क्या बिना पैसों वालों की औकात नहीं होती – हेमलता गुप्ता: Moral stories in hindi

यह देखो रिचा… तुम्हारे पापा ने नेग में₹1100 ही दिए हैं, क्या यही औकात रह गई है मेरी! महीने की लाखों की सैलरी है मेरी, अच्छा लगता है ₹1100 देना… !अरे यार नितेश.. प्लीज.. यहां तो शांत हो जाओ, यह तुम्हारा घर नहीं है मेरा मायका है, और यहां तुम इकलौते जमाई नहीं हो, मेरे पापा के चार जमाई है, तो वह तुम सब में भेदभाव कैसे कर सकते हैं..? उनके लिए चारों जमाई एक समान है, कौन कितना कमाता है कितना नहीं, यहां इन सबसे फर्क नहीं पड़ता!

और वैसे भी हम सब यहां मेरी मम्मी के समाचार लेने के लिए इकट्ठा हुए थे, कोई शादी या किसी पारिवारिक फंक्शन में नहीं आए, जो तुम्हें अच्छा खासा नेग चाहिए! अच्छा… तुम्हारे उन तीनों जीजाओ की मेरे सामने औकात है क्या.? एक की  परचूनी की दुकान है, एक की कपड़े की दुकान है और तीसरा.. मास्टर की नौकरी कर रहा है, और मुझे देखो… सिविल इंजीनियर हूं, तो मेरा पद तुम्हारे तीनों जीजाजिओ के आगे तो बड़ा ही है ना.. तो इस हिसाब से तो मुझे सम्मान अधिक मिलना चाहिए! जी नहीं..

तुम गलतफहमी में मत रहो, यहां चाहे कोई किसी भी पद पर हो किंतु पापा मम्मी के लिए सभी जमाई एक समान है और  वैसे भी भी नितेश.. तुम तो लाखों कमाते हो तुम्हें 500 या 1000 ज्यादा कम मिल भी गए तो उसमें क्या तुम्हारे सम्मान में फर्क पड़ जाएगा, और वैसे भी तो एक बात मत भूलो, 5 साल पहले जब मेरे पापा ने तुम्हें देखा था तब तुम्हारी सैलरी भी मात्र ₹35000 महीना थी, वह तो अब तरक्की करते-करते लाखों रुपए महीना हो गई है, इसका मतलब यह तो नहीं कि तुम्हारा पद ससुराल में  बढ़ गया हो, तुम पापा जी के छोटे जमाई थे और छोटे जमाइ ही रहोगे!

घर में कैसा छोटा बड़ा पद यार,  बिना बात का क्यों बतंगड़  बना रहे हो! अच्छा एक बात बताओ… तुम्हारी तो इकलौती बहन है, जब तुम्हारे जीजा जी तुम्हारे यहां आते हैं तुम्हारे पापा जी भी तो उन्हें विदा करते समय ₹2100 देते हैं, इस हिसाब से अगर देखा जाए तो आज भी हम चारों बहनों के मिलकर 4400 बनते हैं, और यह रकम तुम्हारे जीजा जी के आगे दुगने हैं, लेकिन मैंने तो कभी इन सब के बारे में सोचा ही नहीं और वैसे भी अभी प्लीज.. यहां पर कोई बखेड़ा खड़ा मत कर देना, जो भी तुम्हें बात करनी हो हम घर चलकर करेंगे,

वैसे भी शाम को  सभी लोग जा ही रहे हैं,  मम्मी की तबीयत भी अब काफी ठीक है,हम तो सिर्फ मम्मी से मिलने आए थे, मम्मी के अचानक से हार्ट अटैक आ गया था ,इसलिए फटाफट भाग कर चारों बहनें यहां पहुंचे थे ,और वैसे भी मम्मी को देखभाल की जरूरत है,  महीने दो महीने तक हम चारों बहनों में से कोई ना कोई मम्मी के पास आती रहेगी, फिलहाल बड़ी दीदी यहां रुक रही है! और यह लेने देने से क्या होता है! तुम नहीं समझोगी रिचा… जब घर जाकर मम्मी पूछेगी कि तेरे ससुराल वालों ने तुझे क्या दिया तो मैं क्या बताऊंगा ,एक साल बाद मैं तुम्हारे यहां पर आया हूं और उस पर भी सिर्फ इतना सा….!

मेरी तो नाक कट जाएगी..! देखो नितेश जो सच है वह सच है,  मम्मी जी को अगर बताओगे तो उन्हें भी बुरा नहीं लगेगा और वैसे  भी नितेश एक बात बताओ.. क्या जिसके पास ज्यादा पैसा होता है वही औकात वाला होता है, इसका मतलब तो जिन लोगों के पास धन दौलत नहीं है उनकी  दुनिया में औकात ही नहीं है, इसका मतलब दुनिया में बहुत कम लोग औकात वाले हैं! अरे यार… औकात पैसों से नहीं मन से  नापनी चाहिए,  तीनों जीजा जी को देखो.. क्या उन्होंने कभी भी आज तक ऐसी बातें की है..

तुम्हें क्या लगता है क्या उनके यहां पैसों की कमी है,  उन्होंने तो हमेशा ही यहां आकर बेटों का फर्ज निभाया है, तुम्हें तो पता ही है हम केवल चार बहने ही हैं, हमारा कोई भाई भी नहीं है, अगर सभी जीजा जी इसी तरह का रवैया अपनाने लग जाए तो पापा मम्मी तो वैसे ही मर जाएंगे!. नितेश.. तुम्हें तो अपने सास ससुर का  सहारा बनना चाहिए, जिस प्रकार तुम एक अच्छे बेटे हो उसी प्रकार एक अच्छे जमाई बनकर दिखाओ तो मुझे बहुत खुशी होगी! क्या कभी भी तुम्हारे जीजा जी ने तुम्हारी बहन को कम पैसे के लिए ताना मारा है, नहीं ना.. तो फिर तुम ऐसा क्यों सोच रहे हो.?

मेरे पापा की जितनी औकात है, उन्होंने उससे हमेशा ही बढ़-चढ़कर किया है, देखो सब घरों की अपनी-अपनी परिस्थितियों होती है, किसी किसी के लिए₹100 भी बहुत बड़ी चीज होती है और किसी के लिए लाखों रुपए की भी कोई कीमत नहीं होती! इसलिए औकात को कभी पैसों से नहीं तोलना चाहिए! आज तुमने मेरा बहुत दिल दुखाया है नितेश.. अगर यह बात मेरे घर वालों को पता चल गई तो उनकी नजरों में हमारी क्या इज्जत रह जाएगी..! हां.. रिचा… तुम बिल्कुल सही कह रही हो,

आई एम वेरी सॉरी, देखना मैं तुम्हारे तीनों जीजाजियों की तरह पापा मम्मी का सहारा बनूगा.. ना की शर्मिंदगी का कारण,..आज तुमने मेरी आंखें खोल दी है, सही है कम या या ज्यादा पैसों से कोई अमीर गरीब तो नहीं हो जाता, अगर मेरी बहन के साथ भी ऐसा होता तो हमें भी तो कितना बुरा लगता, इसलिए थैंक यू रिचा.. आगे से मैं कभी भी इस बात के लिए तुम्हें ताने  नहीं मारूंगा क्योंकि मैं समझ गया हर मां-बाप अपनी हैसियत से बढ़कर ही अपनी बेटियों के लिए करते हैं और पैसों से औकात का कोई लेना-देना नहीं है !और नीतीश में यह बदलाव देखकर  रिचा की  आंखें नम हो गई!

    हेमलता गुप्ता स्वरचित

 साप्ताहिक प्रतियोगिता “औकात”

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