रिश्ता इंसानियत का – ममता गुप्ता 

अरे!! दीपा जी तुम्हे पता है या नही अपनी सोसायटी में जो कामवाली बाई सरला आती हैं ना… सुना है वह कोरोना पॉजिटिव है…..।। मैने तो जैसे ही सुना वैसे ही उसे काम पर से निकाल दिया..न जाने कितनो को बीमार करती…!बेचारी पता नही मरेगी या जियेगी आखिर उसको कोई अपना हैं भी तो नही…!! … Read more

पापा को भी एक साथी की जरूरत है – चाँदनी झा

ये कोई उम्र है शादी करने की, समाज क्या कहेगा? कितनी आसानी से आपने यह कह दिया। पर कौन देखनेवाला है, पापाजी को। यह समाज?? मिशा बोले जा रही थी। मिशा और अश्विनी बड़े शहरों में रहते थे, अश्विनी के पिताजी मुकुंदलालजी गांव के स्कूल में ही शिक्षक पद पर कार्यरत थे। तो उन्हें बाहर … Read more

बहुरानी चली लेखिका बनने ? – कुमुद मोहन

नैना दोपहर को सारा काम निपटा कर चाहती तो थी कि दो घड़ी कमर सीधी कर ले| पर फिर सोचा घंटे दो घंटे का ये टाइम अगर सोने में चला गया तो कहानी अधूरी रह जाएगी, बस चार दिन ही तो बचे हैं लास्ट डेट के? महिलाओं की एक प्रतिष्ठित मैगज़ीन में कहानी प्रतियोगिता के … Read more

समधी का आसन – मुकुन्द लाल

    विनायक अपने पुत्र सोनू के साथ अपनी भगनी की शादी में अपने जीजाजी के घर पहुंँचा था। अपनी पत्नी के अस्वस्थ रहने के कारण वह उसे नहीं ला सका था इस शादी के सामारोह में, किन्तु अपने इकलौते पुत्र की जिद्द के आगे उसे झुकना पड़ा, अंत में उसे अपनी यात्रा में शामिल कर लिया … Read more

देहदान- बीना अवस्थी

पाराशर जी के घर में मृत्यु सा सन्नाटा पसरा है, कभी कभी मिसेज पाराशर और बेटी प्रार्थना की सिसकियों की आवाज गूँज जाती है। आज राखी का पर्व है परन्तु उनके घर में तो खाना भी नहीं बना। सबकी ऑखों में पिछली राखी की स्मृतियॉ कौंध रही थीं। विपुल और प्रार्थना की मीठी नोंक झोक … Read more

जुड़वा बेटियाँ – बीना अवस्थी

मॉ के गर्भ में दो जुड़वा बेटियॉ आपस में बात कर रही थीं। कहते हैं कि जब तक बच्चा बोलना नहीं शुरू करता, उसे पिछला जन्म याद रहता है। पहली बहन ने दूसरी से कहा – ” पिछली बार मेरी मॉ को दो बेटियॉ पहले से थीं, बेटे की चाह में तीसरी बार गर्भ धारण … Read more

 डर  – रचना कंडवाल

मां मैं चलती हूं मुझे देर हो रही है। “अरे बेटा ठीक से नाश्ता कर ले हमेशा हड़बड़ी में रहती है”। तेरी पसंद के आलू के परांठे बनाएं हैं। मां शाम को घर लौटूंगी तो एक गर्म बना देना। मां बड़े प्यार से बेटी को निहारती रही। सामने पापा अखबार पढ़ रहें हैं बिटिया ने … Read more

अपमान लक्ष्मी का – डॉ .अनुपमा श्रीवास्तवा

सुधा की तबीयत आज कुछ ठीक लग रही थी। आधे घंटे से वह बिछावन से उठने का प्रयास कर रही थी पर कमर के दर्द के कारण उठ नहीं पा रही थी। तभी सुधीर बच्चों की तरह चहकते कमरे में आकर बोले-” सुधा उठकर चलो न बाहर चलकर देखो तो ….दो गौरैया अपना घोंसला बना … Read more

सच्ची मोहब्बत – गरिमा जैन 

प्रिय , मैं नहीं जानता कि मैं यह पत्र तुम्हें क्यों लिख रहा हूं। शायद पहले पत्रों की तरह तुम इसे भी फाड़ कर फेंक दो। डरती हो ना कहीं तुम्हारे पति को ना मिल जाए। कहीं तुम्हारी बसी बसाई गृहस्ती ना उजड़ जाए । सच बताऊं तुम डरपोक निकली। सिर्फ अपने बारे में सोचा … Read more

वो झिलमिलाती रात – श्रद्धा निगम

वो जगमगाती झिलमिलाती शाम ही तो थी,सीमा उमंग और उत्साह से रजत के बेटे के जन्मदिन में जा रही थी।महीना भर पहले से ही रजत याद दिला रहा था,पहला जन्मदिन है मनु का,याद रखना।तुम्हे जल्दी आना है। सीमा हंस कर कहती -हाँ याद है मुझे,मैं कैसे भूलूंगी ,मेरा भी तो बेटा है। -हां ,तभी तो … Read more

error: Content is Copyright protected !!