सपनें खुली आँखों के – डॉ. पारुल अग्रवाल

आदित्य आज बहुत खुश था,आज उसे अपनी वर्षों की कठिन मेहनत और तपस्या का फल मिलने वाला था। इसी दिन की खातिर वो अपने परिवार से इतनी दूर अकेले रह रहा था। आज उसके खुली आंखों से देखे सपने पूरे होने वाले थे। उसने खुशी-खुशी ऑटो लिया और पहुंच गया फिल्म स्टूडियो में जहां प्रसिद्ध संगीत निर्देशक ने उसके गाने की धुन और गाने के लिए बुलाया था।थोड़े से इंतज़ार के बाद जब संगीत निर्देशक से उसकी मुलाकात हुई तो उन्होंने उसकी गाने की उसकी आवाज़ और धुन के साथ रिकॉर्डिंग की। उसकी बहुत तारीफ़ भी की फिर थोड़ी देर उसको बैठने के लिए बोला गया। कुछ समय पश्चात उसे एक कॉन्ट्रैक्ट पढ़ने को बोला गया जैसे ही उसने कॉन्ट्रैक्ट पढ़ा, उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गई। उस कॉन्ट्रैक्ट में साफ साफ लिखा था गाना की धुन और उसमें आवाज़ भले ही उसकी है पर उसमें नाम बड़े गीतकार और गायक का जायेगा।उसको अपने काम के पूरे पैसे दिए जायेंगे पर उसके बाद उस गाने और धुन पर उसका कोई हक नहीं रहेगा।उसको अभी तक भरोसा नहीं हो रहा था कि इस तरह का भी कोई कॉन्ट्रैक्ट होता है।

उसको लगा शायद उसके पढ़ने में कोई गलती हो रही है। उसने संगीत निर्देशक से बात की तो उन्होंने कहा कि ये सही लिखा है। आदित्य ने उनकी बात सुनकर बोला कि जब आवाज़ मेरी है, गाना मेरा है, धुन मेरी है तब आप इसे दूसरे के नाम कैसे कर सकते हैं ? इस पर संगीत निर्देशक ने बड़ी बेशर्मी से कहा,अरे तो इसमें कौन सी बड़ी बात हो गई, तुम्हें तुम्हारी मेहनत की पूरे पैसे तो दिए जा रहे हैं, रही नाम की बात तो कौन सा तुम्हें यहां कोई पहचानता है जो मैं तुम पर दांव लगाऊं। ये बड़े बजट की फिल्म है, इसमें तुम्हारे जैसे नए कलाकार जिसका फिल्मी दुनिया में ना तो जानने वाला है, ना ही कोई पहचान है को लेने से, ये फिल्म रुपहले पर्दे पर आने से पहले से डूब जायेगी। ये सपनों की दुनिया है यहां नाम बिकता है नाम। उसके ऐसे शब्द आदित्य के कानों में हथौड़े की तरह बजने लगे।




आदित्य को ऐसा लगा कि जैसे आज कोई उसके गाने की बोली ना लगाकर कोई उसके स्वाभिमान की बोली लगा रहा हो। उसने उस कॉन्ट्रैक्ट पर साइन करने से मना कर दिया और कहा, मैं इस तरह से अपने स्वाभिमान से समझौता नहीं कर सकता।जब वो स्टूडियो से बाहर निकलने लगा तब उस संगीत निर्देशक ने एक व्यंगात्मक हंसी हंसते हुए बोला कि तुम्हारे जैसे हजारों लोग यहां संघर्ष करते हुए आते हैं और गुमनामी के अंधेरे में खो जाते हैं। तुम्हें तो फिर भी अपने गाने के लिए अच्छा पारिश्रमिक मिल रहा था, जिसे तुम ठुकरा रहे हो बहुतों को तो वो भी नहीं मिलता। माना सपनों की नगरी तो है पर जीने के लिए यहां हक़ीक़त का पैसा चाहिए। कल को जब तुम्हारे पास खाने के पैसे भी नहीं होंगे तब तुम्हारी अकड़ नीचे आएगी। वो बिना कुछ कहे वहां से अपना गिटार लेकर बाहर निकल आया।

बाहर आकर उसको ये संतोष तो था कि उसने पैसों की खातिर अपनी आत्मा को गिरवी नहीं रखा पर उसके दिमाग में कहीं ना कहीं एक अंतर्द्वंद चल रहा था। उसको अपने सारे सपने आज टूटते नज़र आ रहे थे। वो बाहर आकर एक पार्क में बैठा,वो सोचने लगा कैसे अपने माता पिता से वो कुछ समय की मोहलत लेकर अपने सपने पूरे करने चला आया था। पापा तो कभी चाहते ही नहीं थे कि वो संगीत की इस लाइन में आगे कदम बढ़ाए पर उसको तो संगीत,गाना बजाना यही दुनिया लगती थी। उसने अपनी माता-पिता को अपनी ज़िद से बहुत परेशान किया है अब वो कल ही टिकट करवा कर अपने शहर लौट जाएगा। फिर वो सिर्फ वो ही करेगा जैसा उसके पिता कहेंगे।

हालांकि सपनों के टूटने का दर्द बहुत गहरा होता है। बहुत सारे विचार उसके मन में एक साथ चल रहे थे। यही सब सोचते-सोचते शाम हो गई, पार्क में बहुत सारे लोग भी अब शाम की सैर करने और खेलने आने लगे थे। उनकी आवाजों से वो भी अपनी ख्यालों की दुनिया से बाहर आया। अपना गिटार उठाकर जैसे ही वो चलने लगा तभी एक लड़के ने उसे रोककर बड़े प्यार से बोला कि आप शायद गाना गाते हैं,आज मेरी गर्लफ्रेंड का बर्थडे है, मैं उसके लिए कुछ विशेष करना चाहता हूं पर मेरे पास अभी इतने पैसे नहीं है। क्या आप हम लोगों के लिए एक गाना सुना सकते हैं? आदित्य वैसे तो बहुत दुखी था पर वो उस लड़के को मना नहीं कर पाया। उसने गिटार की धुन पर अपना ही लिखा बहुत सुंदर गीत गाना शुरू किया।




देखते ही देखते वहां काफी लोग जो भी पार्क में थे एकत्रित हो गए। सभी उसके गाने का आनंद लेने लगे। लोगों के साथ साथ वहां चाय और चने बेचने वाले भी आ गए।उस दिन उन लोगों की भी अच्छी कमाई हुई। वो शाम सबके लिए ही यादगार बन गई। कई सारे गाने सुनाने के बाद आदित्य भी वहां से निकल गया क्योंकि काफी समय बीत गया था और उसको अब अपने घर वापसी की तैयारी भी करनी थी।

घर आकर उसका कुछ करने का मन नहीं किया, नींद भी उसको आखों से बहुत दूर थी पर पता नहीं कब उसकी आंख लगी। सुबह अचानक से उसकी आंख खुली क्योंकि उसके मोबाइल की घंटी लगातार बज रही थी। उसने आंखें मलते हुए फोन देखा तो उसका फोन संदेशों की सूचना से भरा हुआ था।

असल में किसी ने कल के उसके गाने के विडियोज सोशल मीडिया पर प्रसारित कर दिए थे। इसी वजह से इंस्टा, व्हाट्सएप और फेसबुक सब जगह आदित्य की ही धूम मची थी। यहां तक की एक न्यूज़ चैनल ने भी उसके वीडियो की कुछ झलकियां दिखाई थी। उसके विडियोज को लाखों की संख्या में लोग देख चुके थे और पसंद कर चुके थे। एक ही रात में वो पूरे देश का पहचाना हुआ चेहरा बन गया था। थोड़ी देर में उसके पास उसी संगीत निर्देशक का भी फोन आया था। उसने आदित्य से अपने कल के व्यवहार के लिए माफी मांगी थी और वो अब उसके नाम के साथ ही उसके गाने और धुन को अपनी फिल्म का हिस्सा बनाना चाहता था।

आदित्य के दिल में तो बस अब ये सुकून था कि उसने अपने सपनों को पूरा करने के लिए अपने स्वाभिमान से समझौता नहीं किया।

दोस्तों कैसी लगी मेरी कहानी?अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें।  कई बार कुछ पाने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता है। मेरा मानना है कि पैसे से वस्तुएं तो खरीदी जा सकती हैं पर स्वाभिमान नहीं। अगर जंग सम्मान और  स्वाभिमान की हो तो परिणाम की चिंता नहीं करनी चाहिए।

डॉ. पारुल अग्रवाल,

नोएडा

#स्वाभिमान

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