क्या करूं, इज़हार करने में थोड़ा कच्चा हूॅ॑!- -प्रियंका सक्सेना : Moral Stories in Hindi

“आज तुम परेशान लग रही हो, सुधा! थकान भी झलक रही है तुम्हारे चेहरे पर। तबीयत तो ठीक है ना तुम्हारी?” राकेश के मुंह से सुनकर भी सुधा को कोई फर्क नहीं पड़ा वो तो अपने में खोई कुछ हिसाब किताब कर रही थी वहीं कुछ जोड़- गुणा करते हुए बोली,” सुनिए, इस महीने से मैं कामवाली को छुड़ा दूंगी, काम ही कितना है , फालतू में दो हजार रुपए खर्च हो जाते हैं। कुछ बचत होगी तो कल काम आएगी।”

“अरे बाबा! पहले ही सारा काम तुम करती हों, दिन भर काम में निकल‌ जाता है तुम्हारा। अब कामवाली का जो तुम्हें सहारा था वो भी छुड़ाने की बात कर रही हों।” राकेश ने सुनते ही थोड़ा तेज स्वर में कहा

“झाड़ू-पोछा,  बर्तन मैं कर‌ लूंगी, मुझे। वैसे भी मुझे उसका काम  पसंद नहीं आता है।”

“अच्छा! और जो तुम्हारे घुटनों में दर्द रहता है उसका क्या?”

“मैं खड़े होकर पोछा लगा लूंगी वो वाइपर डंडी वाला पोछा लगा होता है ना, वो खरीद लूंगी।” सुधा के पास सभी बातों का उत्तर तैयार था

“एक बात बताओ, ऐसा क्या हो गया जो तुम्हें पचास साल की उम्र में इतना काम करने की सूझ रही है वो भी छह लोगों के भरे पूरे घर में? , माॅ॑, पापा, सनी, मोना, मैं और तुम, हम सभी बड़े हैं, कमरे भी अलग हैं सबके, घर में बर्तन भी ढेर होते हैं।”

“वो सब मैं मैनेज कर‌ लूंगी, आप चिंता ना करो।”

“देखो सुधा, मैंने  तुमसे कभी कहा नहीं है परन्तु हकीकत यह है कि तुमने मेरा पूरा भार उठाया हुआ है। मैं तो महीने में आधे दिन नौकरी के कारण टूर पर ही रहता हूॅ॑ । तुम घर के सभी काम इतनी अच्छी तरह से करती हो तभी तो मैं बेफिक्र होकर अपनी जाॅब कर पाता हूॅ॑। तुम माॅ॑, पापा की देखभाल भलीभांति करती हों, ‌ बच्चों का स्कूल से लेकर अब काॅलेज के भी सभी मामलों से तुमने मुझे हमेशा फ्री रखा है और सभी कुछ सलीके से सम्भाला है। सभी मेहमानों का आना-जाना भी इतने ढंग से निभाती हों, तुम्हारी कार्यकुशलता के कारण ही मैं निश्चिंत होकर नौकरी कर पाता हूॅ॑।” सुधा का हाथ अपने हाथों में लेकर राकेश ने कहा

राकेश के उस स्पर्श में परवाह थी, फिक्र थी और प्यार का समावेश था जो सुधा को उसी क्षण महसूस हुआ पर थोड़ा सम्भलकर वह बोली,”लेकिन वो तो मेरा कर्तव्य है और फिर ये तो माॅ॑ , पापाजी ‌का साथ और आशीर्वाद है कि सभी काम सुचारू रूप से होते चले आएं हैं, मैं अकेली नहीं हूॅ॑ , परिवार का साथ होना बहुत बड़ा सम्बल‌ है! मैं तो सोच रहीं हूॅ॑ कि दो पैसे बच जाएंगे तो सनी मोना की शादी में काम आएंगे।”

“अरे मेरी भोली पत्नी! बच्चों की शादी हो जाएगी, दोनों अच्छी पढ़ाई कर रहे हैं , जाॅब भी अच्छी मिल जाएगी। तुम काम अपने ऊपर ओढ़ने की बजाय अपने को थोड़ा हल्का करो, बल्कि मैं तो कहता हूॅ॑ तुम साथ में खाना बनाने वाली भी लगा लो या अगर तुम्हें ये बात ठीक ना लगे तो कम से कम किचन के ऊपरी काम जैसे कि सब्जी काटना, मसाला पीसना, आटा गूंथने के लिए सहायिका रख लो। अपने लिए कुछ वक्त निकालकर उसमें अपनी रुचि का काम किया करो, चाहें वो टीवी देखना हो या कुछ लिखना-पढना हों। हां अच्छी याद आई, तुम सुबह थोड़ा समय निकालकर योगा और सुबह की सैर शुरू कर दो, सेहत है तो सब है!” राकेश ने विस्तार से अपनी बात समझाई

“कुछ ज्यादा नहीं हो गया, आज बड़ा लाड़ आ रहा है मुझ पर, क्यों?”सुधा मुस्कुरा कर बोली

“सुधा, दुनिया के लिए तुम एक इंसान हों लेकिन मेरे लिए तुम पूरी दुनिया हों! तुम हों तो मैं हूॅ॑, समझी! माना मुझे बड़े-बड़े डायलॉग बोलने नहीं आते। क्या करूं इजहार करने में कच्चा हूॅ॑ पर मुझे तुम्हारी फ़िक्र है….अब जब कुछ साल बाद मैं रिटायर हो जाऊंगा तब मैं अपनी पत्नी को बीमार और परेशान नहीं बल्कि हंसती मुस्कुराती देखना चाहता हूॅ॑।” राकेश ने सुधा से अबकि बार जब यह कहा तो उसे पता ही नहीं चला कि माॅ॑, पापा, सनी, मोना सभी कमरे में आ चुके हैं, समवेत स्वर में सभी बोले,” हमारी भी दुनिया तुम से शुरू हो कर तुम पर ही खत्म होती है,सुधा/मम्मी। क्या करें तुम हों ही इतनी सच्ची, दिल की अच्छी, सुधा/मम्मी!”

सुधा ने ढेर सारी तारीफों से शरमाकर अपना मुंह आंचल में छिपा लिया। ज़िन्दगी में कभी-कभी किसी अपने को कुछ अच्छा कह देने से, प्रशंसा करने से उसमें रंग भर जाते हैं, सुधा के साथ भी आज वही हुआ, राकेश की परवाह का वो कोमल स्पर्श, घरवालों का लाड़, उसकी ज़िन्दगी में असंख्य खुशबुओं से भरे रंगीन कुसुम खिला कर उसके तन मन को आनंदित कर गया। राकेश और सभी परिजनों के हृदय के सच्चे उदृगारो से दिल के रिश्ते को खाद-पानी सा मिल गया मानो … लहलहाते हुए दिल के रिश्तों से सम्पूर्ण घर आज पुनः आह्लादित हो उठा!

लेखिका की कलम से ⬇️ 

दोस्तों, पति-पत्नी एक दूसरे के पूरक होते हैं, परवाह पति भी करते हैं पर कहते हैं ना पुरुष भावनाओं को व्यक्त करने में थोड़े नौसीखिए होते हैं। आपको परवाह, प्यार और लाड से ओतप्रोत सच्ची भावनाओं को प्रकट करती दिल के रिश्ते पर आधारित मेरी यह कहानी कैसी लगी, बताइएगा जरूर। आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा। रचना अच्छी लगी हो तो कृपया लाइक कमेंट और शेयर कीजिएगा।

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धन्यवाद।

-प्रियंका सक्सेना

(मौलिक व स्वरचित)

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