एक पिता का स्वाभिमान – पूजा मनोज अग्रवाल

राम किशन जी बरेली के एक गांव में अपनी पत्नी और बेटे के साथ रहते थे । गांव में उनका धूप अगरबत्ती बनाने का छोटा सा व्यवसाय था । परिवार इतना नेकदिल था कि चर्चा पूरे आस पास के गांवों में थी । रामकिशन जी और उनकी पत्नी सावित्री जी दोनो ही धार्मिक स्वभाव के थे , दोनों ईश्वर में प्रगाढ़ श्रद्धा व विश्वास रखते थे उनका एक इकलौता बेटा था शिवम , जो उनके विवाह के बारह साल बाद बड़ी पूजा पाठ और मन्नतों के बाद हुआ था।

 शिवम के बाद सावित्री जी को कोई दूसरी औलाद ना हुई परंतु फिर भी वह ईश्वर की मर्जी में ही खुश थी ।

शिवम अब चौबीस वर्ष का हो चला था मां ने उसे नौकरी करने के लिए बहुत समझाया परंतु उसने पिता के व्यवसाय में ही उनका हाथ बटाना उचित समझा । अब शिवम के विवाह की उम्र भी हो चली थी , तो राम किशन जी ने आस-पास के गांव में उसके विवाह की बात करने की सोची  ।

आसपास के सभी लोग राम किशन जी और उनके परिवार में के बारे में अच्छे से जानते थे इसलिए शिवम के लिए कई भले घरों के रिश्ते आने लगे ।

एक दिन पास सुमित्रा जी की पड़ोसन आई और बोली ,” सुमित्रा तुम कहो तो शिवम के विवाह की बात मेरी बहन की बेटी मीनू से चलाऊं वह बहुत सुशील और सुंदर है ,,,देखते ही वह तुम्हे अपने शिवम के लिए पसंद आ जाएगी । ” सावित्री जी जब से ब्याह कर आई अपनी पड़ोसन को अच्छी तरह से जानती थी , उस पर उसे पूरा विश्वास था इसलिए सावित्री जी उसकी बात मान ली । 

कुछ ही दिनों में शिवम और मीनू का विवाह हो गया । मीनू बहुत तेज़ तर्रार जबकि शिवम बहुत सीधा था । धीरे – धीरे मीनू शिवम पर भारी पड़ने लगी बेवजह लड़ना – झगड़ना उसकी आदत बन गई थी । शिवम उसकी सभी इच्छाएं पूरी करने की कोशिश करता परंतु वह कभी संतुष्ट नहीं होती थी ।अब पिछले कुछ दिन से मीनू ने गांव छोड़ कर दिल्ली बसने की नई जिद्द कर ली थी । वैसे तो रामकिशन जी और सावित्री जी मीनू को कभी भी कुछ ना कहते थे परंतु फिर भी उसे अपने सास – ससुर के साथ रहना अच्छा ना लगता था । वह किसी भी तरीके से उन दोनों से अपना पीछा छुड़ाना चाहती थी ।

 आज फिर मीनू मुंह फुलाए पड़ी थी ,। शिवम ने मीनू से कहा,” क्या बात है मीनू ,,,आज तुमने फिर खाना नही बनाया ,,,? देखो सुबह के दस बजने को हैं ,, मां अकेले रसोई में लगी हैं ,,, तुम तो जानती हो वो ज्यादा देर खड़ी नहीं रह पाती हैं । प्लीज उठो मेरे लिए कुछ ब्रेकफास्ट बना दो “।




” जब देखो खाना,, खाना ,,खाना ,,, पूरा दिन सिर्फ खाने की लगी रहती है ,,, कभी अपनी पत्नी से उसके मन की बात पूछी है ,,,, ?? मैं तो जैसे बस तुम्हारे काम ही करने के लिए आई हूं,, ,,,,मीनू ने चीखते हुए शिवम से कहा ।

शिवम जानता था इस बार मीनू मानने वाली नही है ,,,। रोज – रोज की लड़ाई झगड़े से तंग आकर सुमित्रा जी ने रामकिशन जी से बात की । और  शिवम और मीनू को दिल्ली भेजने के लिए राज़ी कर लिया ।  यहां शिवम ने एक नौकरी ज्वाइन कर ली और मीनू और शिवम वहीं रहने लगे इस बात को साल भर बीत गया ।  मीनू ने भी एक ऑफिस में एक नौकरी ज्वाइन कर ली । राजन नाम  के एक सहकर्मी से मीनू की अच्छी खासी पटने लगी धीरे-धीरे में उन दोनों में दोस्ती बढ़ती गई , और यह दोस्ती बढ़कर आगे प्यार में बदल गई । मीनू ने राजन को अपनी शादी की बात न बताई थी ,,राजन भी अच्छा आदमी न था । अब मीनू आए दिन शिवम से झूठ बोलकर राजन के साथ घूमने फिरने के लिए निकल जाती । धीरे-धीरे बात बढ़ती रही एक दिन शिवम के एक दोस्त को मीनू के बारे में सब कुछ पता चल गया उसने सारी बात शिवम से कह दी  ,मीनू के बारे में यह सब बातें सुनकर शिवम के पैरों तले जमीन खिसक गई । उसने शांत दिल से  इस बात का हल निकालने पर विचार किया । 

शाम को जब मीनू ऑफिस से वापस घर पहुंची तो शिवम उससे बात करने के लिए तैयार बैठा था । शिवम ने मीनू से कहा ,” मीनू मैं तुम्हारे बारे में सब कुछ जान चुका हूं ,,,मैने तुम्हे इतना प्यार दिया ,,, तुम्हारे लिए अपने माता पिता को इस उम्र में अकेला छोड़ दिया ,,और तुमने मुझे इस सबका यह सिला दिया ,,,, अब यही ठीक होगा कि हम दिल्ली छोड़ कर अपने गांव चले जाएं ,,, मैं इस नौकरी से इस्तीफा दे दूंगा,,, तुम बरेली वापस लौटने की तैयारी कर लो ,,,, मां पिताजी को यह सब बातें बता कर मैं उनका दिल नहीं तोड़ना चाहता,,इसलिए  सब चीजें भुलाकर हम अपनी जिंदगी दोबारा शुरू करेंगे ,,”। 

इतना सब होने पर भी शिवम मीनू को माफ करने को तैयार था परंतु मीनू के सिर पर तो कुछ और ही भूत सवार था । वापस जाने की बात सुनकर उसे




सांप सूंघ गया था । वह अपने बॉयफ्रेंड राजन को छोड़ जाने से डर गई । अब उसे समझ नहीं आ रहा था वह क्या करें वह किसी भी हाल में वह गांव नहीं लौटना चाहती थी । उसी रात राजन मीनू के पास आया और उसे एक पुड़िया में कुछ पकड़कर चला गया ।  मीनू ने उस पाउडर को घोलकर शिवम को पिला दिया । इस पीने से कुछ ही घंटों में शिवम की तबीयत बिगड़ने लगी,, पूरी रात मीनू ने उसे यूं ही तड़पने दिया अगले दिन सुबह वह उसे हॉस्पिटल ले कर पहुंची ,,,डॉक्टर ने बताया की शिवम की तो दो घंटे पूर्व ही हृदयाघात से मृत्यु हो चुकी है ।

उसी समय मीनू ने अपने सास ससुर को फोन कर शिवम की मृत्यु की सूचना दी । रात में ही एंबुलेंस के द्वारा मीनू शिवम की मृत देह को लेकर अपने गांव बरेली पहुंच गई । 

शिवम के माता-पिता अपने बेटे की मृत देह को देख कर पछाड़ खा खा कर गिर रहे थे । कैसी ये अनहोनी थी जो उनके लाल को लील गई थी । रो- रो कर सावित्री जी ईश्वर से अपना गुनाह पूछ रहीं थीं । बेटे को खुद से दूर भेज कर बेचारे मां बाप बमुश्किल रह रहे थे  ,,, पर यह क्या ,,,,हमेशा का विरह ,,,अब वह कैसे अपने बेटे के बिना जी पायेंगे । 

जवान बेटा खोकर गिरते मरते दोनो पति पत्नी अपना जीवन रोते बिलखते काट रहे थे । सुमित्रा जी तो बिस्तर पर आ गई थी । वह अब किसी से ना बात करती ना कुछ खाती पीती ,,,शायद उन्होंने तो अपने बेटे शिवम के पास जाने की ठान ली थी 

शिवम के देहांत को दो माह बीत गए,,। मीनू के मन में राजन से मिलने की बेचैनी घर कर गई थी । वह किसी भी बहाने से उससे मिलना चाह रही थी । एक दिन मौका पा कर वह अपने ससुर जी को झूठ बोल कर राजन से मिलने पहुंच गई ।

मीनू राजन के ऑफिस में पहुंची तो वहां जाकर उसे पता चला कि राजन को कोई दूसरी खूबसूरत लड़की मिल गई थी और उसने उस लड़की से पिछले महीने ही शादी कर ली है । मीनू राजन से कुछ कहती इससे पहले ही राजन ने उसे लताड़ कर ऑफिस से बाहर का रास्ता दिखा दिया । 

आज मीनू को अपने किए पर बहुत पछतावा हो रहा था , कैसे उसने एक अन्य अनजाने  मर्द के लिए अपने अच्छे खासे पति को जहर देकर मार दिया था । वह लौटकर वापस बरेली अपने घर आ गई ।

धोखा खाने के बाद भी मीनू को सद्बुद्धि नहीं आई थी अब उसे बिस्तर पर पड़ी हुई सास बोझ लगने लगी थी , वो चाहती थी  कि सास- ससुर दोनों   दुख गम के चलते जल्दी ही भगवान को प्यारे हो जाएं तो उनका वह पुश्तैनी मकान उसके नाम हो जाएगा और उसकी जिंदगी आसान हो जाएगी ।  

कुछ ही दिन बाद  शिवम के एक दोस्त ने मीनू के बारे में सब कुछ रामकिशन जी को बता दिया । पहले तो रामकिशन जी को मीनू की इस बात पर यकीन न किया  ,,,परंतु धीरे-धीरे उसकी अजीब हरकतें देखकर उन्हें उसके ऊपर शक होने लगा । एक दिन रामकिशन जी ने मीनू को उसकी मां से फोन पर  बात करते हुए सुन लिया,,, मीनू कह रही थी ,,,” मां यह दोनो बुड्ढे- बुढ़िया तो थोड़े ही दिन के मेहमान हैं उसके बाद यह मकान तो मेरा ही हो जायेगा ,,,”।

रामकिशन जी के पैरों तले जमीन खिसक गई अब उनका शक यकीन में बदल गया ,,,वे जान गए थे कि बहु के नाम पर एक बुरी औरत ब्याह लाए हैं  ।  

राम किशन जी बोले,, “मीनू मैं तुम्हारे बारे में सब जान गया हूं , अब तुम्हारा इस घर में कुछ नहीं है , तुम अभी के अभी इस घर से निकल जाओ ,,, पता नही मेरे बेटे की साधारण मौत हुई या फिर उसे मारा गया है।  निकल जाओ यहां से,,,,

मैं तुम्हारी शक्ल भी इस घर में दोबारा नहीं देखना चाहता ।

खुद को सहज दिखाते हुए मीनू बोली ,” पिताजी शायद आपको सुनने में कुछ गलतफहमी हुई है मैं ऐसा नहीं कह रही थी,,। परंतु उसका सच सामने आ ही गया है ,,, यह सोचकर उसके तेवर बदल गए ,,,और वह बोली ,,,” वैसे भी क्या आपको नहीं लगता मां तो बिस्तर पर ही हैं,,, उन्हें इस हालात में मेरी जरूरत है और शायद वो  महीने दो महीने की ही मेहमान है । तो बेहतर यही होगा कि आप लोग अपना मुंह बंद कर चुपचाप मेरे साथ ही रहें । अगर आपने मुझे घर से बाहर निकालने की बात सोची भी तो मैं समाज में यह फैला दूंगी कि आप ने ससुर हो कर मेरी इज्जत पर हाथ डाला है “और फिर आपकी बरसों कमाई हुई साख पर बट्टा लग जाएगा ,,”।

मीनू तुम इतना गिर जाओगी यह तो मैंने कभी  सोचा भी न था ,,,मैं इतना भी बेबस लाचार नहीं,,, कि तुम्हारी बातों से डर कर तुम्हें जिंदगी भर झेलता रहूंगा ।  तुम जो करना चाहो वह कर लो परंतु इस घर से तुम्हें आज जाना ही होगा । रामकिशन जी का गुस्सा देखकर मजबूरन मीनू घर से तो चली गई परंतु उसने कुछ ही दिन में रामकिशन जी पर मारपीट और शारीरिक शोषण का केस दायर कर दिया । 

रामकिशन जी के लिए व्यवसाय संभालने के साथ साथ अपनी बीमार पत्नी की देख भाल करना आसान ना था ,,,और इस पर मीनू ने उनके चरित्र पर भी दाग लगा दिया था  । परंतु उन्होंने अपने स्वाभिमान को नीचे ना गिरने दिया और कोर्ट केस लड़ने का फैंसला किया  ।

 केस दो साल तक चला इस बीच मीनू उनसे मकान अपने नाम कराने के बदले कोर्ट केस वापस करने के लिए कहती रही परंतु रामकिशन जी अपने स्वाभिमान पर अडिग रहे उन्होंने मीनू के साथ किसी भी समझौते को करने से मना कर दिया । 

खैर ईश्वर के घर देर है अंधेर नही ,, कोर्ट का फैसला आया और गवाहों के बयानों के अनुसार राम किशन जी बाइज्जत बरी हो गए । मीनू और राजन की शिवम के खिलाफ की गई साजिश भी खुलकर सामने आ गई । उन दोनो पर शिवम का मर्डर करने का चार्ज लगा कर उन्हे शिवम का खून करने के जुर्म में सजा हो गई,, । 

#स्वाभिमान

स्वरचित मौलिक

पूजा मनोज अग्रवाल

दिल्ली

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