मदर्स डे-अमित भिमटे

राजीव अपने कमरे में कुछ सोचते हुए चहलकदमी कर रहा था, उसके चेहरे पर चिंता साफ झलक रही थी। पास ही बैठी उसकी मां ने उससे पूछा “क्या हुआ बेटा कोई समस्या है क्या…? “।

     “मां कल मदर्स डे है, आप तो जानती हो रिया और सिया दोनो हर साल मदर्स डे कितने अच्छे से मनाती आ रही हैं, इस बार अंजली को वो कितना मिस करेंगी , सिया तो फिर भी थोड़ी समझदार है, पर रिया तो अभी सिर्फ 8 साल की है, अभी भी रात में वो मम्मी मम्मी बोलते हुए मुझ से लिपट जाती है, अंजली का निधन हुए पूरे 10 महीने हो गए हैं, अभी भी दोनो इस सदमे से पूरी तरह उबरी नहीं हैं, ” राजीव ने भीगी आंखों से मां से कहा।



       राजीव की मां ने प्यार से राजीव के सिर पर हाथ फेरा और कहा ” बेटा समय सबसे बड़ा मलहम होता है, सब ठीक हो जायेगा तू अपना दिल छोटा मत कर”।

     दूसरे दिन राजीव सुबह से ही किसी काम का बहाना बना कर बाहर चला गया, वो दोनो बेटियों का सामना नहीं करना चाह रहा था। दिन के समय वो भारी मन से घर आया उसे समझ नही आ रहा था की वो कैसे बच्चों को समझाएगा। राजीव दरवाजा खोल कर अंदर आया। पूरा कमरा सजा हुआ था, एक टेबल पर केक और कुछ गिफ्ट्स रखे थे और साथ ही अंजली की एक फोटो भी थी।

      ” अरे बेटा ये केक, ये डेकोरेशन, गिफ्ट ये सब क्या है…” राजीव  आश्चर्य से बोला।

      सिया और रिया ने राजीव को गले से लगा लिया और सिया बोली ” पप्पा आज मदर्स डे है, मम्मी तो हमारे साथ नहीं है, पर उनकी डेथ के बाद आप ने हमारा कितना ध्यान रखा है, आप ने कभी हमे मम्मी की कमी नही होने दी, आप हमारे पप्पा ही नही हमारी मम्मी भी हो, इसलिए आज का मदर्स डे का सेलिब्रेशन आप के लिए, चलो जल्दी से केक काटो,”

      ये सुन कर राजीव हतप्रभ रह गया, उसने जोर से दोनो बेटियों को गले लगा लिया और अंजली की फोटो उठा कर उसे देखा, और उसकी आंखों से झर झर आंसुओं का सैलाब बह निकला।

अमित भिमटे

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