गहने या सम्मान – विनिता मोहता

“ये कैसे गहने चडाए है तुम्हारे ससुराल वालों ने गहने कोई वजन ही नही है एकदम हल्के |” कहते हुए प्रीया की ताईजी ने उसके ससुराल से आया हुआ सोने का सेट साइड़ मे रखते हुए कहा|

“अरे दीदी सोने का भाव पता है, क्या है ?ना हर किसी के बस की नही है की भारी गहने चडाना| प्रीया की चाची भी बीच मे ही बोल पड़ी|

हा नही तो क्या तुम ने सही कहां छोटी इतने महंगे गहने बनवाना ,प्रोफेसर साहब के बस की बात नहीं| कहते हुए ताई जी हंसने लगी|

अपनी चाची और ताई जी को इस तरह से बातें करते देख प्रिया उदास नजरो से अपनी मां की ओर देखने लगी मां ने उसे चुप रहने का इशारा किया|

उनका इशारा ताई जी ने देख लिया और कहा- प्रिया की मां तुम क्या समझती हो हमें कुछ नजर नहीं आता| मगर तुम दोनों मां बेटी के इशारे अच्छी तरह समझ में आ रहे हैं ,मेरी बात बुरी लगी हो तो माफ कर देना |मगर प्रिया मेरी खुद की बेटी की तरह मुझे प्यारी है |मैंने कभी अपने बच्चों में और प्रिया में कोई फर्क नहीं किया |इसलिए तो अपनी बहन के बेटे का रिश्ता लेकर आई थी| आज यदि तुमने मेरी बात मान ली होती तो प्रिया की सगाई में इतने गहने आते, कि वह ऊपर से लेकर नीचे तक गहनों में लदी होती, मगर तुम्हें तो प्रिया के लिए ऐसा घर चाहिए था ;जहां उसे नौकरी करने की इजाजत मिले अरे भाई घर में इतना कुछ है तो फिर घर की बहू घर के बाहर जाकर नौकरी क्यों करें?



प्रिया की मम्मी अपनी जेठानी को इस तरह नाराज देख कर बोली- दीदी मुझे पता है आपने प्रिया में और अपनी बेटी में कभी कोई फर्क नहीं किया| मगर शुरू से ही जब मुझे इस घर में काम करने की ,घर से बाहर जाने की परमिशन नहीं मिली थी तो कई बार घुटन सी महसूस होती थी| बस यही चाहती थी कि वह घुटन मेरी बेटी को महसूस ना हो| बात पैसे की कमियां ज्यादा की नहीं है बात आत्मसम्मान की है| गहनों का क्या है आजकल वैसे भी सोने के गहने कौन पहनता है| कहकर प्रिया की मम्मी ने बात को वही खत्म कर दिया|

प्रिया शादी होकर अपने ससुराल आ गई वहां सभी लोग बहुत अच्छे थे| प्रिया को एडजेस्ट होने में ज्यादा टाइम नहीं लगा |प्रिया आसानी से घर और बाहर दोनों जगह एडजस्ट कर लेती कुछ दिनों के बाद ताई जी के छोटे बेटे की शादी थी|

उसकी सासू मां ने कहा- बेटा तुम्हारी शादी के बाद तुम्हारे घर में पहली शादी है| जी भर कर शॉपिंग करना कोई कमी नहीं रहनी चाहिए| आखिर तुम हमारे घर की लक्ष्मी हो |
मगर प्रिया को अपने परिवार के बारे में पता था कि वह एक्स्ट्रा खर्चा नहीं कर सकती इसलिए वह मुस्कुरा कर बोली- मम्मी जी अभी कुछ दिनों पहले ही तो मेरी शादी हुई है| कई साड़ियां तो अभी तक पहनने में ही नहीं आई है, गहने मेकअप का सामान सब कुछ है मेरे पास मुझे कुछ भी शॉपिंग नहीं करनी|

मगर सासू मां नहीं मानी और उन्होंने प्रिया को दो कॉटन की साड़ियां दिलायी और कहां- बेटा भले ही तुम्हें जरूरत ना हो, मगर नई दुल्हन का अरमान होता है कि अपने मायके नई साड़ियां पहन कर जाए| यह साड़ियां तुमने अपने ऑफिस में पहनने के काम भी आ जाएगी|

प्रिया अपने भाई की शादी में कुछ दिनो के लिए मायके आ गई ताई जी के मायके वाले भी वही मौजूद थे| ताई जी के बहन का बेटा जिससे,

प्रिया की शादी की बात चली थी उसकी पत्नी भी वहीं पर थी जो पूरे टाइम सज धज कर एक नुमाइश की तरह रहती थी| मगर उसके चेहरे पर मुस्कुराहट नहीं कि हर वक्त किसी तरह का दबाव नजर आता था!



 वही प्रिया सिम्पल ही रहती थी, मगर हर वक्त मुस्कुराकर सबसे बातें करना और हर काम में आगे आगे काम करती| उसके पति भी पुरे परिवार से अच्छी तरह हिल मिल गये| हर कोई प्रिया की बड़ी तारीफ कर रहा था| मगर ताई जी की आंखों में प्रिया का साधारणपन खटक रहा था|

उन्होंने शादी के बाद प्रिया को अपने करीब बुलाया और कहा- प्रिया पूरी शादी के दौरान मुझे समझ में आ रहा था, जब तुम्हारी दूसरी बहने और भाभीया ऊपर से लेकर नीचे से तक गहनों से लदी हुई थी तब तुम सादी साड़ी और सिंपल गहने पहनी हुई थी| तू भले कहे नहीं मगर तेरी आंखें मैं पढ़ सकती हूं, मुझे तेरे लिए बहुत बुरा लग रहा था |तूने देखा मेरी बहन की बहू हर फंक्शन में कितनी भारी साड़ी और गहने पहनी हुई थी| काश तूने मेरी बात मान ली होती| बेटा जीवन में पैसा ही सब कुछ होता है| मुझे तो समझ नहीं आता कि तेरी मां ने प्रोफेसर साहब में क्या देखा?

अपनी ताई जी की बात सुनकर प्रिया हैरान थी| वह उनके पास गई और उनका हाथ पकड़ कर बोली -ताई जी आपको ऐसा क्यों लगा, कि मैं अपने ससुराल में खुश नहीं हूं ?मेरी किसी बात से या आपके दामाद की किसी बात से आपको ऐसा लगा?



नहीं बेटा दामाद बाबू की तो सभी लोग बहुत तारीफ कर रहे थे। वह तो इस तरह काम संभाले हुए थे, मानो दामाद नहीं इस घर के बेटे हो | तू भी पूरी शादी के दौरान हंसती मुस्कुराती सारा काम कर रही थी ,मगर फिर भी तेरे हंसते हुए चेहरे के पीछे की तकलीफ समझ में आ रही है| मां की तरह तुझे प्यार किया है इसलिए तेरे लिए बुरा लग रहा है|

ताई जी आपको मेरे मुस्कुराते हुए चेहरे के पीछे की तकलीफ नजर आई, मगर अपनी बहन की बहू का बुझा हुआ चेहरा नजर नहीं आया| आज मेरे घर में ऐश और आराम की भले ही कमी हो मगर मेरा परिवार और पति दोनों मुझे इतना मान सम्मान देते हैं कि मैं अपने घर में बहुत ही खुश हूं| और आपको पता है अभी कुछ दिनों पहले ही मैंने गवर्नमेंट जॉब के लिए कोचिंग क्लासेस जॉइन कर ली है |आपने कभी अपनी बहू से बात करने की कोशिश करी इतनी सारी ज्वेलरी और महंगी साड़ियां होने के बावजूद उसके चेहरे पर मुस्कुराहट क्यों नहीं थी, क्योंकि ताई जी हम औरतों को सिर्फ कहने और साड़ियां ही नहीं लुभाती, हमे मान सम्मान की चाहिए होता है जो मुझे मेरे घर में भरपूर मिलता है| आज तक आपके दामाद ने ऊची आवाज में कभी कमरे में भी बात नहीं की , सासू मां का तू बेटा बेटा कहकर मुंह सूखता है| मगर आपकी बहन और उनका बेटा अपनी पत्नी को कुछ नहीं समझता| कई बार मैने शादी के भरे हुए घर में  छोटी-छोटी बातों पर उन दोनो को अपनी पत्नी पर नाराज होते हुए देखा है| इस तरह के कलह के घर मे गहने पहनने से अच्छा,  मैं सुकून से काले मोती की माला पहनकर खुश रहूँ|

प्रिया की बात सुनकर ताई जी को अपनी गलती का एहसास हो गया और वह बोली- सच कह रही है ,प्रिया इस तरह तो मैंने आज तक नहीं सोचा |सच मे औरत का श्रंगार पति का दिया हुआ मान सम्मान होता है|

विनिता मोहता

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