आज मैं ऊपर, आसमां नीचे – सुषमा यादव

जिंदगी के रंग कई हैं, कभी वो हंसाती है तो कभी रुलाती है। सच में ये जिंदगी क्या, क्या तमाशे दिखाती है। कभी अर्श से फर्श पर पटकती है तो कभी फर्श से अर्श पर ले जाती है,, जी हां, जिंदगी इम्तिहान लेती है, मेरे स्कूल की बहुत ही बेहतरीन शिक्षिका और मेरी छोटी बहन … Read more

जब आए संतोष धन….!! – मीनू झा 

उसे जो कुछ मिला था जिंदगी में उसमें वो खुशी नहीं ढूंढ सकी… क्योंकि और ज्यादा और ज्यादा का लालच उसके दिलों दिमाग पर काबिज़ था…वो तो रूकने को तैयार ना थी पर जिंदगी को तो रूकना था ना! निशा की सबसे प्यारी दोस्त विजया की भाभी ने विजया के बारे में पूछने पर बताया,जो … Read more

जिंदगी – आरती झा आद्या

तो हम क्या कर सकते हैं। हमलोग भी इंसान हैं, भगवान नहीं। पैसे नहीं हैं तो सरकारी अस्पताल में जाइए…अमरनाथ हॉस्पिटल के मालिक डॉक्टर अमर मरीज के तीमारदारों पर चिल्ला रहे थे। डॉक्टर साहब…सरकारी अस्पताल बहुत दूर है। कुछ कीजिए डॉक्टर साहब। मेरे बेटे का बहुत खून बह गया है। मर जाएगा मेरा बेटा… एक … Read more

अपनापन – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा

 शाम गहराती जा रही थी। ऑफिस में ज्यादा काम होने के कारण आज मुझे बस स्टैंड पहुँचने में देरी हो गई थी। चिंता और भय के कारण पसीना बूंद बनको मेरे माथे से टपक रहा था। धीरे-धीरे स्टैंड लोगों से खाली होने लगा था। मुझे अकेली खड़ी देख चार पांच गाड़ी वाले पूछ चुके थे … Read more

बूढ़ी घोड़ी, लाल लगाम – सोनिया कुशवाहा

“बहन जी देखा आपने अंजू को?” मिसेज़ कुमार ने मिसेज़ सक्सेना से पूछा। “हद हो गई भई, दोनों बेटियों की शादी क्या हुई ये दोनों मिया बीवी को तो पर ही लग गए। जमीन पर पैर ही नहीं टिकते इनके। ना शर्म है ना उम्र का लिहाज।” इस बार  मिसेज़ पांडेय ने जुमला उछाला। “छोड़ो, … Read more

दो कुँवारे हुए एक – संगीता अग्रवाल

“अरे यार ये गाड़ी के ब्रेक क्यो नहीं लग रहे लगता है आज तो यमराज से साक्षात् दर्शन होंगे !” रागिनी स्कूटी चलाते हुए बड़बड़ाई। ” ओ मैडम , मैडम देख क…!” इससे पहले की सामने से आती गाड़ी मे बैठे शख्स का वाक्य पूरा होता रागिनी की स्कूटी एक पेड़ से टकरा गई और … Read more

कौन अपना कौन पराया – वक्त ने बताया –  गीता वाधवानी

शिखा घर की सबसे छोटी बहू थी। उसकी तीन जेठ जेठानियां और पांच विवाहित ननंदे थीं। शिखा के पति विशाल घर में सबसे छोटे थे। इन दोनों का एक 10 वर्षीय बेटा था-खुश।        शिखा के सबसे बड़ी ननद के पोते की सगाई का समारोह था। ऐसे समारोह में सबका जाना बनता ही है, लेकिन इस … Read more

स्वाभिमान – के कामेश्वरी

पल्लवी अपने कमरे में कल की एम सेट की परीक्षा की तैयारी में लगी हुई थी । वह अपने माता-पिता की बहुत ही होनहार बेटी थी । दसवीं कक्षा में टॉपर रही थी । उसे किसी भी हालत में इंजीनियरिंग कॉलेज में दाख़िला लेना था इसलिए वह रात को भी जगकर जी जान से पढ़ाई … Read more

एक पिता का स्वाभिमान – पूजा मनोज अग्रवाल

राम किशन जी बरेली के एक गांव में अपनी पत्नी और बेटे के साथ रहते थे । गांव में उनका धूप अगरबत्ती बनाने का छोटा सा व्यवसाय था । परिवार इतना नेकदिल था कि चर्चा पूरे आस पास के गांवों में थी । रामकिशन जी और उनकी पत्नी सावित्री जी दोनो ही धार्मिक स्वभाव के … Read more

सपनें खुली आँखों के – डॉ. पारुल अग्रवाल

आदित्य आज बहुत खुश था,आज उसे अपनी वर्षों की कठिन मेहनत और तपस्या का फल मिलने वाला था। इसी दिन की खातिर वो अपने परिवार से इतनी दूर अकेले रह रहा था। आज उसके खुली आंखों से देखे सपने पूरे होने वाले थे। उसने खुशी-खुशी ऑटो लिया और पहुंच गया फिल्म स्टूडियो में जहां प्रसिद्ध … Read more

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