चाहत – कुमुद मोहन

रिचा और अनुज एक ही बस में आते जाते थे!दोनों एक दूसरे के प्रति खिंचाव महसूस करते पर एक दूजे की पहल का इंतज़ार करते करते मौन ही रह गए! ये सफर कब चाहत में तब्दील हो गया दोनों को पता ही न चला! एक दिन अनुज अपने प्यार का इज़हार कर चिट्ठी बनाकर लाया … Read more

बिट्टो की चाहत – संगीता अग्रवाल 

” बिट्टो ये क्या इतनी जोर जोर से हंस बोल रही हो क्या शोभा देता है ये लड़कियों को !” छत पर दस साल की निहारिका अपनी सहेली के साथ मस्ती कर रही थी कि उसकी दादी आकर बोली। ” पर दादी जब केशव ( निहारिका का भाई) इतनी जोर जोर से बोलता है तब … Read more

मां कभी रिटायर नही होती है। – दीपा माथुर

हवाएं चल रही थीं,पर बारिश थम चुकी थी। उमेश बाबू जो 61वर्ष के हो गए थे। गार्डन में घूमने के लिए तैयार होते हुए बोले “अरे सुनती हो आज मौसम बहुत सुहावना हो रहा हे चलो थोड़ी देर गार्डन में घूम आते हैं।” उनकी पत्नी नंदनी उनके लिए चाय का कप हाथ में लेकर कहती … Read more

चाहत – आरती झा आद्या

ये कैसी पुरानी सी शर्ट पहन ली है तुमने, कहां से ले आए ऐसी मिट्टी रंग की शर्ट….ऑफिस ऐसे ही जाने का विचार है क्या…निभा पति को आईने के सामने शर्ट ठीक करते देख कहती है। अच्छी लग रही है ना। पापा की शर्ट है। आज पापा का जन्मदिन है ना… बहुत याद आ रही … Read more

आख़िर, मेरा घर कौन सा है – शाहीन खान 

“कृतिका अब उठ भी जा बेटा..!! कितनी देर तक सोएगी, आज कॉलेज नहीं जाना क्या?? पता नहीं कितनी नींद आती है इस लड़की को, सुबह उठाओ ना तो उठे ही नहीं। हे भगवान..!! ससुराल में कैसे गुजारा होगा इस लड़की का? कृतिका के कमरे की खिड़कियों के पर्दे खींचकर बड़बड़ाती जा रही थीं कावेरी जी।” … Read more

यादो का पन्ना – श्रेया त्रिवेदी 

  मेरे प्यारे पापा       जन्मदिन की शुभकामनाएं आपको कैसे दू? क्या लिखू क्या नहीं? लिखते हुए भी आँखों से गिरती धारा अक्षरों को मिटा देती है।  मेरे पिताजी एक सरकारी अफसर थे। घर के सामने एक सरकारी गाडी और दो सहायक 24*7 साथ रहते थे। हम बच्चो का जीवन कैसे बीता यह सिर्फ चंद शब्दों … Read more

चाहत पाने का नाम नहीं होता – अर्चना खंडेलवाल 

मीरा के जीवन के उतार-चढ़ाव  ने उसे रिश्तों का अच्छा पारखी बना दिया था। समझदार होते ही वह अपना खर्चा निकालने लगी थी। मौहल्ले के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर उसने अच्छी-खासी रकम जमा कर ली थी। पढ़ाने के दौरान ही उसने एक प्राइवेट स्कूल में टीचर की नौकरी कर ली।मां खुश नहीं थी, उन्हें लगता … Read more

कृत्रिम दीवार – बालेश्वर गुप्ता

       ये भी अजीब है जब उम्र बढ़ने लगती है तो मन मस्तिष्क में अजीब सा परिवर्तन आने लगता है।जीवन की सांसें कम होने के अहसास मात्र से चाहते भी बढ़ जाती है।        मुन्ना अपने ऑफिस के लिये प्रातः7 बजे घर से निकल जाता है, वापसी का कोई समय नही।उसके पास शनिवार और रविवार का समय … Read more

चाहत – डाॅ संजु झा

चाहत की कोई  सीमा नहीं होती है। इच्छाएँ अनंत हैं।उन पर लगाम लगाना आवश्यक है।कभी-कभी मनुष्य अपनी असीम तथा फालतू चाहत के हाथों की कठपुतली बनकर जिन्दगी भर कष्ट उठाता है।अंत में पश्चाताप के सिवा उसके हाथों में कुछ नहीं रह जाता है। आज मैं बेटे की चाहत सम्बन्धी एक कथा लेकर उपस्थित हूँ।रंजना जी … Read more

खुद की सैंटा – गीतू महाजन

क्रिसमस की छुट्टियों में अवनि घर आई हुई थी और उसके आने पर घर की रौनक देखते ही बनती थी।अवनि की मां नीलिमा जी और पिता सुबोध जी दोनों ही बहुत खुश नज़र आ रहे थे।अवनि के घर आने से पहले ही नीलिमा जी ने उसके लिए उसकी पसंद के ढेरों पकवान बनाकर रख दिए … Read more

error: Content is Copyright protected !!