अपना घर स्वर्ग -ऋतु गुप्ता : Moral Stories in Hindi

आज दोनों बुजुर्ग दम्पत्ति लखमीचंद जी और उनकी पत्नी पुष्पा जी झूले पर बैठे अपने घर के आंगन में अपने स्वर्ग जैसे घर का आनंद ले रहे थे। तभी लख्मी चंद जी की आंखों के सामने  तीन वर्ष पहले का एक दृश्य सचित्र घूम गया, जब उन्होंने अपने बेटे से कहा था….. बेटा कहां थे … Read more

अगले जन्म मोहे बिटिया ही कीजो -शनाया : Moral Stories in Hindi

बालकनी में डला झूला और उस पर बैठी माही, हर सुबह की तरह आज भी बालकनी में बैठे बैठे अख़बार पढ़ रही थी और आने जाने वाले लोगों को देखकर उसे जो ख़ुशी महसूस होती थी , उसी ख़ुशी को आज भी महसूस कर रही थी।  उसे अच्छा लगता था ऐसे सुबह सुबह सोसाइटी के … Read more

बुढ़ापा -डाॅक्टर संजु झा : Moral Stories in Hindi

मनुष्य जिन्दगी के तीन पहर तो आसानी से काट लेता है,परन्तु चौथा पहर काटना उसके लिए कठिन हो जाता है।बुढ़ापे में स्वास्थ्य भी गिरने लगता है,उसपर से अगर हमसफ़र का साथ छूट जाएँ तो जिन्दगी ‘कोढ़ में खाज’ के समान लगने लगती है।बुढ़ापे में ऊषा जी को अपना वतन बहुत याद आता है।यहाँ अमेरिका में … Read more

जीवन का सवेरा (भाग -7 ) – आरती झा आद्या : Moral stories in hindi

“जल्दी से फ्रेश हो लो। मैं खाना लगाती हूँ। खुद भी भूखे रहो और सबको भूखा रखो।” बोल क़र बड़बड़ाती हुईं राधा किचन की ओर बढ़ गई। “और सब लोग सो गए हैं। सबने खाना खा लिया था ना।” आरुणि अपनी सहेलियों के साथ अंदर आती हुई पूछती है। “हाँ सबने खाना तो खा लिया … Read more

अंतिम यात्रा – भगवती सक्सेना : Moral Stories in Hindi

बचपन से साथ खेलते रहे हरी और यशोदा पड़ोसी भी थे। गाँव का हरा भरा खुला वातावरण था, कभी तालाब कभी खेत मे बच्चो का खेलना सबको अच्छा लगता था। एक बार तालाब के किनारे दौड़ते हुए यशोदा फिसल गयी और तालाब में गिर पड़ी। उस समय बारिश का समय था, पानी बहुत था, किसी … Read more

जीवन का सवेरा (भाग -6) – आरती झा आद्या : Moral stories in hindi

“मोहतरमा तभी इतनी इठलाती किचन के अन्दर गई थी”, रोहित कैफ़े के बाहर जाकर बोर्ड देखकर अंदर आता है और जोर से हँसते हुआ बोलता है, “आरुणि कैफे बड़े बड़े अक्षरों में लिखा है। मैंने कभी देखा ही नहीं, मेरे जैसे लोग आँख होते हुए भी अंधे होते हैं।” “और दिमाग होते हुए भी कमअक्ल”… … Read more

बुढ़ापा – पूजा शर्मा : Moral Stories in Hindi

तो फिर क्या निर्णय लिया आपने, छाया ने विवेक से पूछा। अरे इसमें सोचने वाली क्या बात है वो भाभी थी मेरी, जैसे भी हो वो मेरे बड़े भैया हैं आज अपने जीवनसाथी की मृत्यु के बाद उनकी हालत कैसी होगी मैं समझ सकता हूं। भले ही हम उनके दोनों बेटों की शादी में ना … Read more

अम्माजी -डॉक्टर संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

“मिला कोई किराए का मकान आज?”स्वाति ने पूछा तो ऋषभ का मुंह उतर गया,निराशा से बोला, “नहीं!आज भी नहीं।जहां मकान समझ आता है वहां किराया ज्यादा है और जहां किराया कम है वहां जगह समझ नहीं आती,हमें समझ आ भी जाए तो अम्मा जी का क्या करूं?वो नाक में दम कर देंगी।देखा नहीं कैसे पिछले … Read more

अपनी अपनी सोच -माधुरी गुप्ता : Moral Stories in Hindi

अधिकांश लोग बुढ़ापे को एक रोग मानकर रोते कलपते जिन्दगी बिताते हैं,ये लोग बुढ़ापे को ज़िन्दगी का बोझ समझते हैं,इसी मानसिकता के कारण कई सारी बीमारियो को न्योता दे देते हैं।वहीं कुछ ज़िन्दा दिललोग बुढ़ापे को लाइफ़ का स्वर्णिम काल कहते हैं, क्योंकि इस उम्र तक आते-आते आप अपनी जिम्मेदारियों से निश्चित हो चुके होते … Read more

ये वादा रहा -पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

पूजाघर से घंटी की आवाज आ रही थी ।मां जी ( कल्याणी जी) आरती  गा रही थी।सुबह उठ कर घर में पूजा करती फिर,बहू वैशाली तब तक नाश्ता तैयार कर लेती, फिर नाश्ता करके मंदिर निकल जाती।  मोहल्ले की उनके उम्र की औरतें मंदिर में जाकर दर्शन करने के बाद मंदिर के पीछे वाले चबूतरे … Read more

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