मजबूरी या तिरस्कार – आरती मिश्रा
शर्मा जी सुबह सुबह स्वच्छ और ताजी हवाखोरी करने रोजाना निकल जाया करते थे। अब वक्त बेवक्त मौसम की मार तो कोई जानता नहीं तो शर्मा जी भला कैसे जानते। ऐसे ही बेवक्त मौसम की मार से ही धोखा हुआ हो नहीं तो मजाल है कि हवाखोरी किसी भी वजह से टल जाए । एक … Read more