प्रसाद – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

सुनो जी… कोई बाहर खड़ा हैँ काफी देर से…. तो देखकर आओ तुम …. कौन है ?? देख नहीं रही मैं अखबार पढ़ रहा हूँ…. चश्मा ऊपर करते हुए कैलाश जी पत्नी श्री से बोले… घंटी तो बजा ही नहीं रहा…. तभी मैं गयी नहीं… कहीं चोरी करने की फेर में तो नहीं हैँ ये…. … Read more

टाट का पैबंद – डॉ संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

सुमी! सुमी!सुनो यार!कहां बिजी हो? चिराग ने घर में घुसते ही अपनी पत्नी सुमी को बुलाया। तभी उसकी मां दया सामने आई,”पार्लर गई है,आती होगी अभी,दो घंटे हो गए हैं।” ठीक है!ठीक है मां,बेरुखी से बोलता वो कमरे में घुस गया। मैंने कुछ गलत बोल दिया क्या?मां आश्चर्य में सोचती रह गई। तभी सुमी लौट … Read more

नालायक बेटा – मंजु ओमर : Moral Stories in Hindi

गोविन्द भइया करीब डेढ़ महीने से बीमार चल रहे थे बहन मालती ने आज भाई से मिलकर हाल-चाल जानना चाहा सो पहुंच गई गोंविदा भाई के पास । मालती जब घर गई तो बाहर चबूतरे में भतीजा राजीव कुछ उदास सा बैठा था , मालती ने पूछा अरे राजीव यहां क्यों बैठे हो तो उसका … Read more

सूद समेत – अर्चना सक्सेना : Moral Stories in Hindi

इतने बरसों बाद अपने पौत्र को अपने सम्मुख खड़ा देखकर एकबार तो अपनी आँखों पर विश्वास ही नहीं हुआ सुहासिनी जी को, जब उसने आगे बढ़कर चरणस्पर्श किये और पूछा- “कैसी हो दादी?” तो आशीर्वाद देने को उनके दोनों हाथ उठ गये और अविरल अश्रुधारा बह निकली उनके नेत्रों से परन्तु मुख से बोल नहीं … Read more

सबसे बड़ी भूल (भाग – 3) – माता प्रसाद दुबे  : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi: एक हफ्ते से ज्यादा समय तक रमादेवी कस्बे वाले घर में रहने के बाद भंडारे और पूजा पाठ को विधि पूर्वक सम्पन्न कराकर शहर वाले घर में वापस आ चुकी थी, रमादेवी के स्वास्थ्य में लगातार गिरावट आ रही थी,वह हमेशा उदास रहने लगी थी, प्रशांत आकाश उनकी पत्नियां सभी एक … Read more

सबसे बड़ी भूल (भाग – 2) – माता प्रसाद दुबे  : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi: सुबह के आठ बज रहे थे, रमादेवी पंडित दीनानाथ से भंडारे के आयोजन के लिए फोन पर बात कर रही थी।”अरे मम्मी! अबकी बार मैं भंडारे और पूजा में शामिल नहीं हो पाऊंगा, मुझे जरूरी मीटिंग अटेंड करनी है?” प्रभात रमादेवी के पास आते हुए बोला। ” बेटा! तू तो बड़ा … Read more

आँखें खुल गई – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

  प्राची काॅलोनी में नई थी।किसी से खास उसका परिचय नहीं था।ऐसे में उसकी पड़ोसिन देविका जी ने उसकी तरफ़ दोस्ती का हाथ बढ़ाया।उसे बहुत अच्छा लगा।देविका जी उसे शहर और काॅलोनी की पूरी रिपोर्ट समय-समय पर बताती रहती थीं, साथ ही अपने परिवार की प्रशंसा करना भी कभी नहीं भूलती थीं।        एक दिन प्राची किसी … Read more

बेमेल (भाग 5) – श्वेत कुमार सिन्हा : Moral Stories in Hindi

“देख न श्यामा, लगता है आज बड़े और मंझले भईया की बातों में आकर कुछ ज्यादा ही पी ली मैने! सिर दर्द से फटा जा रहा है! बर्दाश्त न हुआ तो मजबूरी में तुझे आवाज देना पड़ा। बंशी और बाकी नौकर-चाकर भी सो गए हैं! हाय…मेरा सिर!!” – संझले ननदोई ने कराहते हुए कहा और … Read more

बेमेल (भाग 4) – श्वेत कुमार सिन्हा : Moral Stories in Hindi

…बंशी की बातें सुन श्यामा मुस्कुरायी और कहा – “काका, बचपन में माँ ने सिखाया था कि पालनहार ने जितना दिया है उसी को अपनी नियती मान ईमानदारी से आगे बढ़ने का प्रयास करती रहना। परिस्थिति चाहे कितनी भी बुरी आए, चाहे कितना भी दु:ख सहना पड़े, कभी किसी का अनिष्ट मत करना! माँ का … Read more

बेमेल (भाग 3) – श्वेत कुमार सिन्हा : Moral Stories in Hindi

…“आइए दीदी, बिटिया को सुला रही थी!अच्छा लगा आप सबको एक साथ यहाँ देखकर। समझ में नहीं आ रहा आप सबको कहाँ बिठाऊं! देख ही रही हैं….यहाँ एक कुर्सी भी नहीं है!” – कमरे में चारो तरफ इशारा करते हुए श्यामा ने कहा फिर अपने पलंग पर जगह बनाते हुए बोली- “आपलोग यहाँ बैठिए! देखिए, … Read more

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