नियति -तरन्नुम तन्हा

मैं कला प्रदर्शनी में देख तो वह पेंटिंग रही थी, लेकिन मेरा ज़ेहन मेरी बेटी की ओर ही था। वैसे मैंने अब तक शादी तो नहीं की है, लेकिन ग्यारह वर्ष की बेटी है मेरी, चित्रांशी, जो कमाल के चित्र बनाती है। वह नौ वर्ष की थी जब मुझे चाँदनी-चौक में एक औरत के साथ … Read more

तनु वेड्स मनु – अनुपमा 

नमस्कार दोस्तों आज जो कहानी मैं आप सभी को सुनाने वाली हूं वो आज की कहानी नही है , ये घटना है आज से तकरीबन पचास साल पहले की या उससे भी पहले की , लेकिन उस वक्त अगर ये कहानी कोई सुनता तो ये किसी को भी स्वीकार नहीं होती , हां आज के … Read more

अपना आकाश – अनुज सारस्वत

************ “बाईक क्यों रोक दी ? तू हमेशा आफिस से लौटते वक्त इसी जगह क्यों रोकता है ?आज तू बता कर ही रहेगाआखिर हुआ क्या है तुझे?” गुड़गांव से दिल्ली जाते वक्त फ्लाईओवर पर इंदिरागांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के निकट जहाँ से रनवे साफ दिखता है, प्रफुल्ल ने बाईक रोकी थी तब पीछे  बैठे अंकित … Read more

तरसती ममता – गीतांजलि गुप्ता

*********** “आप दिन रात किस तैयारी में लगी हो अमृता” मिसेज शर्मा ने पूछा। “मेरा हितेन आ रहा है पच्चीस तारीख को अपने परिवार के साथ, बस उसको कोई कमी ना लगे इसलिए पूरी तैयारी कर रही हूँ।” अमृता ने जवाब दिया।” अमृता ने घर की धुलाई पुताई कराई करीब आठ साल बाद उनका बेटा … Read more

बीमार होना, पड़ गया भारी – गीता वाधवानी

  आप सोच रहे होंगे, बीमार पड़ना कैसे भारी पड़ गया? देखिए दोस्तों, कुछ लोग ऐसे होते हैं जो काम नहीं करना चाहते और आराम करने के लिए बीमार होने का नाटक करते हैं और उस पर कमाल है कि बीमारी भी ऐसी बताते हैं जो सामने वाले को दिखाई ना दे जैसे कि पेट दर्द, … Read more

रेशमा – पूनम रावल

उस लड़की में ऐसा खास कुछ नहीं था जिस पर कहानी लिखी जा सके । मगर कुछ तो था कि मैं अपने आप को उसके बारे में लिखने से रोक नहीं पाई । सुबह सुबह पार्क के बेंच पर मैं उदास बैठी थी । घर और बच्चो की परेशानियों से मन उदास था । तभी … Read more

चरित्रहीन – पूनम रावल 

र्पाक मे सैर करते हुए मैंने देखा एक नौजवान लड़का एक अधेड़ उम्र की औरत को सहारा दे कर बैंच पर बैठा रहा था।मैंने सोचा शायद माँ और बेटा होंगे।उन्हें देखकर कुछ महिलाएं खुसर पुसर करने लगी ।मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि वे माँ बेटा नहीं हैं लेकिन एक ही घर मे एक साथ … Read more

थैंक्स – कंचन श्रीवास्तव

बहुत जोर की भूख लगी थी,भूख से रिया का हाल बेहाल हो रहा ,पर ससुराल में पहला दिन उसे चुप रहने के लिए मजबूर कर रहा इतने में रवि का प्रवेश कमरे में हुआ। उसे देख को थोड़ी असहज हुई,होना लाजिमी है जिस शख्स से कभी मुलाकात नहीं हुई सिर्फ बात ही बात हुई है।आज … Read more

साथ निभाना साथिया – प्रीती सक्सेना

आज विषय आधारित कहानी लिखने बैठी हूं तो 37 साल 6 महीने का साथ आंखो के सामने घूम रहा है, अच्छा विषय दिया है, इसी बहाने इतना लंबा समय जो हमने साथ गुजारा है , सब दोबारा याद आ जाएगा, जिनकी स्मृतियां धूमिल हो चुकीं थीं। 19 नवंबर 1984 को हम एक दूसरे की जिंदगी … Read more

पति के दिल की रानी हूं मैं ….कृति मेहरोत्रा 

अरे तुम तो बहुत जल्दी वापस आ ग‌ईं ” पतिदेव ने हंसते हुए ताना मारा “  ” तो क्या नहीं आना चाहिए था “?  ” नहीं मेरे कहने का मतलब था कि थोड़े दिन और रूक जाती , तुम्हें हमेशा शिकायत रहती है कि मैं तुम्हें कहीं जाने नहीं देता हूं कहीं रुकने नहीं देता … Read more

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