बूढ़ी घोड़ी, लाल लगाम – सोनिया कुशवाहा

“बहन जी देखा आपने अंजू को?” मिसेज़ कुमार ने मिसेज़ सक्सेना से पूछा।

“हद हो गई भई, दोनों बेटियों की शादी क्या हुई ये दोनों मिया बीवी को तो पर ही लग गए। जमीन पर पैर ही नहीं टिकते इनके। ना शर्म है ना उम्र का लिहाज।” इस बार  मिसेज़ पांडेय ने जुमला उछाला।

“छोड़ो, हमें क्या, तभी ना लोग बोलते हैं बूढ़ी घोड़ी लाल लगाम “। इतना सुनते ही सोसाइटी की महिलाएँ जो मॉर्निंग वॉक के बहाने चुगलियों में व्यस्त थी ठहाका मार कर हँस पड़ी।

मैं भी पास ही में बेंच पर बैठी इन सभी चुगलियों को सुनकर मन ही मन मुस्कुरा रही थी। अंजू मेरी पड़ोसी है और एक बहुत ही मिलनसार खुशमिजाज महिला है। पिछले 20 साल से हम लोग एक ही सोसाइटी में रहते हैं। अब तो पडोसियों से ज्यादा वो मेरी दोस्त या यूँ कहिए परिवार का हिस्सा बन गई है। छोटा सा सुखी परिवार है अंजू का। दो प्यारी बेटियाँ और खुद से भी ज्यादा प्यार करने वाले पति यानी कि हमारे भाई साहब जय प्रकाश। अंजू ने बड़े लाड प्यार से दोनों बेटियों को पढ़ाया लिखाया। उसकी दोनों बेटियाँ काबिल इंजीनियर बनी। बेटियाँ जब आत्म निर्भर हो गई तो एक एक कर के अंजू ने दोनों बेटियों का ब्याह कर दिया। छोटी के ब्याह के बाद से अंजू बहुत गुमसुम सी रहती। दोनों बेटियों के ब्याह के बाद घर आंगन काटने को दौड़ता उसे। रही सही कसर सोसाइटी की औरातें पूरी कर देती।” बहन जी अब तो मन ना लगता होगा अकेले। तभी तो लोग एक बेटा चाहते हैं ताकि बुढापे का सहारा बना रहे”। ऐसी बातों से अंजू और उदास हो जाती। भाई साहब से ये सब छिपा हुआ नहीं था। उन्होने अंजू को अवसाद से निकालने के लिए एक रास्ता निकाला। अंजू हम दोनों इंडिया के टूर पर जा रहे हैं। मैंने टिकिट करा ली है तुम तैयारी कर लो। भाई साहब ने कहा।

कैसी बात करते हो जी अब इस उम्र में मैं टूर पर जाऊँगी। अंजू ने नाराजगी जताई। 

देखो अंजू पूरी ज़िंदगी तो बच्चों का भविष्य बनाने में और अपने फर्ज़ निभाने में बीता दी, अब रिटायर होने के बाद समय भी है और पैसा भी क्यों न अपनी बाकी बची ज़िंदगी अपने अधूरे सपने पूरे करने में लगा दें| तुम कितना कहती थी कहीं घुमा लाओ। तो चलो अब मेरा हाथ थाम कर। तुम्हें जीवन की हर खुशी देना चाहता हूं, दोगी ना मेरा साथ।

लेकिन बच्चे क्या सोचेंगे? उनको भी साथ ले चलें? अंजू ने कहा।



अंजू अब उनको जीने दो उनकी जिंदगी उनके तरीके से। बसाने दो अपने घरोंदे। कब तक दुखी रहोगी। ये सफर हम दोनों का है। हम दोनों को ही साथ बिताना है। बेटियों के बारे में सोचना छोड़ दो। अंजू गंभीर हो गई।

“ठीक ही कहते हैं जी, मेरा जरूरत से ज्यादा मोह उन्हे वहां चैन से नहीं रहने देगा। वो भी चिंता करती हैं माँ कैसी होंगी। आप करा लीजिए टिकिट।”

दोनों ने पूरे भारत की सैर की। एक दूसरे का हाथ थामकर एक नए जोड़े की तरह। जीवन में फिर से रंग भरने लगे। भाई साहब को अंजू गहरे रंगो में ही जंचती है। लाल गुलाबी साड़ियों से अलमारी भरी हुई है अंजू की। आजकल तो अंजू लेटेस्ट स्टाइल के ड्रेस भी पहनती हैं| भाई साहब लाकर देते हैं तो मना भी तो नहीं कर पाती। पिछले करवाचौथ पर ही सुर्ख लाल रंग की साड़ी और सुहागन वाले शृंगार में कितनी खूबसूरत लग रही थी वो। भाई साहब और अंजू ने एक दूजे का हाथ थामे हुए फोटोग्राफ सोशल मीडिया पर क्या डाली, पूरी सोसाइटी में बवाल मच गया।

 

“देखो ये ही हैं नए नवेले जोड़े”

शर्म नहीं आती इस उम्र में हाथो में हाथ डाले घूमते हुए। और भी ना जाने क्या क्या बातें नहीं कान में पड़ी मेरे। लेकिन उन दोनों ने ठान लिया है अपने जीवन को नई दिशा देने के लिए। कोई भी व्रत या त्यौहार हो, बच्चों का इंतजार करके कुढ़ने की बजाय वो दोनों खूब धूम धाम से उसको सेलिब्रेट करते हैं। जीवन की भाग दौड़ में जो पल पीछे छूट गए थे, उन पलों को भरपूर जीते हैं दोनों। एक दूसरे को भरपूर समय देते हैं। एक दूजे के लिए उपहार खरीदना और अपने प्रेम का इज़हार करने में भी कभी पीछे नहीं रहते।



अंजू के चेहरे की रौनक भी देखते ही बनती है। पति पत्नी नहीं, मानो प्रेमी प्रेमिका बन गए हैं दोनों। समय के साथ अब उन्होने लोगों की परवाह करना भी छोड़ दिया है। अक्सर नए-नए वेशभूषा में दोनों प्रेम से परिपूर्ण चित्र सोशल नेटवर्किंग साइट पर डालते रहते हैं। जो लोग वास्तव में शुभचिंतक हैं उनको यह चित्र पसंद भी खूब आते हैं।

अभी दो दिन पहले ही अंजू का जन्म दिन था। बाहर डिनर पर ले गए थे भाई साहब उसे। एक सुंदर सी साड़ी भेंट में दी है और हिमाचल के टिकिट भी। कितनी खुश लग रही थी वो। अपने जीवन की दूसरी पारी को वो निराशा नहीं पूरी आशा के साथ जी रही हैं। अपने जीवन साथी को प्रेम और समय दे रहे हैं जो पहले किन्ही मजबूरियों के तहत नहीं दे पाए।

क्यों ना सभी लोग बुढ़ापे में लाल लगाम लगाकर अपनी अधूरी इच्छाओं को पूरा करने की कोशिश करें। बेटे या बेटियों के विषय में हर समय सोचने से बे‍हतर है, अपनी सोच को एक नया आयाम दिया जाए। बच्चे बड़े होकर अपनी दुनिया बसाएंगे, यह एक कड़वा सच है| क्यों ना जीवनसाथी के साथ और प्रेम से इसमें मिठास घोल ली जाए। अंजू की दोनों बेटियाँ अब जब भी आती हैं उनके चेहरे पर माता पिता को अकेले छोड़ने का तनाव नहीं दिखता। वो समझ चुकी हैं कि मम्मी पापा अपनी लाइफ की सेकंड इननिंग को भरपूर जी रहे हैं।

साथ-साथ योगा क्लास जाना, सुबह मॉर्निंग वॉक पर जाना, शाम को पार्क में बच्चों के साथ समय बिताना, ये सब उनके पसंदीदा काम हैं। इनसे शरीर में ऊर्जा भी बनी रहती है और समय भी अच्छा बीत जाता है। 

बुढ़ापे में लाल लगाम लगाने का मेरा यह विचार आपको कैसा लगा कमेंट कर के बताइए। 

आपकी सखी 

सोनिया कुशवाहा 

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