” मुश्किल वक्त में मिला अपनों का साथ ” – अमिता कुचया
- Betiyan Team
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- on Feb 06, 2023
नीलम के आज घर लौटने पर सास को बहुत चिंता होती है ,रात के साढ़े नौ बज चुके थे। और लता जी की नजरें बार -बार घड़ी की ओर जा रही थीं। फिर जब वो अपने बेटे जीतू से पूछती हैं -“क्यों बेटा आज नीलम क्यों लेट हो गई।जरा फोन तो लगा क्यों लेट हो रही है।”तब जीतू कहता है कि मां मैं भी परेशान हूं, मैं भी दो बार फोन लगाकर देख चुका हूं ,उसका फोन बंद बता रहा है। फिर लता जी को चैन न पड़ी, तो वो जीतू से कहने लगी-” बेटा उसके आफिस में फोन लगा कर देखो कहीं ओवरटाईम वर्क तो नहीं कर रही है,या कितनी देर पहले वो निकली है। पता तो चले आखिर क्यों लेट है, क्या कारण है! कुछ तो पता चले••••
फिर बाद में फोन करने पर जीतू को पता चलता कि वह आफिस से निकल चुकी है।”
फिर जीतू अपनी मां को बताता है -मां चिंता मत करो ,वो निकल चुकी है।बस नीलम आती ही होगी।
थोड़ी देर में बेल बजती है ,तब नीलम आ जाती है , वह एकदम चुपचाप सी उदास होकर कमरे में चली जाती है।तब सास उनका चेहरा देख समझ जाती हैं कि नीलम किसी बात से परेशान हैं,वह कितनी परेशान है, ऐसे तो कभी नहीं होती है ,आज इसे क्या हो गया है, क्यों चेहरा इतना उतरा हुआ है!
अब नीलम अपने आप को मन शांत कर अपने कमरे में जाती है, और मुंह हाथ धुलती है,साथ ही गहरी सांस लेती है। फिर चेहरा पोंछ कर वहां आकर डाइनिंग टेबल पर खाने पर बैठ जाती है ,तब लता जी पूछती हैं कि बेटा नीलम इतनी बुझी- बुझी सी क्यों लग रही है, ऐसा क्या हो गया?
तू अपनी परेशानी हमें नहीं बताएगी तो किसे बताएगी ?सिर पर हाथ फेरते हुए पूछती हैं।
तब वह सासूमां के एकदम से सीने से चिपक कर सिसक कर कहती है कि “मां ये हम औरतों के साथ ही क्यों होता है?”
फिर चिंतित स्वर में लता जी पूछती हैं –
“बेटा ऐसा क्या हो गया? खुलकर बता मन का बोझ हल्का हो जाएगा।”तब वह बोलती है मां आज मेरे साथ एक मनचले लड़के ने मेरा पीछा करने की कोशिश की। मैंने जैसे ही मुड़ कर देखा तो वह रुक गया,उस समय मैं डर गई।पर मन में ये लग रहा था था कि वह बहुत देर से पीछा कर रहा हो।और तब मैंने तेज कदमों से चलकर आटो की । और मैं अब जाकर अपने घर पहुंच पाई हूं।तब से लेकर अब तक मैं उसका चेहरा नहीं भूल पा रही हूं।
इतने में उसके पति जीतू ने कहा -” नीलम तुम चिंता मत करो। तुम्हें यदि चेहरा याद है तो हम स्कैच बनवा कर पुलिस में रिपोर्ट कर देंगे।” फिर लता जी ने भी कहा -“हां बेटा ,तू चिंता मत कर हम ऐसे मनचलों को सजा दिलाकर रहेंगे।”
फिर अगले दिन सास ने वैसा ही नीलम उदास भरा ही उसका चेहरा देखा तो कहा-” अरे नीलम तू आफिस के लिए तैयार नहीं हुई।”
तब उसने कहा -” मां मुझे अंदर से डर लग रहा है। कहीं आज भी वह पीछा न करें। “तब लता जी ने कहा- “बेटा हम तेरे साथ है।तू चिंता मत कर।कैसा भी वक्त हो,वह बीत ही जाता है।हम तेरे अपने है न, तेरे साथ, हम ही तो सहारा बनेंगे।तू चिंता मत कर ।
इस तरह नीलम से कहा- “बेटा तू घर में रहकर अपने आप कमजोर मत बन कर रह ,अपने का साथ हो तो मुश्किल वक्त भी निकल ही जाता है , और वही अपनों का सहारा भी बन जाता है।”
तब जीतू ने भी उसका साथ देकर कहा -“नीलम आज हम पहले स्कैच बनवाकर पुलिस को देंगे ,ताकि तुम उस मनचले से निश्चिंत रह सको।”
फिर नीलम कहती है कि मां जी मुझे आपका और इनका साथ चाहिए ताकि मैं उस मनचले को सजा दिला पाऊं।यदि हम शांत हो गये तो उसकी हिम्मत और बढ़ जाएगी।
और इस तरह वह उसका स्कैच बनवाकर पुलिस में दे देती है और रिपोर्ट लिखवा देती है ।इस तरह उसके मन को सुकून मिलता है, और मन में ठान लेती है, ऐसे लड़के को वह पकड़वा कर ही दम लेगी।
इस तरह वह अपनी जीत महसूस करती है।स्वयं की सुरक्षा के लिए वह सावधानी से रहकर सचेत होकर निडरता से आगे की मंजिल प्राप्त की। ताकि और औरतों के लिए उदाहरण बन सके। और वह यह सब अपने पति और सास के कारण ही संभव कर पाती है।
दोस्तों -हम कितने भी पढ़ें लिखे हो ,पर जागरुक न हो और अपने साथ न दे तो बुरा वक्त बड़ी कठिनाई से कम नहीं होता। इसलिए अपनों का हर परिस्थिति में देना चाहिए।और वह स्वयं के लिए खड़ी हुई।मन का डर दूर करने के लिए स्वयं ही आत्मविश्वास होकर अडिग रहकर गलत का विरोध की। और कसूरवार को सजा दिलवाई।ताकि वहीं परिस्थिति दोबारा उत्पन्न न हो। हमें मन में नये संकल्प के साथ चुनौती का सामना करना ही चाहिए। क्योंकि कमजोर लोग आगे बढ़ ही पाते हैं साथ ही वो अंदर ही अंदर डिप्रेशन तक में चले जाते हैं।
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आपकी अपनी दोस्त
अमिता कुचया