मजबूरी – अनुपमा

नीरजा अपने पति को चाय दे ही रही थी की बाहर के शोर की आवाजें उसके कानों मैं सुनाई दी , वैसे तो आए दिन कुछ न कुछ होता ही रहता था नीरजा के पड़ोस मैं पर सबसे ज्यादा जो कुछ भी होता था उसके बगल वाले घर मैं ही होता था ।

कभी सब्जी वाला , कभी दूध वाला , कभी प्रेस वाले भैया और कामवाली रमा के साथ तो रोज का ही था मालती का ।  

बालकनी मैं आकर देखा तो सुनाई दिया की रमा को मालती ने आज काम से ही निकाल दिया है , और रमा बस कहती जा रही थी भाभी जी आप घर पर नहीं थे , मैं कैसे करती काम और मैं आपको बता कर तो गई थी ।

दरअसल हुआ यूं था की रमा आगे के घर मैं और भी काम करती थी और वहां कोई बीमारी से गुजर गए थे , उनके यहां तेहरवी थी रमा को उन्होंने सभी जगह छुट्टी लेने को पहले ही बोल दिया था , और रमा ने सभी जगह उस दिन काम भी नही किया था लेकिन मालती स्कूल मैं पढ़ाती थी इसलिए रमा ने उसके यहां छुट्टी नही की थी ये सोच कर की मालती परेशान हो जायेगी ।

तो हुआ यूं की मालती स्कूल गई हुई थी और गलती से अपने रूम की चाभी भी ले गई थी और चूंकि रमा समय से पहले आ गई थी तो उसने सारा काम तो कर दिया था और जल्दी जल्दी दूसरे घर मैं मदद को चली गई थी ।


अगले दिन मालती का गुस्सा सातवें आसमान पर था और उसने रमा को बोल दिया की कल से काम पर आने की जरूरत नहीं है , वो रमा को बोलने ही नही दे रही थी । रमा का मुंह उतर गया था , मैंने अनुमान लगाया सोच रही होगी की फिर नया काम ढूंढना पड़ेगा एक , मैंने अगले दिन रमा को बुलवाया और गार्डन मैं पानी देने और खर पतवार साफ करने का काम के लिए पूछा तो वो खुशी खुशी राजी हो गई ।

अभी महीना भर भी नही बीता था की एक दिन मालती का मेरे पास फोन आया की भाभी जी रमा को भेज दीजिएगा कुछ बात करनी थी , मैंने भी कह दिया की ठीक है और रमा को बता दिया ।

अगले दिन रमा आयी तो बताने लगी की मालती भाभी को फिर से काम करवाना है , कोई नई काम वाली आ नही रही या काम करने और जो आती है वो काम करना नही चाहती है उनके यहां । मैं बहुत उत्सुक थी ये जानने को की रमा ने मालती को क्या बोला है ।

रमा ने सीधे सीधे तो नही बताया की पर कहने लगी क्या करू भाभी जी , पति कुछ करता नही है मेरे तीन बच्चे है सब मुझे ही देखना होता है और मालती भाभी भी तो नौकरी करती है , फिर घर का काम , बच्चे , पति और सास सभी का काम करती है घर आकर इसलिए वो इतना गुस्सा करती है वो भी तो थक जाती होगी । 

मैं बस यही सोचने लगी की इंसान की मजबूरी उससे सब करवा लेती है , रमा की मजबूरी है की वो गरीब है , पति कुछ करता नही है और बच्चे उसको ही देखने है ।

और मालती वो भी तो मजबूर ही होकर रमा को बुलवायी थी बाहर का काम , फिर घर मैं भी काम , सबकुछ देखना , व्यवस्थित रखना, सब औरत की ही तो मजबूरी है ।

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