• infobetiyan@gmail.com
  • +91 8130721728

अपनापन – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा

 शाम गहराती जा रही थी। ऑफिस में ज्यादा काम होने के कारण आज मुझे बस स्टैंड पहुँचने में देरी हो गई थी। चिंता और भय के कारण पसीना बूंद बनको मेरे माथे से टपक रहा था। धीरे-धीरे स्टैंड लोगों से खाली होने लगा था। मुझे अकेली खड़ी देख चार पांच गाड़ी वाले पूछ चुके थे कि मुझे कहां जाना है। पर किसी आशंका के डर से मैंने सबको मना कर दिया था। पर यह सोचकर कि तीस किलोमीटर दूर घर जाना है घबराहट बढ़ने लगी थी। इधर -उधर देख रही थी तभी एक सत्रह -अठारह साल का लड़का बाइक से आया और मेरे पास आकर बोला मैडम आप को जहां भी चलना है चलिये मैं छोड़ दूँगा। मेरे मना करने पर उसने अपना आई-कार्ड और पैसे से भरा बटुआ पॉकेट से निकाल कर मुझे देते हुए कहा यह आप अपने पास रख लीजिये जब मैं आपको घर तक पहुँचा दूँ तब वापस कर देना। पता नहीं क्यों मुझे उसके अपनेपन पर भरोसा हो गया था और वह लड़का उस भरोसे पर खड़ा उतरा था। आज भी वह भाई जैसा मेरे अपनों में अपना है। 

स्वरचित एंव मौलिक 

डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा 

मुजफ्फरपुर, बिहार

#अपनापन

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!