विश्वास का नतीजा – हेमलता गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 रघु …जल्दी से बाजार जाकर 10 समोसे, तीन कोल्ड ड्रिंक की बोतल, बर्फी और कुछ चॉकलेट कुरकुरे और चिप्स के पैकेट लेते हुए आना…खुशी से उत्साहित रश्मि ने अपने नौकर रघु को 1000₹देते हुए कहा! दरअसल आज रश्मि के मायके वाले यानी कि उसके पापा मम्मी भैया भाभी और भतीजा भतीजी आ रहे थे!

वह यहां इस शहर में शादी में आए थे, पर पहले रश्मि के यहां आएंगे, अतः रश्मि  उनकी खातिरदारी की तैयारी में लगी हुई थी! कुछ देर बाद रघु बाजार से गरमा गरम समोसे कचौड़ियां बर्फी कोल्ड ड्रिंक और बहुत सारी बच्चों के खाने का आइटम ले आया! थोड़ी देर में रश्मि के पापा मम्मी भी आ गए!

सभी ने खूब अच्छे से नाश्ता किया और फिर सभी लोग शादी में जाने के लिए निकल गए! आज रश्मि रघु से बहुत खुश थी क्योंकि वह एकदम  ताजा समोसे कचौड़ियां बर्फी लाया था और उसने हिसाब भी पूरा-पूरा रश्मि को दे दिया था! दरअसल रघु उनके यहां पर अभी नया-नया ही काम पर लगा था अतः रश्मि को झिझक हो रही थी पता नहीं वह बाजार से कैसा सामान लेकर आए,

किंतु रघु ने  रश्मि की सारी चिंता पल भर में ही दूर कर दी! अब तो रश्मि आए दिन रघु से ही कभी सब्जियां कभी फल कभी किराने का सामान या अन्य सामान भी मंगवाने लगी और उस पर आंख बंद करके भरोसा भी करने लगी! रघु बचे हुए पैसे रश्मि को लाकर दे देता! रश्मि अपने पति राघव से भी उसकी प्रशंसा करती!

एक दिन रश्मि के यहां किटी पार्टी थी तब भी उसने बहुत सारा नाश्ता बाजार से मंगवाया और रघु ने सब लाकर दे दिया,  एक दिन किसी काम से रश्मि का बाजार जाना हुआ और वह उसी दुकान पर पहुंच गई जहां से अक्सर रघु समोसे वगैरा लाया करता था तब रश्मि ने सोचा चलो गरमा गरम समोसे है घर जाते हुए  तीन समोसे ले लेती हूं! 

और जब उसने समोसे के दाम पूछे तो दुकानदार ने बताया… दीदी तीन समोसे 45 रुपए के हुए! रश्मि चुपचाप समोसे लेकर घर आ गई, फिर अगले दिन उसने रघु से पांच समोसे  उसी दुकान पर से मंगवा लिए जिस पर से वह कल लेकर आई थी, रघु के आने पर रश्मि ने उससे पूछा, रघु… समोसे कितने के आए, तब उसने बताया. दीदी…

वह बहुत फेमस दुकान है अतः उसके यहां पर एक समोसे ₹25 का है, बहुत लाइन में लगना पड़ा तब जाकर मुझे यह समोसे मिले, पर समोसे बहुत अच्छे हैं!  रश्मि को लगने लगा कि जब भी रश्मि कोई सामान मंगवाती वह उनके दाम बड़ा चढ़ा कर बताता, रश्मि ने यह बात अपने पति को भी बताई! इतवार का दिन था,

राघव ने रघु से कुछ सामान मंगवाया और जब रघु ने उसका हिसाब दिया तब राघव को बहुत गुस्सा आया, उसने रघु से कहा.. रघु… तुम्हें हमारे यहां काम करते हुए 1 साल हो गया, हमने तुम पर आंखें बंद कर  विश्वास किया और तुमने हमारा ही “गला काट दिया” तुम्हारी हमारा गला काटने की हिम्मत कैसे हुई? तुम्हें क्या लगता है

तुम जो भी हिसाब हमको देते हो हमें उसके बारे में कुछ पता नहीं चलता, तुम हर चीज के दाम बड़ा चढ़ा कर बताते हो और हमसे उनके बहुत ज्यादा पैसे लेते हो, हम तो तुम्हें घर का सदस्य मानते थे और तुमने हमारे साथ ही धोखा किया, आज के बाद तुम इस घर में काम नहीं करोगे!

राघव की बात सुनकर रघु बहुत शर्मिंदा होते हुए बोला… नहीं नहीं.. राघव भैया, मुझे काम पर से मत निकालिए, मुझे काम की बहुत जरूरत है, मैं अपनी विधवा मां का इकलौता बेटा हूं, मैंने सोचा था मैं थोड़ा बहुत ज्यादा पैसे ज्यादा बताऊंगा तो दीदी  कौन सा बाजार जाकर सामानों के दाम पूछने वाली है,

इसमें  मेरा  फायदा होता था !मैंने शुरू शुरू में तो सारा काम इमानदारी से किया था किंतु बाद में मेरे अंदर लालच आता चला गया, मुझे लगा दीदी मेरे पर विश्वास करने लगी है अब मैं कोई भी सामान किसी भी दाम का बता दूं ,दीदी आंख बंद करके मुझ पर भरोसा कर लेगी, लेकिन मैं गलत था,

चोर कितना ही चोरी कर, एक दिन पकड़ा ही जाता है, मेरी होशियारी भी मुझे धोखा दे गई ,किंतु मेरा विश्वास कीजिए भैया.. आज के बाद में कभी भी आपके साथ ऐसा नहीं करूंगा! तब राघव ने रश्मि की ओर देखा, तब रश्मि ने कहा.. ठीक है हम तुम्हें एक मौका और देते हैं,

किंतु अगर उसके बाद में कोई भी गड़बड़ी हुई तो हम तुम्हें ना सिर्फ काम पर से हटाएंगे बल्कि तुम्हारी पुलिस में रिपोर्ट भी करवा देंगे, रश्मि को उसकी आंखों में पश्चात के आसू दिख रहे थे, और रघु ने भी निश्चय कर लिया आगे से वह कभी इस तरह की जालसाजी नहीं करेगा !

  हेमलता गुप्ता स्वरचित 

 मुहावरा प्रतियोगिता #गला काटना

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