अनकही – नीलीमा सिंघल

#चित्रकथा  

सारा मेरठ की रहने वाली थी बँधन से भरे घर की बेटी थी जिसको घर कम जेल कहना ज्यादा अच्छा होगा उसके अनुसार, 

उसका दम घुटने लगा था ऐसे माहौल से जहाँ साँस भी उसके माता-पिता की इच्छा अनुसार ली जा सकती थी, स्कूल मे भी और अब कॉलेज मे भी उसके साथ के बच्चे हमेशा खुश रहते थे, पिकनिक हो, खेल हो चाहे स्टेज शो सब के लिए तैयार रहते थे, और सारा चाह कर भी इन सबसे दूर रहती थी क्यूंकि उसके माता-पिता कभी किसी चीज़ के लिए हां नहीं बोलते थे, बचपन से देखती आयी सारा अब खीजने लगी थी उसकी आज तक एक सहेली भी नहीं बनी क्यूंकि घर पर पसंद नहीं था। 

कॉलेज के आखिरी दिन अपने पापा के पर्स से पैसे लिए और चली गयी उस जेल से हमेशा के लिए  ।।

बस से दिल्ली आयी और दिल्ली से मुंबई जाने की ट्रेन मे,  एक दर्द भरी मुस्कान थी उसके चेहरे पर फैल गयी, 

मेरठ जैसे शहर की लड़की मुंबई मे कैसे suffer करेगी उसको इसका अहसास तक नहीं था, वो सिर्फ जीना चाहती थी घुट घुट कर जीते जी मरना नहीं, 


ट्रेन के लम्बे सफर मे सहयात्री मिल ही जाते हैं, सारा के साथ भी ऐसा ही हुआ, ट्रेन मे 10 लोगों का एक परिवार भी था जो मुंबई ही जा रहा था हँसते हँसाते मस्ती मज़ाक करते सब जा रहे थे चार बच्चे थे जो सारा की हमउम्र लग रहे थे। 

सारा को देखकर सुनीता जी ने कहा जो कि उनकी मम्मी लग रही थी ” बेटा अकेले जा रही हो, स्टडी,,या कोई कोर्स,,,,,,”

“नहीं आंटी, बस घूमने जा रही हूं “सारा अचकचा कर बोली 

“घूमने  !!!!!! अकेले!!!!!!”

“जी आंटी,  कभी लगता है ना खुद के साथ कुछ पल जियो “

आंटी मुस्करा गयी फिर बोली “रहोगी कहां “

“अभी नहीं पता आंटी ,जाकर देखूँगी”

” अगर कोई समस्या ना हो तो हमारे साथ चल सकती हो “

सारा को सारा परिवार बहुत अच्छा लग रहा था, जैसा वो अपने परिवार का सपना देखा करती थी ठीक वैसा ही, 

पर आंटी मैं कैसे,  मैं तो अजनबी हूं आपके लिए, आपके घर,,,,”

“चल सकती हो बेटा, मुंबई शहर भी तो अजनबी ही है तुम्हारे लिए”

सारा मान गयी, अगला स्टेशन बोरीवली था,  सुनीता जी ने कहा “हमारे साथ चल रही हो ना,, हम यही उतरेंगे “

सारा ने अपना समान लिया और सुनीता जी के साथ उतर गयी। ।।

सुनीता जी ने फोन किसी को फोन किया और एक बड़ी कार उनके सामने आ खड़ी हुई,  सारा की आंखे फटने को हो गयी ऑडी थी, जिसमें सुनीता जी और उनका परिवार बैठा था, सारा को आने का इशारा किया,  सारा आगे बढ़कर कार मे बैठ गयी। 

कार जैसे जैसे आगे बढ़ रही थी सारा के सपनों को पँख लग रहे थे। 

कार एक बड़े से बंगले के बाहर रुकी और सब लोग उतर कर अंदर चले गए,  सारा  भी उतरी और सुनीता जी के कहने से आगे बढ़ी। 

घर के अंदर पहुंचकर सब कहीं खो से गए थे सारा हैरान थी जो परिवार इतना मस्ती मज़ाक कर रहा था वो अब दिख भी नहीं रहा था। 

सुनीता जी आगे आयी दरवाजे को बंद किया और सीढ़ियों की तरफ इशारा करते हुए बोली “तुम्हारा कमरा दाएं हाथ पर चौथा है। 

सारा कमरे मे पहुंची तो किसी राजकुमारी सी भावना मन मे आयी इतना बड़ा और सजा हुआ था कमरा। 

सारा थकी थी सो गयी। 

शाम को नीचे आयी तो देखा वहां चार नहीं 50 से ज्यादा लड़कियां थी और 10 12 लड़के थे 

सुनीता जी ने सारा को बोला शाम को पार्टी है तुम अब हमारे घर की हो इसीलिए तुम्हें भी आना है और ऊपर  तुम्हें तुम्हारी ड्रेस मिल जाएगी ,सारा ने हाँ मे सिर हिला दिया और फिर ऊपर चली गयी ।

सारा के कमरे मे एक मेहरून रंग की जालीदार खूबसूरत ड्रेस रखी हुई थी, उसको याद आया कि 2 साल पहले एक शो रूम मे उसको कितनी पसंद आयी थी पर 50000 की होने को वज़ह से अपने मुहँ से कुछ नहीं कह पायी थी अपने माँ को। 



दरवाजे की खटखट से सारा अपने होश मे आयी और आगे जाकर दरवाज़ा खोला तो सामने ब्लू ड्रेस मे एक लड़की खड़ी थी जो सारा का मेकअप करने आयी थी। 

।1 घण्टे बाद जब सारा ने खुद को देखा तो पहचान ही नहीं पायी वो बहुत खूबसूरत लग रही थी, 

सुनीता जी की आवाज़ उसको सपनों की दुनिया से बाहर ले आयी जो उसको नीचे जाने का निर्देश दे रही थी। 

नीचे पार्टी मे सभी की निगाहों का केंद्र बनी हुई थी सारा, 

तभी उसने देखा एक ब्लैक रंग के सूट मे खड़ा आदमी उसकी ओर इशारा करके सुनीता जी से कुछ कह रहा था, जिसका जबाव सुनीता जी बहुत धीरे-धीरे दे रही थी, 

तभी वो आदमी सारा के सामने आया और उसकी तरफ अपना हाथ बढ़ाया सारा ने सुनीता जी की ओर देखा जो अपनी गरदन से इशारा कर रही थी,  सारा को लगा वो आदमी उसको डांस के लिए ले जा रहा है इसीलिए सुनीता जी का इशारा देखकर सारा ने अपना हाथ उस आदमी के हाथ मे दे दिया, 

वो आदमी सारा को डांस फ्लोर के बजाय एक basement मे ले जाने लगा सारा ने हिचकिचा कर सुनीता जी को देखा जो उसको कहीं नजर नहीं आयी। ।

सारा को लेकर वो आदमी नीचे बने एक आलीशान कमरे मे ले आया, जिसने soundproof होने की वज़ह से उसका चिल्लाना रोना सब बेकार था, 

सारा समझी ही नहीं थी कि उसकी दुनिया उसके सपने घर के बाहर कदम निकालते ही भस्म हो चुके थे,  वो एक गुमनाम भरी दुनिया मे शामिल हो चुकी थी 

सारा 2 दिन से कमरे से बाहर नहीं आयी थी आज वो दोनों लड़किया सारा के पास आयीं और उसका एक अंधेरे सच से सामना करवाया, 

सुनीता जी काली दुनिया की महारानी थी वो अपनी कुछ लड़कियों को हर महीने ऐसे ही ट्रिप पर ले जाया करती हैं और जो अकेली लड़की मिलती है उनको यहां ले आती हैं, 

सच जानकर सारा का मुहँ खुला रह गया, पर उसने सुनीता जी का कहना मानने से मना कर दिया तो परिवार बनकर गए दो लड़कों मे से एक अंदर आया और बोला ” सारा मान जाओ वर्ना यही काम नशीली दवाओं से भी हो सकता है , करन जिसने तुम्हें पहली बार….    ” अमित चुप होगया तो सारा उसको देखने लगी,  

अमित आगे बोला “करन ने तुम्हें,,,,,,”

सारा ने मना कर दिया तो अमित ने उसको एक इंजेक्शन लगाया और 2 सेकंड मे ही सारा बिस्तर पर गिरी थी, 

सुनीता जी की बात ना मानने का, करन को इंकार करने का 

फल सामने था, रोज कोई नया होता था सारा के पास, 

सारा का सारा बदन दर्द कर रहा था उसको आज खुद पर गुस्सा आ रहा था वो चिल्लाना चाहती थी रोना चाहती थी अपने माँ बाप के पास जाकर उनसे माफी मांगना चाहती थी। ।


कैसे उसके अचानक चले जाने से क्या हुआ होगा उसके माता-पिता का, कैसे सभी के सवालों का जबाव देते होंगे। 

सारा का बिना आवाज चिल्लाना, दुख बेबसी सभी तो था आज सारा के चेहरे पर जिसको रोहित ने देखा ही नहीं था बल्कि अनुभव भी किया था  12 साल हो गये थे सारा को सुनीता जी के पास,  एक पँख विहीन चिड़िया बनकर रह गई थी सारा, 

जिसे घर को जेल समझती थी वही उसको बार बार याद आ रहा था। ।

सामने बैठे रोहित से सारा अपना दर्द बयान कर रही थी जो उससे मिलने उसका इंटरव्यू लेने के लिए 15 दिन से कोशिश कर रहा था, 

सारा की कीमत चुका कर उसके कमरे मे जाकर उससे बात करता था, 

और आज रोहित ने बर्फ की शिला बनी सारा को पिघला दिया था। 

सारा के चेहरे के भावों को देखकर अपनी कहानी मे उसने सारा का चित्र भी बनाया जो कि चित्रकथा # के माध्यम से आप सभी ने देखा। ।

इतिश्री 

शुभांगी

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