नयी पहचान – स्मृति श्रीवास्तव

प्रिया 3 बहनों में सबसे बड़ी दीनदयाल और रमा जी की बेटी | दीनदयाल जी को तो लड़का चाहिए था पर कहते हैं ना कुछ चीजें ऊपर वाले के हाथ होती हैं | उसे और उसकी बहनो रीमा और आरती को कभी पिता से प्यार मिला ही नहीं , माँ भी डरती थी पिताजी के … Read more

अमानत – डा. मधु आंधीवाल

———– दामिनी की दोनों छोटी बहनें पारुल और जया उसके कंधे पर सिर रख कर सुबक रही थीं । एक मां ही तो सहारा थी तीनों की आज उसकी भी विदाई हो गयी । दामिनी की आंखों के आंसू तो जैसे अन्दर बर्फ़ की तरह जम गये थे । कैसे अपनी मां की इन अमानतों … Read more

उलझन – संगीता त्रिपाठी

सुबह वैभव को बस स्टॉप पर छोड़ने गई तो देखा बगल वाले घर का मुख्य दरवाजा खुला था। “अरे शुभा आंटी तो पांच महीने के लिये बेटे के पास गई थी, इतनी जल्दी कैसे आ गई “मन ही मन तर्क -वितर्क करते मै शुभा आंटी के घर की घंटी बजा दी। सामने अस्त -व्यस्त सी … Read more

“समझौते से बंधी,जीवन की डोर” – कविता भड़ाना

“जीवन की डगर तो होती ही है उतार चढ़ाव और समझौते से भरी हुई। मैने भी अपने जीवन में एक समझौता किया है” l यह मेरे जीवन की सच्ची घटना है, जिसे आज में आप लोगो के साथ सांझा कर रही हूं।…. मेरी बड़ी बेटी के जन्म के 2 महीने बाद ही दुर्घटनावश मैं घर … Read more

“शर्त नहीं समझौता” – डॉ.अनुपमा श्रीवास्तवा

घर में सब लोग आराम से सो रहे हैं , तुम कहां जाने की तैयारी में लगी हो ? आज तो संडे है फिर सुबह -सुबह  बैग सम्भालने का क्या मतलब है जरा मैं भी तो सुनूँ? रावी बिना कोई जबाव दिये अपने धुन में भाग कर बाथरूम में गई।थोड़ी देर के बाद लौटकर कमरे … Read more

ससुराल में कितना भी कर लो बुराई ही मिलेगी-मीनाक्षी सिंह 

रमा जी – संजना सुन रही हैं ना य़ा बहरी हो गयी ! मैने क्या बोला बताना ज़रा ! संजना – मम्मी जी ,आप कह रही थी कल गांव से चाचा चाची आ रहे हैं इलाज करवाने ! रमा जी – कान की तो चलो पक्की हैं तू ,और सुन पथरी का ओपरेशन हैं चाचा … Read more

कभी फ़ुर्सत मिले तो: – मुकेश कुमार (अनजान लेखक)

वकील साहब कभी फ़ुर्सत मिले तो… चल साले ज़ुबान लड़ाएगा वकील साहब से? पुलिस घसीटते हुए ले जा रही है योगेश को। पसीना-पसीना हो उठ कर बैठ गए वकील साहब। उनकी पत्नी को मालूम था, इसके बाद वकील साहब को दोबारा नींद नहीं आती है। बिस्तर से निकल कर चाय बनाने लगी गई। दो कप … Read more

समझौता – कुमुद चतुर्वेदी

मुहल्ले के बच्चे बड़े आश्चर्य से उस साधु जैसी वेशभूषा जैसे आदमी को देख रहे थे।वह आदमी लंबी और घनी सफेद सन सी दाढ़ी व मूँछों के साथ ही गेरुये वस्त्र भी पहने हुए था।उसका साधु जैसा रहन सहन होते हुए भी सिर पर हैट और पैरौं में जूतों के साथ हाथ में एक सुंदर … Read more

“ज़िंदगी से समझौता करते कथिर से कुंदन बन गई” – भावना ठाकर ‘भावु’

वंदना आज कलेक्टर की कुर्सी संभालने जा रही थी, उस सम्मान में एक समारोह रखा गया। पूरा हाॅल बड़े-बड़े  अधिकारियों और कुछ रिश्तेदारों से खिचोखिच भरा हुआ था। वंदना खोई-खोई दोहरे भाव से जूझ रही थी गरीबी, ससुराल वालों की प्रताड़ना घर-घर जाकर खाना बनाकर पाई-पाई जोड़कर पढ़ना एक-एक घटना किसी फ़िल्म की तरह दिमाग … Read more

एक और मंदोदरी ! – रमेश चंद्र शर्मा

रत्नेश शहर के बहुत बड़े उद्योगपति। अच्छा खासा कारोबार । अकूत दौलत के स्वामी। पहली पत्नी मंदाकिनी के रहते सुवर्णा से रिश्ता बनाने पर उतारू। मंदाकिनी ” आप मेरे साथ धोखा कर रहे हो। मैं आपकी विवाहिता हूं”। मंदाकिनी ने अपने पति रत्नेश को कहा। रत्नेश (हंसकर) हम खानदानी रईस हैं। सुवर्णा यहां अपनी स्वेच्छा … Read more

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