दो कुँवारे हुए एक – संगीता अग्रवाल

“अरे यार ये गाड़ी के ब्रेक क्यो नहीं लग रहे लगता है आज तो यमराज से साक्षात् दर्शन होंगे !” रागिनी स्कूटी चलाते हुए बड़बड़ाई।

” ओ मैडम , मैडम देख क…!” इससे पहले की सामने से आती गाड़ी मे बैठे शख्स का वाक्य पूरा होता रागिनी की स्कूटी एक पेड़ से टकरा गई और रागिनी धम से गिर पड़ी।

” नहीं भगवान जी मुझे मरना नहीं है अभी अभी तो मेरी उम्र ही क्या है । अभी तो मेरी शादी भी नहीं हुई प्लीज भगवान जी मेरी बचपन से एक ही इच्छा है किसी राजकुमार से शादी बस वो हो जाये फिर आप मुझे ले चलना अभी छोड़ दो प्लीज प्लीज प्लीज !” नीचे गिरी हुई रागिनी आँख बंद किये बड़बड़ा रही थी पास खड़ा शख्स उसके इस बचपने पर खिलखिला कर हंस पड़ा।

” अरे भगवान जी आप हंस रहे हो यहाँ मेरी जान पर बन आई है !” रागिनी बोली।

 

” बालिके आँखे खोलो तुम स्वर्ग मे पहुँच चुकी हो इसके नज़ारों को तो देखो !” वो शख्स जिसका नाम राजीव था उसकी हालत का मजा लेते हुए बोला।

” क्या…मैं सच्ची मे मर गई …ओ तेरी ये तो बिल्कुल धरती जैसी जगह है फिर लोग इसे स्वर्ग क्यो कहते है!” रागिनी आंख खोल दाएं बाएँ देखते हुए बोली।

” हाहाहा …मैडम आप धरती पर ही है अब ड्रामे बंद कीजिये और उठिये !” राजीव हँसता हुआ बोला।

” शुक्र है भगवान जी … हुँह शर्म नहीं आती आपको एक लड़की का मजाक उड़ाते हुए इतना तो है नहीं की लड़की की मदद कर दे!” रागिनी नाक सिकोड़ती बोली और उठने लगी पर शायद पैर मे मोच थी उसके इसलिए उसकी चीख निकल गई राजीव ने आगे बढ़कर सहारा दिया उसे।



“आपका घर कहाँ है मिस….?” राजीव ने पूछा।

” रागिनी …रागिनी नाम है मेरा और मेरा घर वो सामने वाली बिल्डिंग मे है!” रागिनी बोली।

” अरे वाह आप तो हमारी पड़ोसन है हमें तो ये पता ही नहीं था कि हमारे पड़ोस के घर मे इतनी खूबसूरत लड़की भी रहती है …चलिए मैं आपको छोड़ देता हूँ साथ ही वॉचमैन से बोल आपकी स्कूटी रिपेरिंग को भेज दूंगा!” राजीव उससे बोला।

” यही है मेरा घर ….आह…!” अपने घर के बाहर पहुँच रागिनी बोली और अंदर जाने को हुई तो उसकी आह निकल गई।

” लगता है घर मे कोई नहीं है चलिए मैं अंदर छोड़ देता हूँ फिर आप अपने घर वालों को फोन कर देना !” राजीव बोला।

 

” मैं यहाँ अकेली रहती हूँ मैं एक बैंक मे नौकरी करती हूँ घर वाले पैतृक निवास पर रहते है  !” रागिनी बोली।

” ओह्ह!” राजीव ने रागिनी को फिर से अपने कंधे का सहारा दिया और रागिनी उसके कंधे का सहारा ले कमरे की तरफ बढ़ने लगी।

कमरे मे पहुँच राजीव ने रागिनी का पैर देखा जो सूज गया था उसने बिल्डिंग मे रहने वाले अपने डॉक्टर दोस्त को फोन किया डॉक्टर ने रागिनी के पैर पर गर्म पट्टी बांधी और दर्द कम करने की दवाई के साथ आराम् की सलाह दी।

” सुनिए मैं राजीव एक सिविल इंजीनियर यहाँ अपनी मम्मी के साथ रहता हूँ आपके पैर मे जब तक आराम नहीं होता मैं अपनी कामवाली को भेज दूंगा वो आपके काम कर जाया करेगी साथ ही खाना मैं अपने घर से ले आऊंगा !” राजीव ने उसकी दशा देखते हुए अपनत्व से कहा।

” अरे नहीं नहीं आप क्यो कष्ट करेंगे मैं मैनेज़ कर लूंगी !” रागिनी बोली।

” देखिये एक पड़ोसी ही पड़ोसी के काम आता है इसमे कैसा कष्ट भला आप ज्यादा बात नहीं दवाई लीजिये और आराम किजिये …वैसे मैं आपको बताऊं मेरी भी आपकी तरह अभी शादी नहीं हुई तो आपका दर्द समझ सकता हूँ !” राजीव ने आखिरी लाइन जानबूझ कर कही जिससे रागिनी झेंप गई।



राजीव रोज रागिनी के लिए खाना ले आता कभी कभी उसकी माता जी भी रागिनी के पास आ जाती। रागिनी को उनके सानिध्य मे माँ की कमी कम महसूस होती थी।

धीरे धीरे राजीव को रागिनी की चंचलता और रागिनी को राजीव की सौम्यता भा गई और दोनो को एक दूसरे से प्यार हो गया लेकिन दोनो ही प्यार का इजहार करने से झिझक रहे थे …उनके प्यार को राजीव की माता जी ने भी महसूस किया और रागिनी से उसकी माँ का नंबर ले रिश्ते की बात की रागिनी के माता पिता रागिनी के घर आये और राजीव और उसकि माताजी से मिले उन्हे राजीव बहुत पसंद आया और उन्होंने सहर्ष रिश्ते की हामी भर दी। आज राजीव और रागिनी दूल्हा दुल्हन बने स्टेज पर बैठे है।

 

” देखो रागिनी तुम्हारी एक राजकुमार से शादी की इच्छा तो पूरी हो गई ना अब तो भगवान से शिकायत नहीं होगी !” राजीव रागिनी को छेड़ते हुए बोला।

” नहीं अब यमराज् आएंगे तो मैं कोई शिकायत नही करूंगी !” रागिनी मुस्कुरा कर बोली।

” यमराज को तुम तक पहुँचने दूंगा तब ना !” राजीव बोला।

” अच्छा जी ..क्या कहकर रोकेंगे ?” रागिनी आँखे मटका कर बोली।

” यही की अब कुँवारे से विवाहित तो बना दिया अब कम से कम बाप दादा तो बनने दो !” राजीव सबकी नज़र बचा आंख मारता बोला जिससे रागिनी शर्मा गई।

आपकी दोस्त

संगीता अग्रवाल 

 

 

 

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