ये क्या अनर्थ कर दिया तुमने –  पूजा शर्मा : Moral Stories in Hindi

2 दिन से निकिता गुमसुम सी नजर आ रही थी, ना ही बच्चों से बात कर रही थी और ना अनिल से। बस जरूरत के मुताबिक ही बोल रही थी, बच्चों ने दो-तीन बार पूछा भी मम्मी आप क्यों नहीं बोल रही हो क्या हुआ है

आपको, कुछ नहीं हुआ है मुझे हर बात बच्चों को बताना जरूरी नहीं होता जाओ बैठकर होमवर्क कर लो, 5 साल का आरव और 7 साल की अवनी चुपचाप अपने कमरे में जाकर होमवर्क करने लगे। अनिल भी ऑफिस से अभी अभी आकर ही बैठा था।

 निकिता उसके लिए चाय बनाकर ले आई और ड्राइंग रूम में सोफे पर बैठ गई। अनिल जानता था निकिता अपने पिता की वजह से परेशान है जिन्हें उसके भाई भाभी ने एक ही शहर में रहने के बावजूद वृद्धाश्रम में भेज दिया। क्या हुआ निकिता तुमने साले साहब से बात की थी क्या कहां उन्होंने?

कंठ रूंधे होने के कारण निकिता के मुंह से आवाज भी नहीं निकली वह सुबकसुबककर रोने लगी। जी भर कर रोने के बाद उसने अपने पति से कहा मुझे माफ कर दो अनिल यह सब मेरे कर्मों का ही फल है। मैं अब भाभी को इस घर में वापस लेकर ही आऊंगी उनके मायके से उनके अपने घर, आज खुद पर बीत रही है तो मुझे उनके दुख का एहसास हो रहा है। सही कहा था उस दिन आपने ,”ये क्या अनर्थ कर दिया तुमने निकिता” एक दिन इसका फल तो तुम्हें जरूर भुगतना पड़ेगा। 

 अब देखो ना केवल 4 महीने ही तो हुए हैं इस बात को मुझे क्या पता था एक दिन मेरे पापा ही अपने घर से बेघर हो जाएंगे उनके बच्चे ही उन्हें वृद्ध आश्रम में पहुंचा देंगे। उस दिन की घटना याद करके अनिल की आंखों में भी आंसू आ गए। उसके पिता की मृत्यु तो बरसों पहले हो गई थी । पिता की सरकारी नौकरी होने की वजह से माँ की पेंशन आती थी

जिससे उन्होंने दोनों भाइयों को पढ़ाया था। बड़े भाई की शादी होने के बाद घर में जैसे बहार आ गई थी लेकिन उनकी शादी के 1 साल बाद ही उसकी मां की भी मृत्यु हो गई थी। उसके भाई और भाभी नीतू ने मां बाप जितना ही प्यार दिया था अनिल को। कितने अरमान से उसके बड़े भाई मुकेश और भाभी ,निकिता को अपने घर में बहू बनाकर लाए थे।

निकिता भी बहुत सम्मान करती थी भाई भाभी का लेकिन सदा समय एक जैसा नहीं रहता।एक सड़क दुर्घटना में 2 साल पहले ही उसके बड़े भाई मुकेश की मृत्यु हो गई थी। उनकी इकलौती बेटी मीनू ने तभी 12th के पेपर दिए थे अब बीएससी सेकंड ईयर में है। अपने भाई की मृत्यु के बाद वह अपनी भाभी और उनकी बेटी के प्रति ज्यादा समर्पित हो गया था।

यही सब निकिता को बहुत अखरने लगा था। गुस्से में एक दिन तो उसने अपने पति से यहां तक भी बोल दिया था कि तुम दोनों देवर भाभी के बीच में क्या खिचड़ी पक रही है। अंदर तक आहत हो गया था अनिल अपनी पत्नी के मुंह से ऐसे शब्द सुनकर, अरे मेरी मां समान है वो तुम होश में नहीं हो इसीलिए ऐसा बोल रही हो औरत होकर औरत का दर्द नहीं समझ सकती तुम।

तुम्हारी आंखों पर स्वार्थ की पट्टी पड़ गई है, मत भूलो यह घर भैया का ही बनवाया हुआ है । मैं खुद से कैसे आंख मिलाऊंगा, मेरी जिम्मेदारी है उनकी बेटी और भाभी की, लेकिन निकिता को अपने कहे शब्दों का कोई अफसोस नहीं था। शायद नीतू ने भी निकिता के यह शब्द सुन लिए थे अगले दिन ही वो अपने भाई के साथ अपने मायके चली गई थी जो इसी शहर में था।

कितनी मिन्नते की थी अनिल ने अपनी भाभी की वापस अपने घर में चलने की लेकिन वो नहीं आई, तब से आज तक दोनों पति-पत्नी के संबंध भी नाम मात्र के ही रह गए थे। लेकिन अनिल ने अपनी जिम्मेदारी से कभी मुंह नहीं मोड़ा था उनकी बेटी की पढ़ाई का खर्च वही उठाता था नीतू भी एक स्कूल में पढ़ाने लगी थी।

तब से निकिता भी कहां चैन से रह पाई है। उसकी खुद के बच्चे भी अपनी बड़ी मम्मी से मिलने को बेचैन रहते हैं । उधर मीनू का भी कहां मन लगता है अपने मामां के घर?आखिर बचपन का साथ है अपने भाई बहनों से उसका।आज निकिता को अपने किए पर बहुत पश्चाताप हो रहा था।

उसी वक्त वह अपने पति के साथ नीतू के मायके पहुंच जाती है और उनके पैरों में गिरकर माफी भी मांगती है और अपने बच्चों का हवाला देकर घर ले भी आती है।

बिखरा परिवार फिर से एक हो जाता है। अनिल जबरदस्ती अपने ससुर को भी अपने घर ले आता है। और अपनी पत्नी से कहता है तुम्हारे होते हुए तुम्हारे पिता अगर वृद्ध आश्रम में रहते हैं तो यह तुम्हारे लिए शर्म की बात है और देख लेना एक दिन तुम्हारे भैया को भी अकल आ ही जाएगी।

 सही ही कहा है किसी ने अगर हम किसी के साथ बुरा करते हैं तो किसी ना किसी रूप में हमारे सामने आ ही जाता है। 

 पूजा शर्मा स्वरचित।

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