साथ निभाना साथिया – प्रीती सक्सेना

आज विषय आधारित कहानी लिखने बैठी हूं तो 37 साल 6 महीने का साथ आंखो के सामने घूम रहा है, अच्छा विषय दिया है, इसी बहाने इतना लंबा समय जो हमने साथ गुजारा है , सब दोबारा याद आ जाएगा, जिनकी स्मृतियां धूमिल हो चुकीं थीं। 19 नवंबर 1984 को हम एक दूसरे की जिंदगी … Read more

पति के दिल की रानी हूं मैं ….कृति मेहरोत्रा 

अरे तुम तो बहुत जल्दी वापस आ ग‌ईं ” पतिदेव ने हंसते हुए ताना मारा “  ” तो क्या नहीं आना चाहिए था “?  ” नहीं मेरे कहने का मतलब था कि थोड़े दिन और रूक जाती , तुम्हें हमेशा शिकायत रहती है कि मैं तुम्हें कहीं जाने नहीं देता हूं कहीं रुकने नहीं देता … Read more

प्यार का दर्द है, मीठा मीठा  प्यारा प्यारा – सुधा जैन

वसुंधरा अपनी उम्र के उत्तरार्ध को पार कर रही है ।वसुंधरा बहुत ही संवेदनशील, भावनाओं से भरी कोमल नारी है। उसके जीवन के पूर्वार्द्ध को देखें तो उसके अनुभव अच्छे नहीं हैं ।जब वे छोटी थी तब अपने ही किसी रिश्तेदार के दुष्कर्म का शिकार होते होते बची, और उन हाथों की चुभन वह अभी … Read more

बैरी पिया? – गरिमा जैन

पति :क्या डार्लिंग फिर से मूंग की दाल की खिचड़ी बना ली। तुम्हारे हाथों में तो जादू है, कुछ और भी बना लिया करो। अरे यह पैकेट में तुमने क्या छुपा के रखा है सोफे पर ।जरूर खाने का सामान पैक करा कर लाई हो। पत्नी : हां लाई तो हूं ,खोलकर देखना चाहोगे? पति … Read more

“ख़्वाबों की फ़सल” – ज्योति मिश्रा

“ओहो ! यार तुम समझती क्यूं नहीं । पिछले पांच सालों से देख रहा हूं मैं तुम्हें। तुम्हारा पड़ोसी हूं मैं । तुम्हारी खिड़की मेरी खिड़की के सामने ही खुलती है। मैंने देखा है बेचैनी से तुम्हें रात_रात भर टहलते हुए ।  लाख छुपाओ तुम मैं जानता हूं, रोहित तुम्हारा पति अपनी उस नेहा के … Read more

सबक – अनुपमा

तनु जल्दी जल्दी कॉलेज जाने को तैयार हुई और घर से बाहर निकल गई ,मां पीछे से आवाज ही देती रह गई नाश्ता तो कर लो ,कुछ खा कर जाया करो घर से , पर तनु के तो कानों को जैसे कुछ सुनाई ही नही दिया , सारे दिन फोन पर टिंग टिंग करते रहना … Read more

चलें जड़ों की ओर -सरला मेहता

ननकू सपरिवार बस से उतरकर बापू द्वारा भेजी बैलगाड़ी में बैठा अपने गाँव के बारे में सोच रहा है। गया था तो माँ ने कितना सामान बाँध दिया था अचार, गाय का घी बच्चों के लिए लड्डू और ना जाने क्या क्या। और वह जा रहा है खाली हाथ।  चार वर्ष पूर्व अपने बूढ़े माँ … Read more

  नेग – मधु मिश्रा

-“सुनिये, पहले आप ये सब देख लीजिये.. बड़ी दीदी और छोटी दीदी के लिए ये सिल्क वाली साड़ी है, दोनों जवाई जी के लिये रेमण्ड के सूट पीस और ये रहे दोनों दीदी के बच्चों के मनपसंद कपड़े.. और.. और ये चेन बड़ी दीदी और बड़े जवाई जी के लिये और उनके बच्चों के लिए … Read more

बैरी पिया

सुरजीत के लिए लड़का देखना चालू कर दो  अब तो उसका कॉलेज भी पूरा हो गया है और उसका बेकिंग का काम भी किन्ना सोणा चल रहा है । मंजीत ने अपने पति से जब ये कहा तो मिस्टर कुकरेजा सोच मैं पड़ गए ,इकलौती कुड़ी है सुरजीत उनकी कितने नाजों से पालपोस के बढ़ा … Read more

कोला आजी – पुष्पा पाण्डेय

हमारा घर हवेली के नाम से जाना जाता था। गाँव के रईस घराने में गिनती होती थी। शाम होते ही मेरी दादी हवेली के दूसरे दरवाजे पर पल्ला मारकर अपनी छोटी मचिया लेकर बैठ जाती थी। वहीं बाहर की तरफ ओटा पर एक तरफ कोला आजी बैठती थी। गाँव के सभी लोग बूढ़े-बच्चे उन्हें कोला … Read more

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