बड़े भैया पिता समान – गरिमा जैन 

4 January 2007 तिहाड़ जेल  सुबह के नौ बजे भोलू : यार मुकेश आज तो तू रिहा हो जाएगा। अब तो बता दे उस रात क्या हुआ था ?इतने सालों से एक उदासी जो मैंने तेरे चेहरे पर देखी है उससे मुझे यही लगता है कि उस रात जो कुछ भी हुआ वह सच सच … Read more

विचित्र किंतु सत्य – प्रीती सक्सेना

 बहुत साल पहले करीब 47 साल पहले की बात है, मेरे पापा बिलासपुर छत्तीसगढ़ में तहसीलदार के पद पर पदस्थ थे, मैं पांचवी क्लास में पढ़ती थी, पापा पास के गांव में टूर पर गए हुए थे, पापा के एक परम मित्र थे एक सरदार जी, जो अक्सर पापा से मिलने आते थे, उनकी खासियत … Read more

मजदूर या मजबूत – गोविन्द गुप्ता

मजदूर शब्द आते ही सर पर अंगोछा बंधे चेहरे पर झुर्रियां और कुछ सामान ढोते या ठेली चलाते मजदूर याद आ जाते है मुम्बई दिल्ली जैसे शहरों में देश के विभिन्न हिस्सों से रोजगार की तलाश में आये मजदूरों की संख्या लाखो में है,लेकिन सब कुछ न कुछ काम पाकर खुशी पूर्वक जीवन यापन कर … Read more

चाय-नाश्ता – पुष्पा कुमारी “पुष्प” 

“आइए बैठिए शोभा जी!.लगता है आज सूरज पश्चिम से निकला है!” यह कहते हुए अंजना ने पड़ोस में रहने वाली अपनी सहेली शोभा को बैठने के लिए वही रखी कुर्सी खिसका दिया। कुर्सी पर बैठते हुए शोभा धीरे से बोली.. “जरा वकील साहब से मिलने आई थी!” “वकील साहब से!” अंजना को हैरानी हुई। असल … Read more

सवाल हानि-लाभ का – नीलम सौरभ

रोज की तरह शाम को रुनू की दादीमाँ अपनी हमउम्र सखी के साथ जब पास वाले मन्दिर गयीं, वापसी में उन्हें सड़क के किनारे ठेले पर सजी ताज़ी सब्जियों के साथ आलू, प्याज भी बिकते दिख गये। वे भी एकदम फ्रेश दिख रहे थे। सुबह-सुबह बहू की बातें कानों में पड़ी थीं, कि आलू-प्याज दोनों … Read more

गहने या सम्मान – विनिता मोहता

“ये कैसे गहने चडाए है तुम्हारे ससुराल वालों ने गहने कोई वजन ही नही है एकदम हल्के |” कहते हुए प्रीया की ताईजी ने उसके ससुराल से आया हुआ सोने का सेट साइड़ मे रखते हुए कहा| “अरे दीदी सोने का भाव पता है, क्या है ?ना हर किसी के बस की नही है की … Read more

पेंशन पार्ट 2 – अरुण कुमार अविनाश

ओल्ड ऐज होम!    सुमित्रा देवी विचारों के भंवर में डूब-उबर ही रही थी कि डोर बेल बजी – उठ कर उन्होंने दरवाज़ा खोला – निवेदिता थी। अगले एक घँटे में निवेदिता जल्दी-जल्दी तैयार हुई और स्कूल जाने के लिये घर से बाहर निकल गयी। इस समय सुबह के 09:15 हो रहें थे – निवेदिता … Read more

पेंशन पार्ट 1 – अरुण कुमार अविनाश

” माँजी , मैं सरला के यहाँ से पाँच मिनट में आ रही हूँ – आप डॉली को खाना खिला दीजियेगा।” – निवेदिता ने कहा और सास की सहमति या असहमति सुने बिना मेन गेट खोल कर फ्लैट से बाहर निकल गयी। डोर क्लोज़र की मदद से ऑटोमेटिक दरवाज़ा स्वतः बंद हो गया था। सरला … Read more

मदर्स डे-अमित भिमटे

राजीव अपने कमरे में कुछ सोचते हुए चहलकदमी कर रहा था, उसके चेहरे पर चिंता साफ झलक रही थी। पास ही बैठी उसकी मां ने उससे पूछा “क्या हुआ बेटा कोई समस्या है क्या…? “।      “मां कल मदर्स डे है, आप तो जानती हो रिया और सिया दोनो हर साल मदर्स डे कितने अच्छे से … Read more

नई सुबह नई राह -अंशु श्री सक्सेना

महक को आज की रात कितनी लम्बी लग रही थी। नींद उसकी आँखों से कोसों दूर थी । वह यही सोच रही थी कि पुनीत से विवाह कर के उसने कितनी बड़ी ग़लती की है । उसने करवट ले कर पलंग के दूसरे कोने में सो रहे पुनीत को देखा ।वह सोचने लगी , उसके … Read more

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