधा के दोनों हाथों … Read more

बिटिया – मीरा परिहार : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : नैना अपने पति के साथ ही दिहाड़ी मजदूर का कार्य करती थी। दूसरा राज्य ,दूसरी भाषा …पर काम की वजह से एक लम्बा अरसा वह इस पराए शहर में रह रहे थे। एक खाली पड़े प्लाट में अपना रहने लायक ठिकाना बना कर आनंद मय जीवन व्यतीत करते थे । … Read more

रिक्त स्थान (भाग 25) – गरिमा जैन

रेखा का मन बड़ा विचलित हो रहा था। घर आकर भी उसे चैन नहीं था ।अमित  पार्टी की बातें अपने मम्मी पापा को बता रहा था लेकिन रेखा बिल्कुल गुमसुम बैठी थी ,उसे बार-बार वह लड़की याद आ रही थी ।उसे ना जाने क्यों खतरा सा महसूस हो रहा था ।आखिर वह लड़की उसे इतनी … Read more

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