पुरानी या सही सोच – रश्मि प्रकाश  : Moral Stories in Hindi

“ ये क्या अनर्थ कर दिया तुमने… तुम्हें किसी ने बताया नहीं है ये तुम जैसे लोगों के बैठने के लिए बिस्तर नहीं लगाया गया है…. नीचे ज़मीन पर बैठ कर खाना चाहिए था… देखो इसको कैसे बेशर्मों की तरह बिस्तर पर बैठ कर खा रहा है।” रत्ना जी जोर जोर से भुवन से कह रही थी 

रत्ना जी की तेज आवाज़ सुनकर पाखी भागकर कमरे में आई और देखती है भुवन सिर झुकाए खड़ा हाथ में अपने नाश्ते की प्लेट पकड़े हुए है 

“ क्या हुआ मम्मी जी भुवन जी से कोई गलती हो गई क्या ?” पाखी ने पूछा 

रत्ना जी पाखी को घूरते हुए कमरे से निकल गई और उनके पीछे पीछे पाखी भी

भुवन चुपचाप बाहर निकल कर घर की सीढ़ियों पर बैठ कर खाने लगा

“ पाखी… ये सब मैं क्या देख रही हूँ…. माना मैं यहाँ तुम्हारे पास नहीं रहती हूँ …तुम दोनों की जैसे मर्ज़ी वैसे रहते हो पर इतना तो ख़याल रखना चाहिए…ये भुवन साफ़ सफ़ाई करने को यहाँ आता है और देखो मजे से गेस्ट रूम में जाकर प्रेम से बिस्तर पर बैठ कर नाश्ता कर रहा है….कम से कम उसकी सही जगह तो बता देती…अभी के अभी वो चादर तकिये के गिलाफ बदलों… ये सब ऐसे चलेगा तो मेरा यहाँ रहना मुश्किल है मैं अनिकेत को कह कर अपने जाने की टिकट करवाने के लिए बोल दूँगी ।”ग़ुस्से की अधिकता से रत्ना जी का चेहरा लाल हो गया था 

“ मम्मी जी मैं भुवन जी को समझा दूँगी… पचास साल के गरीब व्यक्ति है थोड़े पैसे कमाने निकले थे अनिकेत को दया आ गई थी तभी उसने ही इन्हें हर दिन घर की साफ सफ़ाई और वॉशरूम साफ करने का काम बोल दिया है और जब ये आते हैं तो मुझे दया आ जाती है ऐसे में मैं चाय नाश्ता दे देती हूँ… वैसे तो वो हॉल में रखी कुर्सी पर ही बैठ कर खाते हैं पर पता नहीं आज कैसे बिस्तर पर जाकर बैठ गए ।” पाखी रत्ना जी के ग़ुस्से को कम करने की कोशिश कर रही थी 

भुवन चुपचाप अपना काम ख़त्म कर निकल गया… उसके चेहरे पर आज की बातों का असर दिख रहा था । 

शाम को जब अनिकेत ऑफिस से आया रत्ना जी ने उसे देखते ही सारा ब्यौरा दे दिया ।

“ माँ क्या आज भी आप उन्हीं पुरानी दक़ियानूसी सोच पर जी रही है… वो कौन है किस जाति का है ये जानना इतना ज़रूरी है… एक बार उसकी मजबूरी तो समझती फिर उसे कुछ कहती ।” अनिकेत माँ को समझाते हुए बोला 

“ देखो बेटा…. मेरा तो यही मानना है इंसान को कभी भी सिर पर नहीं बिठाया जाता … जिसकी जगह जहाँ होती वो वही शोभा देता है…मुझे तो समझ ही नहीं आ रहा तुम लोग भी बर्दाश्त कैसे कर सकते हो वो वॉशरूम साफ करने के बाद आराम से बिस्तर पर बैठ कर खा रहा था…उसे कोई अलग कुर्सी दे दो बैठने को पर …बिस्तर पर !!!! मुझे तो सही नहीं लगा और तुम कहना क्या चाहते हो उसकी मजबूरी कैसी मजबूरी?” रत्ना जी पूछने लगी 

“ माँ भुवन भी ये सब काम करना चाहता होगा मैं ये तो नहीं जानता पर उसने यही कहा कि वो बचपन से पिता के साथ यही सब काम कर रहा है…एक बेटी है एक बेटा… दोनों की शादी कर चुका है…जबसे बेटे की शादी की है तबसे ही परेशान है…उसकी पत्नी इधर बीमार रहने लगी है उसकी दवा के लिए पैसे चाहिए होते जो बेटा बहू  नहीं देते ….ऐसे में भुवन अपनी पत्नी की दवा का इंतज़ाम करने निकला पर इसे किसी ने कोई काम नहीं दिया…. जहाँ पहले काम करता था वो ऑफिस बंद हो गया…ऐसे ही एक दिन ये भूखा प्यासा भटकता हुआ बेहोश होकर मेरी कार के पास गिर गया…. जब मैं उसे उठाकर उसे होश में लाया तो रोने लगा …. बोलने लगा साहब चढ़ा देते गाड़ी…मर जाता तो कम से कम बेटे पर एक बोझ तो कम हो जाता…. ये सुनकर मुझे बहुत बुरा लगा और मैं इन्हें घर पर काम करने के लिए बोल दिया ताकि ये अपनी पत्नी की दवा का इंतज़ाम कर सके ….माँ घर में जब पहली बार आए थे तब पाखी ने उन्हें चाय नाश्ता दिया वो खुश होते हुए बोले सालों बाद कुछ अच्छा खाने को मिला है… नहीं तो हम लोगों की क़िस्मत में ऐसा खाना कहा… तब से पाखी उन्हें हर दिन चाय नाश्ता देने लगी….. हो सकता है आज उस कमरे की डस्टिंग कर रहे होंगे तो उधर ही बैठ गए हो….इसमें उन्हें इतना बोलने की ज़रूरत नहीं थी…. पाखी को समझा दिया है ना बस वो भुवन से कह देगी आप अपना बीपी हाई मत करो।”अनिकेत माँ को समझाते हुए बोला 

रत्ना जी कुछ देर के बाद बोली ,” जैसा तुम लोगों को ठीक लगे पर बेटा अभी भी यहीं कहूँगी.. आदमी को अपनी सही जगह पता होनी बहुत ज़रूरी है नहीं तो कल को वो अलमारी साफ करने के बहाने खोल कर देखना शुरू ना कर दे ।” 

“ हम ध्यान रखेंगे मम्मी जी ।” शायद पाखी अब सास की  पारखी नज़र और उम्र के तक़ाज़े को समझने की कोशिश करने लगी थी 

दोस्तों मैं ये तो नहीं कहूँगी रत्ना जी पूरी तरह से सही ही थी पर वो कुछ गलत भी नहीं कह रही थी कई बार हम अपने यहाँ काम करने वालों को इतनी छूट दे देते हैं कि वो इसे इस हद तक अपना घर समझने लगते हैं कि ज़रूरत से ज़्यादा दख़लंदाज़ी करने लगते हैं…. अच्छा हो उन्हें उनका दायरा पहले से ही बता दिया जाए ।

असहमत हो या सहमत आपके विचारों का सम्मान करूँगी प्रतिक्रिया अवश्य दें ।

धन्यवाद 

रश्मि प्रकाश 

#वाक्यकहानीप्रतियोगिता 

#ये क्या अनर्थ कर दिया तुमने…

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