ससुराल के रिश्ते निभाने के लिए मायके की तिलांजली देनी पड़ती है!!!-अर्पणा जायसवाल
- Betiyan Team
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- on Jan 17, 2023
“भैया, आप मम्मी को डॉक्टर के पास लेकर गए थे क्या बताया” साक्षी फोन पर अपने कजिन भाई रोहित से बात कर रही। “ठीक है भैया आप मम्मी को बोलना मैं जल्दी ही आऊंगी” साक्षी रोते हुए बोली और फिर फोन रख कर पलटी तो पीछे सास दमयंती जी खड़ी थी। उसकी आंखे नम देख उनका पारा चढ़ गया, “ये लो घर में शादी का माहौल है और यह महारानी टेसुए बहा कर अपशगुन कर रही।” “मम्मी जी, भैया का फोन था मम्मी की तबीयत ठीक नहीं है। प्लीज आप इजाजत दे दीजिये मैं उनसे मिल कर आ जाऊंगी तो मुझे तसल्ली हो जायेगी” साक्षी ने लगभग गिड़गिड़ाते हुए कहा। “काबू रखो बहू अपने जज़्बातों पर… दो दिन बाद तुम्हारे देवर की हल्दी की रस्म है। मेहमान आने शुरु हो गए है… वो लोग पूछेंगे कि घर की बड़ी बहू कहां है तो मैं क्या जबाब दूंगी। जाओ जाकर मुंह धुल कर हुलिया ठीक करो… मेरे बेटे की शादी है इसलिये अपना मातम वाला चेहरा सबके सामने लेकर मत आना और एक बात अच्छे से समझ लो कि निकुंज को कुछ पता नहीं चलना चाहिये” दमयंती जी साक्षी को सख्त हिदायत देकर बड़बड़ाते हुए निकल ली, “इसीलिये मैं खिलाफ थी साक्षी को अपने घर की दुल्हन बनाने के लिए। मां की इकलौती बेटी… ना बाप और ना भाई।
अब मां बीमार पड़ी है तो झेलो उनको।” साक्षी जब छोटी थी तभी उसके पापा कैंसर की वजह से उसे और उसकी मम्मी अमिता जी को अकेले छोड़ कर चले गए। साक्षी के पापा के परिवार वालों ने कभी भी साक्षी और अमिता जी को किसी चीज की कमी नहीं रखी। साक्षी को अच्छे से पढ़ाया और वो अपनी पढ़ाई पूरी करके स्कूल में पढ़ाने लगी। दमयंती जी अपने बड़े बेटे निकुंज के लिए साक्षी को देखने गयी। उन्हें सब ठीक लगा लेकिन साक्षी के पापा और सगा भाई ना होने के कारण वो साक्षी को नापसंद कर देती है। लेकिन साक्षी से बात करने के बाद निकुंज ने जिद पकड़ ली कि साक्षी ही उसकी पत्नी बनेगी क्योंकि उसे अपने जीवनसाथी के रुप में जैसी लड़की चाहिये साक्षी परफेक्ट है। पति मनोज और बेटे निकुंज की जिद पर साक्षी दमयंती जी की बड़ी बहू बन कर आ गयी। परोक्ष रुप से ना सही किन्तु दमयंती जी ने साक्षी पर जिम्मेदारियों के नाम पर उसके पांव में जंजीर बांध दी। उनकी यही कोशिश रहती कि साक्षी मायके ना जा पाए और अगर गयी भी तो कुछ ही देर बाद किसी ना किसी बहाने से उसे वापस बुला लेती थी। बेटी ससुराल में खुश रहे सभी मां यही चाहती है। इसलिये अमिता जी उसे कभी अपने पास नहीं रोकती, बल्कि हमेशा
उसे यही ताकिद करती कि ससुराल ही उसकी प्राथमिकता होनी चाहिये और फिर वो क्यों चिंता करती है। उसके चाचा-चाची और भैया रोहित है ना उसकी देखभाल के लिए। दमयंती जी ने तो उसे प्रसव में भी नहीं जाने दिया। हमारे खानदान में कोई भी लड़की नहीं है इसलिये साक्षी को भी लड़का ही होगा। लेकिन उनकी यह मिथ्य भी गलत साबित हुयी जब साक्षी ने बहुत ही प्यारी-सी गोलमटोल बेटी को जन्म दिया। उस दिन दमयंती जी की हालत ऐसी थी कि जैसे उनका सब कुछ लुट गया। लेकिन निकुंज, मनोज और देवर अंकुश ने दिल खोल कर बेटी का स्वागत किया। अमिता जी ने अपनी हैसियत के अनुसार बहुत ज्यादा व्यवहार लायी थी। उन्होनें अपनी नातिन के गले में सोने की चेन डाली जिसे चुपके से दमयंती जी ने निकाल दिया और सबके सामने यह कह कर बेइज्जत करने लगी कि उनकी हैसीयत ही नहीं कि अपनी नातिन को सोने का सामान दे सके।
यह तो अच्छा हुआ था कि जब अमिता जी चेन पहना रही थी तब निकुंज ने फोटो खींच ली थी और निकुंज ने धीरे से जाकर दमयंती जी से कहा कि वो चेन वापस कर दे क्योंकि वो नहीं चाहता कि उसकी मां सबके सामने चोर कहलाए।निकुंज की समझदारी से अमिता जी की इज्जत बच गयी। उस दिन के बाद से दमयंती जी अमिता जी को अपनी जानी दुश्मन समझने लगी। बहुत अरमानों से दमयंती जी ने अंकुश के लिए अपने मायके की बुआ के ससुराल से रिश्ता जोड़ा और अब वो अपनी सभी अधूरी ख्वाहिशों (जो निकुंज की शादी में पूरी ना हो सकी) को पूरा करने के लिए बैचेन है। लेकिन कुछ दिनों से अमिता जी की तबियत ठीक नहीं है। वो एक बार साक्षी और गुड़िया को देखने की ज़िद कर रही है। लेकिन दमयंती जी उसे नहीं जाने दे रही… उन्हें डर है कि अगर समधन को देखने साक्षी गयी और उन्हें कुछ हो गया तो साक्षी शुभ काम कैसे करेगी। इसीलिये उन्होनें साक्षी को जाने से मना कर दिया और साथ ही यह भी कोशिश की कि घर में किसी को पता भी ना चले। मां बीमार हो और एक बेटी उसे मिल भी ना पाए तो उसके दिल को कहां चैन मिलेगा। रात भर साक्षी डर के साथ दुआ कर रही थी कि मम्मी जल्दी ही ठीक हो जाए।
उसे बैचेनी से करवट बदलते देख निकुंज की नींद खुल गयी। उसने साक्षी से पूछा लेकिन उसने कुछ नहीं बोला लेकिन उसकी शक्ल देख कर निकुंज समझ गया कि बात साक्षी की मम्मी की है वरना साक्षी इतना बैचेन नहीं होती। उसने साक्षी का हाथ अपने हाथ में लेकर कहा, “क्या हुआ मम्मी को? उनसे बात हुयी?” निकुंज के प्यार भरे शब्दों में साक्षी अपना दर्द ना छुपा पायी और उसने सब बता दिया। निकुंज ने उसे तुरंत तैयार होने को कहा और खुद गुड़िया को गोद में लेकर कमरे से बाहर आ गया।
सुबह दमयंती जी की आवाज से पूरा घर उठ गया। मनोज जी उसे शांत करते हुए बोले, “कभी तो दिमाग से काम लिया करो। घर में मेहमान है और तुम चिल्ला रही हो।” “चिल्लाऊ ना तो क्या करूं!!! आपकी लाडली बहू अभी तक कमरे से बाहर ही नहीं आयी है। सभी मेहमान चाय-नाश्ते का इंतजार कर रहे” दमयंती जी गुस्से में बोली। “साक्षी अपनी मम्मी के पास है और वो शाम तक आएगी” निकुंज के यह बताते ही दमयंती जी अपना पारा खो बैठी, “किससे पूछ कर गयी है… उसकी हिम्मत कैसे हुयी। कह देना उससे कि अब उसे इस घर में वापस आने की जरुरत नहीं।” “मम्मी प्लीज, आपको अच्छे से पता था कि साक्षी की मम्मी की तबियत बहुत ज्यादा खराब है फिर भी आपने उसे नहीं भेजा। आप इतनी पत्थर दिल कैसे हो सकती है… सास बनते ही आपके अंदर का ममत्व कहीं खो गया है। आप कैसे एक बेटी के दर्द को महसूस नहीं कर पायी। एक मां होकर भी आपको मां की तड़प नहीं समझ आयी।
मैंने उसका साथ निभाने का वादा किया है इसलिए मैं तो उसका साथ दूंगा और उसने भी कब अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ा है। अगर ससुराल के रिश्ते निभाने के लिए मायके की तिलांजली देनी पड़ती है तो मैं अपनी गुड़िया की कभी शादी नहीं करूंगा। कहीं उसे भी आपके जैसी पत्थर दिल सास मिल गयी तो मैं अपनी गुड़िया को देखने के लिए भी तरस जाऊंगा। मम्मी, साक्षी को आप जिम्मेदारियों के नाम पर बेड़ियों में मत जकड़िए, वरना मैं ही उसे तोड़ कर आपसे दूर लेकर चला जाऊंगा। उसे एक बार दिल से अपना कर देखो…. बाकी आप खुद समझदार है” निकुंज ने अपनी बात कही और वहां से चला गया। पीछे रह गयी दमयंती जी अपने सासपना की ऐंठन के साथ। दमयंती जी कितना सुधरी नहीं पता लेकिन वो इतना समझ ही गयी कि उनका कृत्य उन्हें बेटे से जरुर दूर कर देगा। स्वरचित, अर्पणा जायसवाल
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