सासु माँ आप भी – के कामेश्वरी

भवानी जी को घर में शांति पसंद नहीं है । हमेशा घर में झगड़े या तू तू मैं मैं होनी ही चाहिए । उन्हें लगता है कि शांति है घर में तो लोगों की नज़र लग जाएगी । बताओ भाई लोगों की नज़र न लगे इसके लिए अपने ही घर में भला कोई अशांति फैला लेगा । विश्वास ही नहीं होता है कि ऐसा कोई कर सकता है । मुझे लगता है कि शायद यह उनकी आदत है अशांत वातावरण में रहने की ।

भवानी जी की चार चार बहू हैं । वह उन पर भी रोब जमाना चाहती थी । उन्होंने बचपन में अपने पिताजी को देखा जो एक बहुत बड़े वकील थे वह देखती थी कि माँ भाई बहन सब उनसे दूर भागते थे । यह भी देखा था कि वे कैसे लोगों के व्यवहार करते थे कैसे वे घर और ऑफिस के लोगों पर रोब जमाते थे । उनसे लोग बात करने से भी डरते थे और उनके आगे पीछे घूमते थे । परंतु उसे डर नहीं लगता था इसलिए उनके आगे पीछे घूमते हुए यह सब देखते हुए ही वह बड़ी हुई थी । उन्हें लगता था कि जियो तो पिताजी के समान रोब से जीना चाहिए । उस समय लड़कियों को उतना महत्व नहीं दिया जाता था । परंतु भवानी के मन में पिता की छवि जमकर बैठ गई थी । इसका परिणाम ससुराल वालों को और भोले भाले पति को भुगतना पड़ा था । भवानी की शादी मध्यम वर्गीय परिवार में हुई थी । उनके पास पैसे कम थे परंतु सब बच्चे बहुत ही होनहार थे । भवानी के पति भी बहुत अच्छे साइंटिस्ट थे । उनके ससुर अंग्रेज़ी साहित्य में गोल्ड मेडलिस्ट थे। परंतु शुगर की बीमारी (जो उस समय लाइलाज थी ) के कारण बेसमय ही उनकी मृत्यु हो गई थी । भवानी के पिताजी ने पैसे नहीं बल्कि गाँव में उनकी इज़्ज़त को देखकर अपनी बेटी को उनके घर में ब्याह दिया था ।


शादी के बाद कुछ दिन तो ठीक चला परंतु धीरे धीरे वह अपना रंग ससुराल में भी ज़माने लगी । वहाँ भी आए दिन झगड़े और अशांति फैलाने लगी । उसकी अपनी आदत ज़्यादा दिनों तक छिपा नहीं सकी । घर में झगड़े करके अपने पति के साथ वह अलग रहने लगी । वह अपनी आदत के अनुसार बच्चों पर और पति पर भी रोब जमाती थी । अब बहुएँ आ गई तो उनका रुख़ इन बेज़ुबान प्राणियों की तरफ़ बदल गया । उनसे पूछकर ही बहुओं को हर काम करना पड़ता था।  थोड़ी सी भी गलती हो जाती थी तो वह घर सर पर उठा लेती थी । आए दिन घर में झगड़े होते थे । वह बड़े ही गर्व के साथ कहती थी कि मैं अपने पिता पर गई हूँ । उनके बहुत से गुण मुझमें भी हैं । मेरी भी आदत अभी तक नहीं गई है कि घर को शांत रखा जाए । क्योंकि मेरे ख़याल से तो घर में शांति दूसरों की आँखों में खलती है ।

ऐसे लोगों के लिए आप क्या सोचेंगे । ऐसी भी आदतें लोगों में होती हैं क्या ? बहुएँ तो कहती हैं कि सासु माँ आपकी तो आदत हो गई है हम सबसे लड़ने की क्या सासु माँ आप भी ..

के कामेश्वरी

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