आज मैं ऊपर, आसमां नीचे – सुषमा यादव

जिंदगी के रंग कई हैं, कभी वो हंसाती है तो कभी रुलाती है।

सच में ये जिंदगी क्या, क्या तमाशे दिखाती है।

कभी अर्श से फर्श पर पटकती है तो कभी फर्श से अर्श पर ले जाती है,, जी हां, जिंदगी इम्तिहान लेती है,

मेरे स्कूल की बहुत ही बेहतरीन शिक्षिका और मेरी छोटी बहन जैसी के बेटे की शादी में मैं गई, जाना तो नहीं चाहती थी,पर उन्होंने बहुत अनुरोध किया तो मैं कुछ उदास और अनमने मन से गई। दरअसल सेवानिवृत्त होने के बाद मैं उस स्कूल आज़ तक नहीं गई, क्यों कि सभी बच्चे और पूरा स्टाफ इतना रोया था कि मैं उस दिन को आज तक नहीं भूल पाईं हूं,हम सभी फूट फूटकर रो रहे थे, छात्राएं तो ऐसे लिपट कर बिलख बिलख कर रो रहीं थीं, जैसे बेटी विदा हो कर ससुराल जा रही हो।

मैं उन सबका सामना नहीं करना चाहती थी, फिर वही सब याद आता, मेरी जिंदगी में भी बहुत कुछ अनहोनी घटनाएं घट चुकी थी,सब मुझे सहानुभूति की नजरों से देखते, ये मुझे हरगिज़ गवारा ना था। मैं उस खुशी के माहौल को गमगीन नहीं करना चाहती थी। जिंदगी ने वैसे भी मुझे कई ग़म दिये हैं, पर मैं दूसरों की खुशियां क्यों छीनूं।

इस बेदर्द जिंदगी ने मुझे अर्श से फर्श पर लाकर पटक दिया था।




मैं वहां गई और सबकी निगाहें बचाती हुई चुपचाप जाकर शामियाने में बैठ गई। सामने मंच पर बहुत सुंदर नागिन डांस चल रहा था, मैं उसमें खो गई थी,

अचानक वो मेरी टीचर बहन ने आकर मुझे गले से लगा लिया और उनका दूल्हा बना बेटा मेरे पैरों पर झुक गया, मैंने उसे बधाई देते हुए ढेर सारा आशीर्वाद दिया। 

हमने साथ में फोटो भी खिंचवाए।

इतने में कहीं से आवाज आई, अरे,देखो, वो मैडम भी आईं हैं और कोने में चुपचाप अकेले ही बैठी हैं, सबने आकर मुझे घेर लिया और पकड़ कर बाहर जहां सब खाना खा रहे थे,ले आईं।

मैं नज़रें झुका कर सबसे बचने की कोशिश कर रही थी, किसी ना किसी की आड़ में जाकर खड़ी हो जाती, एक एक करके सभी शिक्षक, शिक्षिकाएं मेरे पास आने लगे, और चारों तरफ से आवाजें आने लगी,,

वाह, मैडम, आप क्या गजब की कहानियां लिखतीं हैं। 

एक ने कहा,आप कहां से ऐसे विचार लाती हैं। तो किसी ने कहा,अरे, इनकी कविताएं आपने पढ़ी, सब एक से बढ़कर एक होते हैं। ये सब सुनकर मेरे चेहरे पर चमक आने लगी, खुशी मेरे चेहरे पर छाने लगी।

इतने में एक सर जी की पत्नी मेरे पास आईं और मेरे हाथों को थाम कर खुश होते हुए बोली, मैडम, आपने इनके ऊपर कितनी बेहतरीन कहानी लिखी हैं, आपने इनके बहू आयामी गुणों को अपनी कलम से कितना बढ़िया उकेर दिया है,,हम सब हैरान हैं, हमने आपकी इन पर लिखी गई कहानी को अपने परिवार वालों, सभी जान पहचान वालों तथा बिहार में अपने मायके सबको पढ़ने को भेजा। सबके साथ साझा किया। सब आश्चर्य चकित थे कि इतना बढ़िया चरित्र चित्रण कैसे किया उन्होंने। 




बहुत सुंदर लिखा है। उनकी पत्नी तारीफ करते हुए आत्मविभोर हो रहीं थीं, और मेरा बार बार धन्यवाद आभार प्रकट कर रहीं थीं, अपने घर आने का अनुरोध कर रहीं थीं। 

अभी मैं सबका अभिवादन स्वीकार कर ही रही थी कि एक तरफ से आवाज आई,,सर जी,सर जी, इधर आइए,अपनी लेखिका मैडम जी से मिलिए,

मैंने देखा, प्रिंसिपल साहब तेजी से लपकते हुए आ रहे थे, अरे, कहां हैं, मैंने सकुचाते हुए सामने आकर नमस्ते किया,इतने में वो बहुत खुश होकर चहकते हुए बोले,,आपकी हम सभी कहानियां और कविताएं पढ़ते हैं,समय व्यतीत करने के लिए आपने बहुत अच्छा जरिया चुना,आप बहुत कमाल का और गज़ब का लिखतीं हैं। पर ये तो बताईए मैडम जी, आपने अपना ये हुनर अब तक क्यों छुपाए रखा।

आप जब तक स्कूल में थीं आपने क्यों नहीं बताया कि आप लिखतीं भी हैं। हमें तो अब आपके रिटायरमेंट के बाद पता चला है,। सबसे कहने लगे, आप सब जानते हैं,इनको कितने सम्मान पत्र मिल चुके हैं, ।।

एक सर ने कहा, आप कहां से ऐसी कहानियां अपने दिमाग में लातीं हैं।

मैंने कहा,सर जी, पहले केवल डायरी में लिखती थी। पर अब मुझे एक विशाल साहित्यिक मंच मिल गया है, वो हम सब नवोदित लेखकों को उभार कर उनकी लेखनी से सबको परिचित करा रहा है, उन्हें वह मंच प्रोत्साहित करके उनका मनोबल ऊंचा करने में तरह तरह की भूमिका निभा रहा है, उस मंच के कारण सभी लेखक अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं कि उनकी कहानियों को लाखों पाठकों का अपार स्नेह और सम्मान इस मंच के द्वारा ही उन्हें मिल रहा है,,

मुझे भी इस मंच ने कहां से कहां पहुंचा दिया है, मैं भी आप सबका धन्यवाद आभार प्रकट करती हूं कि आप सब मेरी कहानियां पढ़ते हैं,अपना अमूल्य समय मुझे देते हैं।, प्यारे प्यारे कमेंट्स देकर हमारा उत्साहवर्धन करते हैं,हम आशा करते हैं कि आप हमें ऐसे ही अनुग्रहित करते रहेंगे , और सर जी, मैंने आप पर भी कहानी लिखी है,

सर खूब खिलखिला कर हंस पड़े, वाह मैडम जी, हमें भी नहीं छोड़ा, लिखते रहिए आप सच में बहुत बढ़िया लिखतीं हैं,हम सब आपके इस काबिलियत की बहुत सराहना करते हैं। बस सब कुछ भुलाकर आप खुश रहिए और अपने आप को ऐसे ही व्यस्त रखिए,हम सबकी तरफ से आपको हार्दिक शुभकामनाएं, और बधाई हो, 

जिंदगी ने आपसे बहुत कुछ छीना है तो अब ब्याज सहित वापस भी आपकी खुशियां कर रही है,

मैं सबके बीच अपने आप को बहुत ही भाग्यशाली मान रही थी, क्या सोच रही थी और यहां तो  दूसरा ही नजारा देखने को मिला। बीच में आप खड़े हों और चारों तरफ़ से आपकी ही प्रशंसा के स्वर सुनाई दे और वो भी शादी के सुअवसर पर, तो बस यही मुंह से निकलेगा,,

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 आज़ मैं ऊपर, आसमां नीचे,

आगे हूं मैं,जमाना है पीछे,,

ऐ मेरे साहित्यिक मंच, तुमने आज मुझे सब की नजरों में कितना ऊंचा उठा दिया है,सब तरफ मेरे ही नाम की स्वरलहरी गूंज रही है,

कितना सम्मानित महसूस कर रही हूं,

सच में, ये जिंदगी भी बहुत अजीब है,पल में हंसाती है पल में रुलाती है, मेरे चेहरे से ग़म के बादल छंट चुके थे, पूरे चेहरे पर खुशी की लालिमा छा गई थी, किसी ने भी मेरी दुखती रग पर हाथ नहीं फेरा था,, एक शब्द भी किसी ने मेरे अतीत की दुःख भरी याद नहीं दिलाई थी,बस चारों तरफ खुशियों का ही माहौल था, मैं सबकी शुक्रगुजार हूं, और ऐ जिन्दगी तेरे साथ साथ मुझे फर्श से अर्श पर पहुंचाने के लिए अपने,,साहित्य जो दिल को छू जाए,,की भी अत्यंत आभारी हूं और सदैव रहूंगी,

ह्रदय से यही प्रार्थना है कि यह मंच गगन पर अपनी साहित्यिक पताका फहराए।

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ऐ जिन्दगी तूने बहुत कुछ दिया है मुझको।

,अब कोई शिकवा, शिकायत नहीं है मुझको,

एक नई पहचान दिलाई है तूने मुझको।

धरती से उठा कर आसमां में पहुंचा दिया है मुझको।

सुषमा यादव, प्रतापगढ़, उ, प्र

#जिंदगी 

स्वरचित, मौलिक, अप्रकाशित,

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