गर्व है हमें ऐसे नागरिकों पर – नेकराम Moral Stories in Hindi

बाबूजी आंखें खोलो रात भर से आपका बुखार उतरा नहीं सर भी कितना गर्म है बाहर गली में लोग 2024 के नए साल का जश्न मनाते रहे आसपास के आधे से ज्यादा डॉक्टरो की दुकानें बंद हो चुकी थी
सोचा कि सुबह होते ही तुम्हें अस्पताल दिखा लाऊं सुबह हो चुकी है
बाबूजी आंखें खोलो ,,, बाबूजी आंखें खोलो,,,
किशन के पिता राम प्रसाद ने जिनकी उम्र 62 वर्ष है धीरे से आंखें खोली
किशन ने बताया
सुबह के 5:00 बज चुके हैं बाहर अभी भी कोहरा छाया हुआ है आज
2024 के नए साल का पहला दिन है
सुरेश की मां पानी की गरम पट्टी करते हुए बोली बाबूजी से बातें ही करते रहोगे या अस्पताल भी ले जाओगे पास में एक सरकारी अस्पताल है दिल्ली का जयप्रकाश नारायण हॉस्पिटल वहां किसी एक गार्ड से अपनी जान पहचान है वह तुम्हारी बात डॉक्टर से करवा देगा तो शायद तुम्हारे बाबूजी का अच्छे से इलाज हो सके
किशन ऑटो की व्यवस्था करने के लिए बाहर चल पड़ा
10 मिनट बाद
किशन थका हारा खाली हाथ लौट आया उदास चेहरा बनाकर बोला
ऑटो रिक्शा रात भर चलते रहे नए साल की खुशी में ,,, अब सुबह सबके सब सो रहे हैं सड़के सुनसान पड़ी है कोई ना दिखा तो मैं खाली हाथ लौट आया हूं
मां दौड़ी दौड़ी पड़ोस में गई वहां एक बाइक खड़ी हुई थी बाइक से 3 मीटर दूरी पर एक दरवाजा था जिसे किशन की मां ने खटखटाना शुरू किया
दरवाजा खुल गया किशन की मां ने बताया किशन के बाबूजी को रात भर से बुखार है ऑटो वाले बिल्कुल नहीं मिल रहे हैं क्या आप हमें अपनी बाइक दिखा सकते हैं दिल्ली के जयप्रकाश नारायण हॉस्पिटल में जाना है वहां के डॉक्टर मरीजों को अच्छे से देख लेते हैं
पड़ोसन ने तुरंत बाइक की चाबी दे दी अब तक बाबूजी भी कमरे से बाहर आकर सड़क पर खड़े हो चुके थे किशन ने जल्दी से बाइक स्टार्ट की ,,,, बाबूजी को मां ने बाइक के पीछे बिठा दिया
कोहरे की वजह से कुछ दिखाई ना दे रहा था फिर भी किशन ईश्वर का नाम लेकर बाइक चलाता रहा 15 मिनट का सफर तय करने के बाद किशन दिल्ली के जयप्रकाश नारायण हॉस्पिटल में पहुंच गया
बाबूजी की पर्ची बनवाकर तुरंत एडमिट करवा दिया डॉक्टरों ने बहुत अच्छे से देखा और किशन से कहा घबराने की कोई बात नहीं है आप अपने पिताजी को समय पर ले आए हैं मगर तुम कैसे बेटे हो ,, तुम अपने पिताजी को इतनी ठंड में ले आए ध्यान से देखो आपके बाबूजी का शरीर कितना कांप रहा है तुम कैसे बेटे हो कम से कम अपने पिता के लिए गर्म कपड़े तो लेते आते
किशन आंखें नीचे करके डॉक्टर साहब से कहने लगा बाबूजी का बुखार इतना तेज था,,,, गर्म कपड़े और कंबल साथ में लाने का बिल्कुल भी ख्याल ना रहा
मैं अभी घर जाकर कंबल ले आता हूं
डॉक्टर साहब ने किशन को रोकते हुए कहा,, मरीज अभी-अभी एडमिट हुआ है एक-दो घंटे आपको यहां अभी रहना होगा बुखार थोड़ा कम हो जाए यहां सब मरीजों के साथ उनके परिजन साथ में आए हुए हैं
किशन डॉक्टर की बात सुनकर बाबूजी के पास बगल में बैठ गया
डॉक्टर साहब वार्ड से बाहर चले गए
किशन ने देखा पलंग पर बहुत से मरीज लेटे हुए हैं कुछ मरीजों के पास कंबल नहीं है यह लोग भी जल्दबाजी में कुछ ना कुछ सामान घर पर भूल आए हैं अब डॉक्टर घर जाने के लिए भी अनुमति नहीं दे रहे हैं
बाबूजी का शरीर सर्दी की वजह से ठिठूर रहा था दवाई मिलने की वजह से बुखार तो उतर गया था तभी एक सुरक्षा कर्मी वार्ड के भीतर घुसते हुए बोला
अस्पताल के बाहर कुछ साहब लोग आए हुए हैं वह अभी कंबल बांटने वाले हैं जिन्हें कंबल चाहिए वह अस्पताल के बाहर पहुंच जाए
किशन और वार्ड के कुछ लोग जो अपने-अपने मरीज के बगल में बैठे हुए थे कंबल का नाम सुनकर उनके उदास चेहरों पर मुस्कान आ गई
किशन के साथ सभी लोग अस्पताल के बाहर पहुंचे
वहां कुछ लोग 50 कंबलों से बंधा बड़ा सा गट्ठर सड़क पर रखे हुए खड़े थे
किशन ने गौर से देखा और अपने साथ आए हुए लोगों को बताया
इन लोगों को तो मैं अच्छी तरह जानता हूं यह जो नीली जैकेट पहने हुए हैं इनका नाम मुकेश पटेल है सोशल मीडिया पर कहानियां लिखते हैं
और यह जो गौरे से चेहरे वाली मैम साहब है इनका नाम पारुल अग्रवाल मैम है
यह भी सोशल मीडिया पर कहानियां लिखती है
और यह संतरी जैकेट वाले भैया है इनका नाम Haren
कुमार है यह समाज सेवक है
किशन के साथ खड़ी एक बुजुर्ग महिला ने उंगली करते हुए कहा और यह चौथे साहब कौन है ,,,
किशन ने झट से बताया इन साहब का नाम मनीष है ,, यह भी समाज सेवक है
किशन के साथ आए हुए मरीज के परिजनों ने एक एक कंबल लिया
अस्पताल के वार्ड की तरफ जाते हुए आपस में कहने लगे
गर्व है हमें ऐसे नागरिकों पर
नेकराम सिक्योरिटी गार्ड मुखर्जी नगर दिल्ली से

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