दत्तक माँ -नीरजा कृष्णा

अपने पति चंदन जी की अचानक मृत्यु के बाद वो बहुत शॉक में थीं। एकमात्र बेटी दूर विदेश में थी…बराबर आने की कोशिश कर रही थी…रोज़ सुबह शाम वीडियो कॉल करके हिम्मत बँधाती रहती थी…एक दिन उसे अचानक पंडित जी की बेटी अंजलि की याद आ गई।  वो फोन पर ही पूछ बैठी,”मम्मी, वो अपने … Read more

संस्कारों की पाठशाला – कंचन श्रीवास्तव

अम्मा के हाथों की चुपड़ी हुई नमक तेल रोटी खाने का अपनी ही मज़ा है माना मेरे साथ वाले सहपाठी कोई आलू की भुज्जी लाते है तो कोई पनीर मशरूम पर मुझे लालच नही आती क्योंकि इनकी ऐ सब्जी नौकर या नौकरानी बनाते है और मेरी रोटी मेरी माँ । अब आप खुद ही समझ … Read more

“मैं बोनसाई नहीं”  – सुधा जैन

ईशा प्यारी सी लड़की, सुंदर, सुशील ,समझदार, माता पिता ने सुयोग्य लड़का ,घर परिवार, देखकर उसकी शादी कर दी ।मध्यम वर्गीय परिवार  में पली-बढ़ी इशा अपने मन में ढेर सारे सपने सजाए ससुराल आ गई। ससुराल में सास ससुर  दो ननंद और एक देवर है ।शादी के पहले मां हर दिन समझाती रहती ,”ईशा थोड़ा … Read more

सम्मान की रक्षा – अनुपमा 

आज आपको राधिका से मिलवाते है  राधिका हमारे चाचा जी की सबसे बड़ी बहू है  । आप सब सोच रहे होगे अचानक से आज मैं आपको राधिका से क्यों मिलवाना चाहती हू । आप मिलिए तो सही पहले हमारी राधिका से  राधिका की शादी हुए अब तो बीस साल हो चुके है । और इन … Read more

मेरी मां – सुषमा यादव

आज़ मातृत्व दिवस पर मेरी मां के साथ, सभी मां  को सादर प्रणाम मेरी प्यारी मां का नाम था मालती,, बहुत ही खूबसूरत, सीधी सादी, और उदात्त विचारों वाली,,, मध्यम स्तर की आर्थिक स्थिति होते हुए भी मेरी मां ने हम सब का बहुत ही उचित ढंग से लालन पालन किया,,, इकलौती बेटी होने के … Read more

दान-रक्षा गुप्ता

शहर में मंदिर बनने का काम जोर शोर से चल रहा था.. लाखों की तादाद में लोग मंदिर समिति को दान दे रहे थे जिससे मंदिर निर्माण में कोई रुकावट न आ सके.. रिक्शा चलाने वाला रामसेवक तीन दिन से रोज दान देने की इच्छा से जाता था और सोचता कि मैं भी कुछ दान … Read more

चरित्र प्रमाण-पत्र – वंदना चौहान

मिसेज शर्मा छत पर कपड़ों की बाल्टी लेकर पहुँची ही थीं कि मिसेज वर्मा की आवाज से चौंक पड़ीं । अरी बहन, कब से तेरी राह देख रही हूँ। आज इतनी देर कैसे कर दी कपड़े धोने में, मैं तो कब से सारे कपड़े सुखा चुकी तेरे इंतजार में खड़ी हूँ । हाँ बहन, आज … Read more

मजबूरी – अनुपमा

नीरजा अपने पति को चाय दे ही रही थी की बाहर के शोर की आवाजें उसके कानों मैं सुनाई दी , वैसे तो आए दिन कुछ न कुछ होता ही रहता था नीरजा के पड़ोस मैं पर सबसे ज्यादा जो कुछ भी होता था उसके बगल वाले घर मैं ही होता था । कभी सब्जी … Read more

भाभी के समान पर हक – विनिता मोहता

नीति की नई नई शादी हुई थी, ससुराल भी ज्यादा बड़ा नहीं था सास ससुर और एक कुंवारी ननंद. नीति  को ससुराल में एडजस्ट होने में ज्यादा टाइम नहीं लगा. घर पर सारे काम वाले थे तो अपने ऑफिस के काम के साथ-साथ किचन का काम नीति अकेले ही संभाल लेती थी .अब उसकी सास … Read more

संयुक्त परिवार की बहू – संगीता अग्रवाल

रजनी की शादी में कुछ ही दिन बचे थे. शादी की शॉपिंग से लेकर पार्लर तक सब कुछ बुक हो चुका था. मगर उसके मन में अजीब सी बेचैनी और घबराहट घर कर गई थी, जिसके कारण वह हर वक्त उदास रहने लगी. उसकी मां ने जब उसका उतरा हुआ चेहरा देखा तो उसे अपने … Read more

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