माँ के हिस्से का वो कोना… – रश्मि प्रकाश

“ माँ माँ कहाँ हो ?” ये सवाल हम अकसर बचपन में करते जब उठने के बाद माँ को पास नहीं पाते तो माँ को खोजते हुए पूरे घर में घूम जाते और वो हमेशा अपनी एक ही जगह पर हमें मिलती थी.. साल दर साल हम बड़े होते गए पर नहीं बदला था तो … Read more

लिफाफे में पड़ी जिंदगी – संगीता त्रिपाठी

विदेश में बसे पुत्र को फ़ोन कर -कर रमेश जी परेशान हो गये.। पंद्रह दिन पहले बेटे ने फ़ोन उठाया था। तब उसे बताया कि “तेरी माँ की हालत ठीक नहीं हैं.। तुझे देखने के लिये तरस रही हैं।”   ”पिता जी तीन महीने पहले भी आपने यहीं कह कर मुझे बुलाया था.। मेरे आते … Read more

ताली हमेशा दोनों हाथों से बजती है । – सविता गोयल  

“दीदी,आपने मोनू को बहुत सिर चढ़ा रखा है आजकाल। बड़ा बदतमीज हो गया है। मेरा इतना मंहगा कप सेट जमीन पर पटक दिया। ” रूपाली ने तैश में आकर अपनी जेठानी सरिता से कहा। ” अरे, छोटी, अब बच्चा है गलती हो गई होगी, फिर इसने कौन सा जान बूझकर गिराया होगा.. गलती से गिर … Read more

आत्मा – अंजू अग्रवाल ‘लखनवी’

वो बिलख-बिलख कर  रोते हुए अपने माता-पिता को देख रही थी। वो उससे लिपट लिपट कर रो रहे थे। “लेकिन.. वो किससे लिपट रहे हैं…! मैं तो यहां खड़ी हूँ…! ये मेरा शरीर खून से लथपथ क्यों है…! और…ये नाखूनों के निशान कैसे हैं…! मेरा एक गाल भी आधा गायब है…! उफ्फ.. तो फिर मुझे … Read more

मेरी जिन्दगी की डायरी का दर्दीला पन्ना – डा. मधु आंधीवाल

                एक ऐसा अपार दर्द मैं दिल में समेटे हुये हूँ । बहुत लम्बा समय गुजर गया मेरी पूरी जिम्मेदारी भी लगभग पूरी चुकी हैं पर जब तक हम जिन्दा रहते हैं मां बाप को भूलना बहुत मुश्किल होता है। बच्चों के सामने भी वह दर्द नहीं दिखाया जाता बस अकेले में आंसू बहा लेते … Read more

पुनर्जन्म – कमलेश राणा

राशि स्कूल जाने के लिए घर से निकल ही रही थी कि सास और ननद की कर्कश ध्वनि कानों को बेध गई,, लो चली महारानी छम्मक छल्लो बनकर,, स्कूल जाती हैं या फ़ैशन परेड में। मुझे तो लगता है रूप का प्रदर्शन करने जाती हैं क्या खाक पढायेंगी बच्चों को।  राशि की आँखों में आँसू … Read more

फिर अब क्यूं – तृप्ति शर्मा 

   आज क्यों उसके सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद नहीं दे पाई मैं ।उसे कई दिन से देख रही थी ।अदिति का बदला हुआ रुख ,मानव के जाने के बाद जो संजीदगी उसके चेहरे पर आई थी धीरे-धीरे छटने लगी थी जो मुझे असहज किए जा रही थी।    अदिति उसे मुझसे मिलवाने ले आई तो मैंने … Read more

21वीं सदी की बुलबुल – प्रेम बजाज

शीतल के पापा को माईनर सा हार्टअटैक आता है, डाक्टर ने कहा कोई खतरे वाली बात नहीं, वो अब ठीक हैं। लेकिन जिसे सुनकर शीतल रह नहीं पाती और पापा से मिलने आती है, शीतल की बेटी बुलबुल दस साल की है और बेटा सौरभ चार साल का है। बेटे को तो शीतल साथ ले … Read more

आज की नारी – नताशा हर्ष गुरनानी

पापा में जूडो कराटे सीखना चाहती हूं।   अभी बेटा तुम इन सबके लिए बहुत छोटी हो   थोड़ी बड़ी हो जाओ फिर सीखना जूडो कराटे   पापा मै बड़ी ही हूं।   देखिए मै आपके पेट तक आ जाती हूं।   हेहेहे हस्ते हस्ते पापा ने कहा अरे वाह मेरी गुड़िया तो इतनी बड़ी … Read more

जुर्म के खिलाफ – विनोद प्रसाद

कमला मुझे पाँच-पाँच सौ के चार नोट पकड़ाते हुए बोली- “दीदी इसे बैंक में जमा कर देना।”   उसके नाम मैंने बैंक में एक खाता खुलवा दिया था ताकि वह दूसरों के घरों में झाड़ू-पोछा कर होने वाली कमाई के कुछ पैसे पति से छुपाकर भविष्य के लिए जमा कर सके। घर में पैसे रखने … Read more

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