दिल का रिश्ता तो किसी से भी जुड़ सकता है – : Moral Stories in Hindi

भाभी कल मुझे लड़के वाले देखने आ रहे हैं अच्छा संजना चहक उठी ।ये तो बड़ी अच्छी बात है,ये बता तूने कुछ तैयारी वैयारी की है कि नहीं कैसी तैयारी भाभी अर्चना बोली ।अरे थोड़ा पार्लर वारलर चली जा शक्ल सूरत ठीक करा लें ,और हां क्या पहन रही है । मम्मी कह रही है साड़ी पहनना है । हां तो साड़ी पहनना है तो साड़ी सलेक्ट कर ली है कौन सी पहनेंगी। अरे कहां भाभी अम्मा के पास तो कोई ढंग की साड़ी भी नहीं है और कह रही है इसी से पहन लेना । अच्छा तू परेशान न हों देखती हूं मैं तेरी साडी तैयार करा दूंगी।

                अर्चना संजना के मकान मालकिन की बेटी थी । संजना को इस मकान में किराए से आए हुए अभी छै महीने ही हुए हैं । संजना के एक सात महीने की बेटी है ।जिसको प्यार दुलार करने के लिए अर्चना अक्सर संजना के पास आ जाती है । धीरे-धीरे अर्चना और संजना में दोस्ती होती जा रही थी। अर्चना ग्रेजुएशन पूरा करके आगे कुछ और पढ़ाई करने की सोच रही थी लेकिन कन्फ्यूज थी कि क्या करें।घर में कोई ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं था बस सभी काम भर का पढ़ाई कर रहे थे । अर्चना का एक बड़ा भाई था जो रेलवे में नौकरी करता था और तीन भाई अर्चना से छोटे थे जो अभी पढ़ ही रहे थे ।

               अर्चना देखने सुनने में काफी सुंदर थी , लेकिन बहुत दबी दबी सी सकुचाईं सी शर्मीली सी थी । ज्यादा किसी से बात चीत भी नहीं करती थी।कहीं आती जाती भी नहीं थी।बस गेजूएशन के बाद घर में ही बैठी थी ।घर वाले थोड़े पुराने ख्यालों के थे ।सो बेटी अब बुक्स को पार कर गई है तो शादी कर दो ।उसको अभी आगे पढ़ने का मन है लेकिन वो कुछ निर्णय नहीं ले पा रही थी ।

                       इधर जबसे संजना घर में रहने आई है अर्चना को एक दोस्त मिल गया है थी भी दोनों हम उम्र संजना और अर्चना मैं चार पांच साल का ही अंतर होगा। अर्चना धीरे धीरे संजना से घुलने मिलने लगी थी ।और बातें भी होने लगी थी।आज जब अर्चना को पता लगा कि लड़कें वाले देखने आ रहे हैं तो वो काफी घबरा रही थी ।मन की उलझन किससे कहें सो संजना से कह बैठी ।

                    फुर्सत होकर संजना ने एक सुंदर सी साड़ी अर्चना के लिए निकाली और ब्लाउज अर्चना के फिटिंग का करा के रख दी ।लो अर्चना कर यही साड़ी तुम पहनना ।और जरा तैयार हो जाओ अभी हम लोग पार्लर चल रहे हैं ।अरे क्या भाभी छोड़ो अर्चना बोली क्यों छोड़ो जल्दी तैयार हो जाओ गुड़िया को अम्मा के पास छोड़ देंगे । गुड़िया को आंटी के पास छोड़ कर अर्चना और संजना पार्लर गई वहां अर्चना का थोड़ा सा बाल वगैरह सेट कराया , आइब्रो ठीक कराई वैसे अर्चना रूप रंग में तो सुंदर तो थी ही ।

                   दूसरे दिन लड़के वाले अपने तय समय पर आ गए । संजना ने अर्चना को अपनी साड़ी पहनाई और सलीके से तैयार करके ले गई ।ना करने की तो कोई गुंजाइश ही नहीं थी लड़के वालों ने हां कर दी और आगे पढ़ाने का आश्वासन भी दिया।लडका विनित इंजीनियर था ।सबके जाने के बाद अर्चना संजना के गले से लिपट कर धन्यवाद करने लगीं। धन्यवाद किस बात का अर्चना तुमने मुझे अपना समझ कर सारी बातें बताई थी तो मेरा भी तो फर्ज बनता था न ये सब करने का । मेरी छोटी बहन की तरह हो तुम। अच्छा ये बताओ विनित तुम्हें पसंद है न संजना ने चुटकी ली , हां भाभी और शर्म से अर्चना का चेहरा लाल हो गया ।

                     आज अर्चना के गोद भराई का कार्यक्रम था घर पर।अब तो अर्चना की अम्मा ने भी अपना की पूरी जिम्मेदारी संजना पर सौंप दी ।देख दो भाई संजना अर्चना को कैसे तैयार करना है और हां मेरी भी मदद करवाना घर में घर में और तो कोई महिला है नहीं अर्चना ही कराती थी तो आज उसका काम है इसलिए तुम्हें करना है और नाश्ता वगैरह कैसे और किन प्लेटो में लगाना है और क्या जरूरत है सब देख लो हां, हां आंटी आप फिकर न करें मैं सब देख लूंगी।

                   संजना ने अपनी बनारसी साड़ी अर्चना को पहनाई और थोड़े अपने जेवर भी पहनाऐ हल्के फुल्के मेकअप से ही अर्चना का रूप रंग निखर आया था । संजना ने देखा आंटी के घर पर प्लेटें वगैरह कुछ ठीक नहीं थे तो संजना ने अपना कांच का सेट निकाला और खूब अच्छे से सारी तैयारी कर दी ।आज तो आंटी भी संजना की तारीफ कर रही थी ।

                 तीन महीने के बाद की शादी की डेट निकाली गई। शादी भोपाल से होनी थी । अर्चना संजना के पीछे पड़ गई कि भाभी शादी में आपको भोपाल चलना ही है । आपके बिना मैं शादी नहीं करूंगी।तो क्या मुझे भी ससुराल साथ ले जाएगी संजना ने अर्चना से ठीठोली की । अच्छा बाबा चलूंगी भोपाल चिंता मत कर ।अब घर के कपड़े  सामान से लेकर लड़के वालों को देने के लिए कपड़े वगैरह सबकुछ में संजना से राय ली जाती। अर्चना की साड़ियां जेवर सब संजना को दिखा कर फाइनल किया जाता।

                  अर्चना की बारात दरवाजे पर लग रही थी बारात में काफी महिलाएं थीं जिनकी अगवानी के लिए अर्चना की तरफ से कोई भी महिला आगे नहीं आ रही थी ।सब घूंघट की ओट से दूर खड़े होकर देख रही थी । अम्मा ने कहा संजना जरा तुम जाकर देखो जो औरतें बारात में आई है । संजना ने खुशी खुशी सब संभाल लिया था। बाराती महिलाएं संजना से पूछती आप अर्चना की कौन है अब संजना क्या बताएं कि मैं कोई अर्चना की रिश्ते दारों नहीं हूं लेकिन अर्चना और उसके परिवार से मेरा दिल का रिश्ता है।।

                 अंत में विदाई की घड़ी आ गई अर्चना संजना के गले लगकर खूब रोई । संजना भाभी आप न होती तो कुछ भी ठीक से न होता । नहीं ऐसी बात नहीं है अर्चना ।जाओ खुशी खुशी अपने घर जाओ देखो विनित तुम्हारा कीतनी बेसब्री से इंतजार कर रहा है। धन्यवाद भाभी अर्चना बोली धत्त पगली धन्यवाद काहे का तूने मुझे भाभी कहां है न ।तू तो मेरी छोटी बहन है ।बस भाभी को याद करती रहना भूलना नहीं ।

            आज अर्चना अपने ससुराल में बहुत खुश हैं । बराबर फोन पर अर्चना और संजना की बात होती रहती है । अर्चना कहती हैं हमारे ससुराल में सब कहते हैं तुम्हारी मुंह बोली भाभी तुम्हारी रिश्ते दारों नहीं थी तब भी कितना ख्याल रखा था सुनकर बहुत अच्छा लगता है मुझको।

               आज अर्चना की शादी के पच्चीस साल हो गए । संजना फिर एक बेटे की भी मां बन गई थी ।आज उसी बेटे की शादी थी अर्चना इस समय सूरत में है और वहां से संजना के बेटे की शादी में आई हुई है ।सच में किसी किसी से आपका ख़ून का रिश्ता न होते हुए भी दिल का रिश्ता जुड़ जाता है । जहां दिल जुड़ जाए वहां खून के रिश्ते भी बेमानी हो जाते हैं ।

धन्यवाद

मंजू ओमर

झांसी उत्तर प्रदेश

4 thoughts on “दिल का रिश्ता तो किसी से भी जुड़ सकता है – : Moral Stories in Hindi”

  1. दिल को छू लेने वाली कहानी । बहुत बहुत धन्यवाद।

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