मेहमान (भाग 3) अंतिम भाग – श्वेत कुमार सिन्हा : Moral Stories in Hindi

ऋतिक और शोभा ने पूरे घर को छान मारा, लेकिन जया-विजया कहीं भी न मिली । पहले अचानक से तेज़ रोशनी का आना और अब जया-विजया का गायब हो जाना- यह सब ऋतिक और शोभा के लिए एक अबूझ पहेली बना था। वे दोनों अभी इस बारे में सोच ही रहें थें कि उनका ध्यान सोफ़े के पास पड़ा उन औरतों के उस भारी भरकम बैग की तरफ गया, जो बारिश के पानी से गीला हो गया था……

……..घर के बाहर जाकर ऋतिक ने उन्हे ढूंढा और आवाज लगाया। पर, वापसी में कोई भी जवाब न मिला।

अचंभित और हताश होकर वह घर के भीतर आया।उन दोनों औरतों के अचानक गायब हो जाने से शोभा के चेहरे पर भी तनाव की लकीरें साफ-साफ दिख रहीं थी।

“मुझे बहुत डर लग रहा है। एक तो जब से वे दोनों औरतें घर में आयी, अजीब-अजीब सी घटनाएँ हो रहीं है। और अब यकायक न जाने वे कहाँ गायब हो गयीं ! अब उनके इस बैग का क्या करना है , क्या है इसके अंदर? मुझे तो इसे छूने में भी डर लग रहा है।”– भयभीत शोभा ने ऋतिक से पूछा।

डरते हुए ऋतिक उस बैग की तरफ बढ़ा। पहले तो पैरों से बैग को हल्का धक्का दिया। फिर, हाथों से संभालकर उसे अपने तरफ खींचा और खोला।

बैग को खोलते ही, ऋतिक और शोभा की आँखें फटी की फटी रह गईं।

पूरा बैग नोटों की गड्डियों से भरा पड़ा था। चौंकते हुए दोनों एक-दूसरे को देखने लगें।

“इतने सारे पैसे……! किसके होंगे, कहाँ से लेकर आ रही होगी वह दोनों ? पूरे नोट गीले हो गए हैं। इसे यहीं छोडकर वे कहाँ चली गयी ? फिर से लेने आएंगी क्या ?” एक साथ ढेर सारे सवाल शोभा के मन-मस्तिष्क में उठ रहें थें, जो उत्सुकतावश उसने ऋतिक से पूछ डालें।

“नहीं। लालच करना ठीक नहीं। किसी न किसी के तो ये पैसे होंगे ही। हमें इसे पुलिस को सौंप देना चाहिए।” – ऋतिक ने शोभा को समझाते हुए कहा।

“पर, पुलिस को क्या कहोगे? कहाँ से आए, इतने पैसे ? क्या जवाब दोगे उन्हे ? यही, कि कोई दो अंजान औरतें आईं और इन पैसों को छोड़ चली गयीं या फिर खुद ब खुद गायब भी हो गईं। पुलिस हम पर ही शक करेंगी।”– शोभा ने ऋतिक को टोकते हुए कहा।

वे दोनों बहुत डरे हुए थें।असमंजस में नोटों से भरे उस बैग को उन्होने संभालकर एक किनारे रख दिया कि अगर जया-विजया वापस लेने आयीं तो उन्हे सही-सलामत लौटा सकें।

सुबह करीब सात बजे।

दरवाजे पर किसी की दस्तक हुई।

रात भर के जगे ऋतिक और शोभा की आँखें अभी थोड़ी देर पहले ही लगी थीं और वे अपने कमरे में आकर लेटे थें।

कॉलबेल की आवाज सुन ऋतिक जाग गया। मुख्य दरवाजे के समीप आकर पूछा कि कौन है तो बाहर से आवाज़ आयी– पुलिस । तब ऋतिक ने दरवाजा खोला।

“कल रात आपलोग कहाँ थें ? – दरवाजा खुलते ही पुलिसवाले ने ऋतिक से पूछा । उनका यह प्रश्न सुन ऋतिक हडबड़ा गया।

“ह…ह…हम सभी यहीं थें, घर पर। क्यूँ, क्या हुआ ?” – बहुत हिम्मत करके ऋतिक ने पुलिस वाले को जवाब दिया।

“बीती रात इतनी आंधी–तूफान में दो UFO पास के जंगल में उतरे थे। UFO तो चला गया, लेकिन, आसपास के CCTV कैमरा में दो अजीब तरह के प्राणी देखने को मिले हैं।  शक है कि वे ऐलिएन्स हैं। खतरे की बात यह है कि CCTV में उन्हे पलभर में अपना रूप बदलते भी देखा गया है। इसलिए, आपलोग सतर्क रहें और किसी भी अंजान आदमी को अच्छी तरह से पूछताछ करके ही घर में प्रवेश दें।”- पुलिसवाले ने बताया।

तबतक, शोभा भी जाग चुकी थी और पुलिसवाले की आवाज़ सुन बाहर दरवाजे पर आ खड़ी थी।

ऋतिक ने शोभा को निगाहों ही निगाहों में नोटों से भरे उस बैग के बारे में बताने का इशारा किया।

“क्या हुआ ? आपलोग ठीक तो है न, सर। अगर कोई भी परेशानी हो तो हमें बेझिझक बता सकते हैं। छोटी से छोटी लापरवाही भी अभी खतरनाक साबित हो सकती है। अगर आपलोग को कुछ भी अजीब लगे तो हमें तुरंत बताएं।” – यह कहता हुआ पुलिसवाला अपना कांटैक्ट नंबर ऋतिक को दिया और वापस चला गया।

उनके जाते ही ऋतिक ने दरवाजा बंद किया। डर के मारे वे दोनों पसीने से लथपथ थें।

ऋतिक और शोभा बड़े असमंजस में घिरे थें । एक तरफ जहां अजीब परिस्थिति में मरा पड़ा हुआ उनका कुत्ता – टौमी, तो वहीं दूसरी तरफ नोटों से भरे हुए बैग!  उन दोनों को न तो यह सब छिपाते बन रहा था और न ही बताते । क्या करें, क्या न करें- कुछ भी समझ न आ रहा था।

अंततः, उन्होने निर्णय लिया कि अब चाहे जो भी हो, बीती रात की घटी सारी घटनाएँ वे पुलिसवालों को बताएँगे और यही ठीक भी होगा । आगे जो भी होगा, देखा जाएगा।

ऋतिक ने पुलिस इंस्पेक्टर को फोन लगाया । पर, फोन व्यस्त आ रहा था । शोभा ने समाचार देखने के लिए TV ऑन किया, जिसमे हर चैनल पर UFO से जुड़ा समाचार ही छाया हुआ था।

तभी, एक समाचार ने शोभा के होश उड़ा दिए कि जंगल के उस पार, जहां UFO उतरा था, वहां पर एक बैंक स्थित था और अब उसका वहां कोई नामोनिशान भी नही है।

शोभा ने आवाज़ लगाकर ऋतिक को बुलाया । ऋतिक ने भी वह समाचार देखा । उसे देख उन दोनों को समझते देर न लगी कि ये रूपएँ कहाँ से आयें।

ऋतिक ने फिर से उस पुलिसवाले को फोन लगाया। इसबार, फोन लग गया और उसने पुलिसवाले को जल्दी से जल्दी घर आने को कहा।

पूरे दल-बल के साथ पुलिस ऋतिक के घर पहुँच गई।

ऋतिक और शोभा ने बीती रात की घटित पूरी घटना पुलिस इंस्पेक्टर को बतायी और नोटों से भरा बैग उनके हवाले कर दिया।

साथ ही, ऋतिक ने बताया कि वे लोग डरे हुए थें। इसीलिए, पैसे वाली बात उन सबसे छिपायी। इतना बोलकर, पुलिस इंस्पेक्टर को भीतर कमरे में लेकर आया और अजीब परिस्थिति में मृत पड़े कुत्ते – टोमी को दिखाया। अब तक, उस कुत्ते के चारो तरफ बिखरा खून नीला पड़ चुका था।

पुलिस इंस्पेक्टर ने जिला मुख्यलाय फोन करके UFO के लिए जानकारी इकठ्ठा करने आए वैज्ञानिकों की टीम को उस जगह पर अविलंब पहुँचने का अनुरोध किया।

इंस्पेक्टर ने ऋतिक और शोभा को बताया कि उनकी पूरी टीम लापता बैंक और उसके गायब पैसों का पता लगाने में जुटी है। साथ ही, धन्यवाद देते हुए कहा कि गरीब जनता के पैसों को लौटाकर उन्होने बहुत भलाई का काम किया है। 

तबतक, वैज्ञानिकों की टीम भी ऋतिक के घर पहुँच गयी। उन्होने पूरे घर का छानबीन किया और extra-terrestrial activities से जुड़े ढेर सारे नमूने पूरे घर में मिले । कुत्ते के शरीर में और उसके आसपास बिखरे खून में भी उन्हे अजीब तरह के chemicals मिलें।

तभी, पुलिस इंस्पेक्टर ने वैज्ञानिकों की टीम की तरफ कपड़े का एक पैकेट बढ़ाया, जो उसे ऋतिक के घर के बाहर ही पड़ा मिला था। उस पैकेट में रखे कपड़ों को देख शोभा चौंकते हुए बोल पड़ी कि यह तो उसके ही कपड़े हैं, जो उसने जया-विजया को पहनने के लिए दिए थें। वे कपड़े भी नीले धब्बों से भरे पड़े थें, जिन्हे देख वैज्ञानिकों ने बताया कि यह धब्बे बिलकुल वैसे ही हैं, जैसे अंदर मरे हुए कुत्ते के शरीर और उसके आसपास से मिले हैं।

शोभा ने पुलिस इंस्पेक्टर को बताया कि जया-विजया के कथनानुसार वे दोनों पास के ही चिनानेर गाँव की रहने वाली थीं। इसपर इंस्पेक्टर ने कहा कि यहाँ दूर- दूर तक कहीं भी कोई चिनानेर गाँव नहीं है और उन औरतों ने झूठ बोला था।

अब, ऋतिक और शोभा को बेटे–आरव के साथ उस घर में रहना खतरे से खाली नहीं लग रहा था। संभावित खतरों को भांपते हुए वैज्ञानिकों ने भी उन्हें अविलंब अपना घर छोड़ देने की सलाह दी।

आरव को कार में बिठा ऋतिक और शोभा, तीनों उस घर को छोड़ शहर की ओर चल दिए।

                          । । समाप्त । ।

सभी पाठकों से निवेदन है कि अपनी राय अवश्य दें, जो मुझे अच्छी रचनाएं लिखने के लिए प्रेरित करती हैं।

धन्यवाद ।

मूल कृति :श्वेत कुमार सिन्हा

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