मैं पागल नहीं हूं – सुषमा यादव

#चित्रकथा ,,

इस चित्र में किसी की असीम वेदना, संताप , मानसिक प्रताड़ना से पीड़ित असहनीय दर्द से उपजा हुआ क्रोध और उसकी बेबसी की चीखें परिलक्षित हो रही है,,,,,,

**** इसी से संबंधित मेरी ये कहानी,,,,

,,,,वो फ्रांस यूनिवर्सिटी से एमबीए करने के बाद वहीं नौकरी करने लगी थी,,पर कुछ समय बाद उसे अपनी मां और बहन की याद सताने लगी तो वो वापस अपने देश लौट आई, और यहीं दिल्ली में नौकरी करने लगी,,

,, उसकी शादी हो गई,, दोनों दिल्ली में ही थे,,सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था,कि उसी समय निर्भया कांड हो गया,, वो बहुत डर गई थी, वो क्या सभी के दिल में भयंकर दहशत हो गई थी,, उसने अपनी मां को फोन किया,, मां भी अपने कार्यस्थल में थी,,,, बोली,, मम्मी ,, आपने भी सुना होगा,, मेरे भी ऑटो के पीछे कई दिनों से मोटरसाइकिल वाले पीछे पीछे आतें हैं,, वो तो सात बजे बहुत ही ट्राफिक रहता है, तो मैं सकुशल घर आ जाती हूं, मुझे बहुत डर लग रहा है,,हम दोनों वापस फ्रांस जा रहें हैं,, बहुत समझाया पर नहीं मानी,, दोनों ने नौकरी के लिए आवेदन किया,, उसके पति को तो तत्काल नौकरी मिल गई,,पर उसे नहीं मिली,, और वो चले गए,, एक,दो महीने बाद वो भी चली गई,,कि वही से प्रयास करूंगी और फ्रेंच भी सीखूंगी,,,नया देश,नई भाषा,किराये का छोटा सा फ्लैट,,उस पर पेरिस की मंहगाई,,सब कुछ अस्त व्यस्त,,


,,, जब परेशानियां आने लगी,तो दोनों में वाद विवाद,, तर्क कुतर्क,, होने लगा,, उसे अभी तक नौकरी नहीं मिली थी,,जब देखो, कड़वे वचन बोलता,,,, तुम कुछ नहीं कर सकती, तुमसे कुछ नहीं हो सकता,,कब से आई हो, एक नौकरी नहीं पा सकी,, घर का खर्च, मकान, बिजली, परिवहन का खर्च ऊपर से तुम आकर बैठ गई,, यहां आने का निर्णय तो तुम्हारा ही था ना,, वो रोते हुए कहती,पर तुम्हें तो बढ़िया नौकरी मिल गई ना,, मुझे भी एक दिन मिल जाएगी,, धीरे धीरे उनका झगड़ा बढ़ने लगा,, वो रो रोकर अपनी मां और बहन से सब बताती,,,, तुम वापस आ जाओ, मां कहती,, मैं इसे छोड़कर कैसे आऊं,, ये अब वापस नहीं आयेगा,, उसके पिता भी नहीं थे,उनका असीम, प्यार, दुलार याद करके बहुत रोती,,दिन भर घर का काम करती,, नौकरी ढूंढ़ती, फ़्रेंच सीखती,, छुट्टी के दिन कहीं बहुत कहने पर भी घुमाने नहीं ले जाता,,बस ताने मारता,, वीडियो गेम खेलता, अपने दोस्तों को बुला कर आधी रात तक हंगामा करता,, मना करती तो घर में तूफान आ जाता,, वो बहुत ही मानसिक तनाव से गुजर रही थी,,जब वो गुस्सा करती तो कहता तुम पागल हो गई हो, मैं तुम्हें पागल खाने भिजवा दूंगा,, अक्सर यही कहता,,बार बार कहने पर तो अच्छा भला इंसान भी पागल हो जाये,, वो उससे कुछ भी सहायता करने को कहती,, कहीं भी चलने को कहती, साफ़ मना कर देता,, मैं तुम्हारी तरह निठल्ला नहीं हूं,, जनरल मैनेजर हूं,, तुम खुद सब करो,, इतनी मानसिक प्रताड़ना,, इतना अपमान,, दुर्व्यवहार,, उसकी सहन शक्ति से बाहर हो रहा था,, बाहर, सबके सामने भी जलील और अपमानित करने का एक भी अवसर नहीं गंवाता,, मां,बहन के समझाने का भी कोई फर्क नहीं पड़ा,,, ये तो पागल है,,इसको ले जाकर इलाज करवाओ,,, सबका सुख चैन छिन गया,जीना दुश्वार हो गया,, वो आत्महत्या की बात करती,,


,,,पर सबके दिन फिरते हैं,,एक दिन उसकी सहेली जो अपने देश की थी, मिल गई, अचानक,, वो उसे अपने घर ले गई,, उसके पूछने पर रो रोकर सब हाल बताया,, सहेली ने शांत कराया,,देखो, एक तो तुम आत्मनिर्भर बनो,, अपने में आत्मविश्वास जगाओ,,कि तुम सब कुछ कर सकती हो,, और अपनी वहीं के दो तीन बहुत ही अच्छी सहेलियों से मिलवाया,,बस फिर क्या था,,सब डर झिझक दूर हो गया,, उसे बढ़िया नौकरी भी मिल गई, और फ्रेंच में बातें भी करने लगी,, और ड्राइविंग भी सीख लिया,,पर अपने उस‌ घमंडी पति को कुछ नहीं बताया,, उसके आफिस जाने के बाद निकलती और उसके आने के पहले घर आ जाती,,

,, एक दिन रविवार को टी वी देखते समय दोनों में फिर झगड़ा हुआ,,, वो बोला, मैंने अपने पैसों से इतनी मंहगी, इतनी बड़ी टीवी ख़रीदा है अपने शौक के लिए, तुम्हारे में दम हो तो तुम भी खरीद लो और अपना‌ मनचाहा देखो,, और तुम अब रोज रोज की चिकचिक बंद करो, नहीं तो तुम्हें आज ही पागलखाने भेज दूंगा,,

,, और नहीं,बस और नहीं,,अब तो मैं कमा रहीं हूं, अपने आफिस में अपने बेहतरीन काम के कारण लोकप्रिय हूं,, मैं किसी से कम नहीं हूं, इसके जुल्म, अत्याचार की सभी सीमाएं पार हो गई हैं,, मां ने सिखाया है,, अत्याचार और अन्याय करना भी अपराध है, और सहना भी,, ये मुझे पागलखाने भेजेगा,, मैं आज़ ही इसके करनी का मज़ा चखाती हूं,,

,, सहने की सीमा खत्म हो गई थी,, भयंकर क्रोध में तमतमाकर आंखें अंगारे बरसा रही थी,,

,,,ले अपनी टीवी,ले देख, बड़ा पैसों वाला बनता है,, बहुत घमंड है, अपनी नौकरी का,, मुझे पागलखाने भेजेगा,, लो,अब‌ भेजो,,अब मैं सच में पागल हो गई हूं,,, और चीखते, चिल्लाते हुए इधर उधर देखा और दे छनाक,, टीवी पर जोर से कोई भारी चीज दे मारा,, पूरी दीवार भरी बड़ी सी टीवी भरभरा कर टूट गई,, उसने कभी इतना गुस्सा नहीं किया था, वो तो क्रोध में रणचंडी बन गई थी,,पतिदेव को काठ मार गया, और वो चिल्लाती हुई दूसरे कमरे में चली गई,,

,, कुछ देर बाद सायरन बजाती पुलिस की गाड़ी उनके दरवाजे पर खड़ी हो गई,,, आफिसर अंदर आये,, यहां से फोन किसने किया, पतिदेव ने हैरानी से कहा,, नहीं, हमारे यहां से किसी ने नहीं किया,, और पत्नी की तरफ़ देखा,, वो बोली,, जी हां, मैंने किया है,,आइये,, ये सुनकर पतिदेव के होश उड़ गए,, उन्हें अपना परिचय पत्र दिखाया,, और फ्रेंच में फटाफट बोलने लगी,,

,,ओह,,आप मार्केटिंग मैनेजर हैं,,

बहुत बढ़िया,, बताइए, क्यों फोन किया,, उसने बड़ी शांति से सब‌ बातें बताई और कहा ,, आफिसर, मैं आपको पागल लगतीं हूं,,आप बताइए कि पराये देश में मेरे साथ ऐसा सलूक उचित है क्या,, जहां इनके सिवाय मेरा कोई नहीं है,,


,,, पतिदेव ने परिचय पत्र देखा, पेरिस के एक प्रसिद्ध बैंक में मैनेजर,,, वो आश्चर्य चकित रह गया,,, पुलिस ने पूछा,, आपको कभी मारा पीटा, क्या बहुत ज्यादा टार्चर किया,, बेहिचक सब बताईये,,। नहीं,मैं झूठ नहीं बोलूंगी,, कभी भी हाथ नहीं उठाया,,, आफिसर सब समझ गये थे,, और उन्होंने पूछा,,अब आप बताइए कि इनके साथ क्या किया जाए,, इन्हें हम‌ ले जायें,,

,, नहीं,सर ,बस आप इन्हें चेतावनी दे दें,,आईंदा मेरे साथ ऐसा दुर्व्यवहार नहीं करेंगे,, और ना ही मेरे साथ कोई बदतमीजी करने की हिम्मत करेंगे,,इनको समझा दीजिए,कि कोई लड़की 

, कमजोर, बेजुबान और निरीह नहीं होती,,ना कायर और डरपोक होती है,बस हमारे संस्कार और संस्कृति हमें रोक लेते हैं,,पर जब पानी सिर से ऊपर हो जाता है, तो

उसे दुर्गा, चंडी बनने से कोई नहीं रोक सकता,,,

,,, पुलिस ने समझाया,,पति ने मांफी मांगी, और पत्नी से भी,,

,,,सर अब ऐसी ग़लती दुबारा नहीं होगी,,हम बहुत अच्छे से रहेंगे,,आप को या इनको शिकायत का मौका नहीं दुंगा,, और पुलिस मुस्कुरा कर चली गई,,

**** दोनों कुछ देर चुप रहे, फिर पतिदेव बोले,, तुमने तो कमाल ही कर दिया,, फ्रेंच भाषा और साथ में इतनी बड़ी नौकरी,, मुझे क्यों नहीं बताया,,, वो बोली,, तुम्हारे पास मुझे जलील करने के अलावा भी समय था क्या मेरे लिए,, और सुनो, मैंने ड्राइविंग टेस्ट भी पास कर लिया,सीख भी लिया,, जल्द ही लाइसेंस भी मिल जायेगा,, तुम्हें तो गाड़ी छूने से ही डर लगता है ना,,

,,,,अब मुझे और मत शर्मिंदा करो,, मैं भी जाता हूं सीखने, और हां, आज़ तुमने सच में साबित कर दिया कि लड़की,चाहे तो सब कुछ कर सकती है,बस उसे सही समय और अवसर मिलना चाहिए,, सलाम करता हूं, तुम्हारे जज्बे को और हिम्मत को,,,

  

सुषमा यादव,, प्रतापगढ़,उ, प्र,

स्वरचित,, मौलिक,,,

,,14,,06,2022,,

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