रिश्तों की महक – डाॅ उर्मिला सिन्हा : Moral stories in hindi

 जबसे नैना रमन की जिंदगी में आई है… बहार सी आ गई है। दोनों की नौकरी एक ही मल्टीनेशनल कंपनी में… और सोने पर सुहागा एक ही महानगर में। 

दिन भर लैपटॉप में आंखें गडा़ये… एक ही गाडी़ से वापसी… कुछ बाहर से मंगवा लिया या मिलजुलकर बना- खा लिया… हंसे बोले… अपने-अपने घर बात किया… फिर कल की तैयारी। 

आज रविवार को दोनों  सोये ही थे कि रमन के घर से  फोन आया। 

मम्मी ने जोर देकर कहा”पहली होली है ,तुमदोनों का घर  आना जरुरी है। “

  रमन और  नैना ने हामी भर तो दी लेकिन कुछ उहापोह की स्थिति बन गई। 

“हमें छुट्टी मिलेगी “!

“देखते हैं! “

   दर असल दोनों का विवाह  कुछ महीने पहले हुई थी।  समारोह में हनीमून मनाने में  लंबी छुट्टी लेनी पड़ी थी… काम पेंडिंग  रह गया था।

  होली वह भी पहली …नैना रोमांचित हो उठी, “रमन, होली में चलने की तैयारी करते हैं…आखिर हमारी पहली होली है “!

  “जब हम सभी एकसाथ रहते थे… तब बहुत आनंददायक रहता था… दादा-दादी, चाचा-चाची, बुआ-फूफा…सभी के बच्चे… क्या धमाचौकडी़ मचती थी, तरह-तरह के पकवान, नये कपड़े, रंग गुलाल, गप्पबाजी… अब तुम्हें क्या बताऊं नैना”रमन पुरानी यादों में खो गया। 

  “अब क्यों नहीं मनाते एक साथ होली..” नैना निकट खिसक आई! “कुछ आपसी गलतफहमियां… ईर्ष्या द्वेष मतभेद और क्या। “

 नैना उत्सुकता से पूछ बैठी, “क्यों कुछ मुझे भी बताओ। “

रमन आहत मन से बताता गया..”.पहले सब मिलजुलकर बडी  प्यार से  रहते थे… दादा-दादी, मेरे पापा-मम्मी और चाचा-चाची …हम दोनों  भाई-बहन और चाचा-चाची के दोनों बच्चे… कैसे एक-दूसरे का सम्मान करते थे। बुआ अपने दोनों बच्चों के साथ… त्यौहारों में आती… सभी के लिये नये कपड़े, पिचकारी… रंग-अबीर लाये जाते। पता नहीं किसकी नजर लग गयी। पापा का ट्रांसफ़र बाहर हो गई। मम्मी का मन पापा के साथ अलग रहने का हुआ और छोटी-छोटी बातों से होते हुये… मामला यहाँ तक पहुंचा कि दादा-दादी, चाचा-चाची एक साथ रह गये और हम सभी पापा के पास बाहर चले आये। “

  तबसे जब भी कभी त्यौहार या परिवार में सहयोग की बात आती मम्मी बढते खर्चे का रोना रोकर कन्नी कटा जाती। न खुद जाती न हमें जाने देती। सरल स्वभाव के पापा अकेले जाकर मिल आते… फिर दूरियां बढने लगी। “

“क्या सभी को एक नहीं किया जा सकता “नैना पति के दर्द से आहत हो गई। 

 रमन और नैना गंभीरतापूर्वक इस समस्या का समाधान निकालने लगे। 

  “मम्मी आप और पापा यहीं चले आइये… हमें छुट्टी नहीं मिल रही है। मैं टिकट भेज रहा हूँ। “

  बेटे का बुलावा… पति-पत्नी ठीक होली के एक दिन पहले पहुंचे। 

   बेटा एअरपोर्ट से अपनी गाडी से ले आया… बहु ने दरवाजा खोला, “हैप्पी होली मम्मी जी “बहु ने चरणस्पर्श किया… सासुमां ने हृदय से लगा लिया। 

   जैसे ही अंदर पहुंचे पति-पत्नी… सामने अपने वृद्ध माता-पिता, छोटे भाई ,छोटी बहन को सपरिवार और अपने बेटी दामाद को एक साथ देख चौक पड़े। 

“भईया-भाभी होली मुबारक “छोटा भाई सपत्नीक पैरों पर झुका… ।

   “मां पिताजी आप दोनों “हर्षित पापा दोनों से मिलकर गदगद हो गये। 

मम्मी अभी भी ठोसा जैसी खडी़ थी…रमन नैना की ओर आश्चर्यचकित देख रही थी।

  “हां मम्मी… हमसभी एकसाथ होली का त्यौहार मनायेंगे… अब हम दोनों भी कमाने लगे है…क्या चाची। “

नैना और रमन का उत्साह देखते बन रहा था… सभी के दिलों से मनोमालिन्य मिट चुका था… आखिर थे सभी अपने ही… एक परिवार के सदस्य। 

 रमन नैना के एक बुलावे पर सभी परिजन दौड़ आये। नैना रमन पार्टी आयोजन में, चाची, मम्मी,बुआ  मालपुये दहीबडे़ बनाने में… और पापा चाची दादा-दादी पुरानी बातों में… हंसी ठहाकों से घर गुंजायमान है। यादगार होली का त्यौहार।समझदारबेटे बहू ने दिलों की दूरिया मिटा दी। 

#बेरंग से रिश्ते में  रंग भरने का समय आ गया है…इस वाक्य को चरितार्थ कर दिया रमन और नैना ने। 

सर्वाधिकार सुरक्षित मौलिक-डाॅ उर्मिला सिन्हा©©

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