अपनापन – किरण विश्वकर्मा : Hindi kahani

अम्मा जी यह आपके लिए…. ऋतु अपनी मकान मालकिन रुकमनि जी को साड़ी और लड्डू का डब्बा देते हुए बोली। अरे!!! बेटा मुझे क्यों इस पर तो तेरी सास का हक है.. रुकमनि जी बोली। हक था पर जब सुना कि बेटी हुई है तो वह मुझे अस्पताल में छोड़कर गाँव चली गई और आपने … Read more

अपनापन – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा

 शाम गहराती जा रही थी। ऑफिस में ज्यादा काम होने के कारण आज मुझे बस स्टैंड पहुँचने में देरी हो गई थी। चिंता और भय के कारण पसीना बूंद बनको मेरे माथे से टपक रहा था। धीरे-धीरे स्टैंड लोगों से खाली होने लगा था। मुझे अकेली खड़ी देख चार पांच गाड़ी वाले पूछ चुके थे … Read more

error: Content is Copyright protected !!