“मेम साहब “ – अरविंद दीक्षित
“राजा ,तुम्हारा पत्र “मैने अपने बैरे को आवाज लगाई.उसे मेरी बात पर विश्वास ही आया .उसने वही से मुस्कुराते हुए उत्तर दिया “क्यों साहब !मजाक को भी आपको यही मेरे काम का समय मिला ,मेरा पत्र !आप वहीं से ही पढ़ दीजिये “ मै एक क्षण उसके भोले मुस्कुराते चेहरे को देखता रहा ,फिर मैने … Read more