वो झिलमिलाती रात – श्रद्धा निगम

वो जगमगाती झिलमिलाती शाम ही तो थी,सीमा उमंग और उत्साह से रजत के बेटे के जन्मदिन में जा रही थी।महीना भर पहले से ही रजत याद दिला रहा था,पहला जन्मदिन है मनु का,याद रखना।तुम्हे जल्दी आना है। सीमा हंस कर कहती -हाँ याद है मुझे,मैं कैसे भूलूंगी ,मेरा भी तो बेटा है। -हां ,तभी तो … Read more

मैं अब नहीं ज़ियूँगी !! – मीनाक्षी सिंह

सरला के पति का देहांत हो गया था !! घर वालों में जिस जिस को पता चल रहा वो अंतिम संस्कार से पहले आने की कोशिश कर रहा था !! सरला के पति प्रशांत जी अभी पिछले  साल ही तो प्रधानाध्यापक पद से सेवा निवृत्त हुए थे !! बड़े ही धूम धाम से बड़ा सा … Read more

 दलाल – विनय कुमार मिश्रा

दो जरूरतमंद लोगों को आपस में मिलाकर उनके बीच का कमीशन कमाता हूँ। दलाल शब्द मुझे अच्छा नहीं लगता मगर पेशे से दलाल ही हूँ। इसी कमीशन से मेरा घर चलता है। मोहल्ले की एक ताई को एक किराएदार चाहिए। मगर परिवार वाला। और एक परिवार को किराए पर घर चाहिए जहाँ किचकिच ना हो.. … Read more

जान की कीमत – ऋचा उनियाल बोंठियाल

उस दिन भी हमेशा की ही तरह ,मैं शाम की वॉक पर निकली थी। अभी घर से कुछ ही दूर पहुंची थी कि , “चोर–चोर ……पकड़ो–पकड़ो…..” ये शब्द सुन मैं ठिठक गई। “कहीं ये मेरा वहम तो नहीं?” सोचते हुए मैंने ज़रा ध्यान से सुनने की कोशिश की। नहीं ये मेरा वहम नहीं था, शोर … Read more

फ़ैसला – बेला पुनीवाला 

 बिना कुछ सोचे, बिना कुछ समझे हमने आप से प्यार किया। बस यही एक हमारी सब से बड़ी भूल हुई। आप ने एक बार प्यार से हाथ बढ़ाया हमारी ओर, तब भी ना कुछ सोचा, ना कुछ समझा, सब कुछ छोड़-छाड़ के हमने जीवन भर के लिए आप का हाथ थाम लिया।         पहले तो आप … Read more

तोता मैना का प्यार – डा. मधु आंधीवाल

—————– नेहा एक पाश कालोनी में किराये के फ्लैट में रहती थी ।इस कालोनी के सब परिवार ही धनाढ्य श्रेणी में आते थे । इन फ्लैट वाली कालोनियों में बस सबसे बड़ी कमी है पड़ोसी भी पड़ोसी को नहीं जानता या ना जानने का दिखावा करते हैं शायद उनका स्तर पड़ोसी के स्तर से अधिक … Read more

संकल्प – नम्रता सरन “सोना

रविवार का दिन। कल्पना ने टेबल पर नाश्ता लगा दिया था। मैथी की पूरी, अचारी आलू और गाजर का हलवा। सारा घर खूशबू से महक रहा था। “निशु, विक्की, चलो आओ! नाश्ता कर लो। पापा को भी बुलाओ। गर्म गर्म है, फटाफट खा लो, नहीं तो ठंडा हो जाएगा। मैं गरमागरम चाय बना कर लाती … Read more

ये विवाह संभव नहीं… – डॉ. सुनील शर्मा

हरीराम मास्टर जी की आंखों के आगे अंधेरा छा गया… पिछले तीन माह से बड़ी बेटी सुधा की शादी की तैयारियों में पूरा घर लगा था. ससुराल वाले ऊंचे तबके के थे. हमारा उनसे कोई मेल नहीं, लेकिन बेटी की ज़िद थी . रमेश लड़का अच्छा था. एक बैंक में असिस्टेंट मैनेजर के पद पर … Read more

विषय :अवसाद- ऋतु अग्रवाल

विधा :आलेख             जीवन निरंतर घटित हो रही घटनाओं की श्रृखंला है। जीवन में अनेक उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। जब तक जीवन की रेल गाड़ी अपने निश्चित ट्रैक पर चलती रहती है तो इंसान भी संतुलित रहकर जीवन यापन करता है पर कभी-कभी कोई ऐसी घटना या हादसा जो कि मनुष्य की कल्पना या उसकी … Read more

हारा हुआ जुआरी – निभा राजीव “निर्वी”

रंजीत बिस्तर पर बैठा गोद में लैपटॉप लिए कुछ काम कर रहा था। वहीं से उसने अनन्या को आवाज लगाकर एक प्याली चाय लाने को कहा। अनन्या ने फटाफट चाय बनाई और चाय लेकर उसके पास पहुंच गई। उसने चाय की प्याली वहीं सिरहाने वाली मेज के पास रख दी और वापस रसोई तक पहुंची … Read more

error: Content is Copyright protected !!