मजबूरी या तिरस्कार – आरती मिश्रा

शर्मा जी सुबह सुबह स्वच्छ और ताजी हवाखोरी करने रोजाना निकल जाया करते थे। अब वक्त बेवक्त मौसम की मार तो कोई जानता नहीं तो शर्मा जी भला कैसे जानते। ऐसे ही बेवक्त मौसम की मार से ही धोखा हुआ हो नहीं तो मजाल है कि हवाखोरी किसी भी वजह से टल जाए । एक … Read more

  तिरस्कार का कलंक मिट गया – विभा गुप्ता

  ” सौदा, कहाँ मर गई, यहाँ सारा काम पड़ा है और महारानी आराम फरमा रहीं हैं।” अपनी चाची की आवाज सुनकर सौदा बोली, ” आई चाची ” और हाथ में लिए कपड़ों को बाल्टी में ही छोड़ कर वह रसोईघर की ओर चली गई।              सालों से वह चाची के मधुर वचनों को सुनने की सौदा … Read more

तिरस्कार का प्रतिकार – तृप्ति शर्मा

पापा तो न करने के लिए अड़ ही गये थे इस रिश्ते के लिए ।  उन्हें नहीं समझ आ रहा था ये रिश्ता पर माँ ने बहुत समझाया ,इतने रईस घर से उनकी लाडली निभा के लिए रिश्ता आया तो घर के हालात देखते समझते हुए माँ तो अडिग ही रहीं कि शादी होगी तो … Read more

ससुराल से करेगी खुद प्यार! – मीनू झा

विवेक अपनी पत्नी को समझा…शादी का साल लगने को है पर उसका मायका प्रेम छूटने का नाम ही नहीं लेता…आज वो भाई आ रहा है,कल वो चाचा आने वाले हैं, फुफेरी बहन की शादी है तो ममेरे भाई के बच्चा हुआ है…और मां बाप के तो जो चोंचले हैं वो अलग–यमुना देवी ने अपने बेटे … Read more

जीवन का सुख – आरती झा आद्या 

आज फिर ससुर जी की चीख चिल्लाहट की आवाज से सुनिधि की सुबह हुई। दो महीने पहले शादी हुई है सुनिधि और समर की, तब से सप्ताह के हर दिन किसी ना किसी बात पर एक बार तो ससुर जी अपनी पत्नी यानी सुनिधि की सासु माँ पर चीखते चिल्लाते और नीचा दिखाने की कोशिश … Read more

इतना घमण्ड!!! – ज्योति अप्रतिम

***** आज जब उस शहर से गुजरना हुआ तो सहसा नज़र उस मकान पर चली ही गई  जहाँ पर अब केवल बर्बादी के निशां बाकी रह गए थे। वह कार जिसमें बैठे बिना ही रीमा और रमेश की बेइज्जती की गई थी आज जंग खा कर खटारा बन कर खण्डहर हुए गैराज में पड़ी थी। … Read more

 तिरस्कार सह साथ मे रहने से अच्छा अकेले रहना है –   संगीता अग्रवाल 

” विवेक मैं तुम्हारे पापा को और नही झेल सकती …उनकी खांसी की बीमारी के कारण हर वक्त डर लगा रहता है कि जाने कब उनकी बीमारी मुझे या बच्चों को ना लग जाए !” पल्लवी अपने पति से बोली। ” लेकिन पल्लवी वो इस उम्र में जायेंगे कहां अब गांव का घर और जमीन … Read more

वो गोद ली हुई है सिर्फ इसलिए उसका तिरस्कार सही है ? – संगीता अग्रवाल 

” श्रेया…. शीना को दो ये गुड़िया क्यों रुला रही हो उसे !” मानसी अपनी बड़ी बेटी से चिल्ला कर बोली। ” पर मम्मा शीना के पास कितने सारे टॉयज हैं मेरे पास तो बस यही एक गुड़िया है।” सात साल की नन्ही मासूम सहम कर बोली। ” छोटी है वो और तुम इतनी बड़ी … Read more

प्रेम की डोर – सोनिया निशांत कुशवाहा

देखते ही देखते 30 बरस की हो चली थी वो।उसकी हमउम्र लड़कियाँ शादी करके मातृत्व का रसपान कर रही थी लेकिन सोनाली, शादी और प्यार में कोई खास दिलचस्पी नहीं थी उसकी। या यूँ समझिये कि कभी कोई ऐसा मिला ही नहीं था जिसे देखकर दिल की धड़कनें तेज़ हो गई हों।स्कूल कॉलेज के दिनों … Read more

खुद के लिए जीना गुनाह है क्या? – सुषमा तिवारी

फोन की घंटी लगातार बजे जा रही है और उसके साथ ही सुमन की घबराहट, “क्या करूँ उठाऊं कि नहीं, नहीं उठाऊंगी, नहीं दे पाऊँगी अब और जवाब, क्या जाने अंजलि क्या सोच रही होगी मेरे बारे में”! ये सब सोचते हुए आंसुओं की धार बह चली और सुमन पछताने लगी अपने कृत्य पर| हाँ … Read more

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