फ़ैसला – बेला पुनीवाला 

 बिना कुछ सोचे, बिना कुछ समझे हमने आप से प्यार किया। बस यही एक हमारी सब से बड़ी भूल हुई। आप ने एक बार प्यार से हाथ बढ़ाया हमारी ओर, तब भी ना कुछ सोचा, ना कुछ समझा, सब कुछ छोड़-छाड़ के हमने जीवन भर के लिए आप का हाथ थाम लिया। 

       पहले तो आप कहते थे, कि ” सारे ज़माने की खुशियाँ हमारे कदमो में लाकर ऱख देंगे, मगर आप ने तो अपने घर तो क्या, अपने दिल से भी हमें निकाल फेंका। “

     कुछ नहीं तो जाते-जाते इतना तो बताते जाओ, कि आख़िर आप हम से नाराज़ किस बात से हो ? आपकी नाराज़गी का मतलब हमें भी तो पता चले ?

       हमारी कौन सी गलती पे आप हम से  इतना ख़फ़ा हुए ? आख़िर बिना सोचे, समझे आपको बेशुमार प्यार करना, क्या यही मेरी गलती है ?

    मुझे आज भी याद है, ” जब कॉलेज में valantine day के दिन तुमने मुझे सब के सामने  prapose किया था और मैंने बिना कुछ सोचे, समझे तुम्हारा हाथ थाम लिया था, उस के बाद हम दोनों ने भाग के शादी कर ली, क्योंकि मेरे पापा इस शादी के खिलाफ थे। शादी के बाद हम दोनों ने जॉब शुरू कर दी थी, इसलिए एकदूसरे के लिए वक़्त बहुत कम मिलता था, फ़िर भी मैं पूरी कोशिश करती रही, कि ज़्यादा से ज़्यादा वक़्त हम एक दूसरे के साथ बिता सके, इसलिए ज़्यादातर मैं कहीं न कहीं साथ में ही जाने का प्लान किया करती। जैसे, कि साथ में शॉपिंग जाना, मूवी देखना, खाना खाना, चाय पीना, दोस्तों के साथ घूमने जाना, रात को गाने सुनना। मैंने क्या कुछ नहीं किया ?

     फिर कुछ ही दिनों के बाद वो ऑफिस के काम से कुछ दिन के लिए मुंबई चले गए, पहले तो उन्होंने बताया, कि  चार दिन में लौट आऊँगा, मगर चार दिन के बाद फ़ोन पे बताया,  और चार दिन लग जाएँगे आने में, काम बहुत ज़्यादा है। मैं यहाँ उनके आने का इंतज़ार करती रही, देखते ही देखते एक दो महीना गुज़र गया, फ़िर तो उनके फ़ोन आने भी बंद हो गए और मेरे फ़ोन का भी कोई जवाब नहीं मिलता था।



     एक दिन मैं जब ऑफिस से आई, तब मेरा सारा सामान घर के बाहर रखा हुआ था, हम तो भाड़े के घर में रहते थे और घर पे ताला भी लगा हुआ था, मेरी समझ  में कुछ नहीं आया, मुड़  के देखा तो वो पीछे खड़े हुए थे, और उसने मुझ से कहा, अब तुम यहाँ नहीं रह सकती, मैंने दूसरी शादी कर ली है। तलाक़ के कागज़ कुछ ही दिनों में तुम को मिल जाएँगे, sign कर देना। बिच रास्ते में खड़ी मैं अपने आप को लाचार और बेसहारा समझने लगी। मैं टूट के बिख़र गई ज़मींन पर, मुझे सँभालने वाला भी उस वक़्त कोई नहीं था। मैं उनको सिर्फ़ इतना ही कह पाई, कि मेरी कौन सी गलती की सजा तुम मुझे दे रहे हो? तुमने मेरे साथ ऐसा क्यों किया ? क्या कमी रह गई थी मेरे प्यार में ? मगर वो बस चुप रहा, जैसे मेरे किसी भी सवाल का उसके पास कोई जवाब नहीं था ? “

    ” या फ़िर सच कहूँ, तो उस दिन पार्टी में आपके दोस्तों के साथ हमने थोड़ा हंसी-मज़ाक कर लिया, उस बात की नाराज़गी ? या फ़िर उस रोज़ मैंने सुबह आपको टिफ़िन नहीं दिया, उस बात की नाराज़गी ? या फ़िर उस रात को मेरी तबियत ठीक ना होने पे, मैंने आपको साथ सोने पे मना किया, उस बात की नाराज़गी ? या फ़िर आपको बिना बताए, अपनी सहेली के साथ घूमने जाना, उस बात की नाराज़गी ? या फ़िर उस दिन मैंने गुस्से में आकर आपको बुरा-भला कह दिया, उस बात की नाराज़गी ? या फिर मैंने आपका घर अच्छे से नहीं सम्भाला, उस बात की नाराज़गी ? आख़िर मुझे पता तो चले, की आप किस बात से मुझ से नाराज़ हो ? “

      अगर जाने अनजाने में हम से कोई गलती हुई भी है, तो उसके लिए हम तहे दिल से आप से माफ़ी भी मांँगते है। मगर यूँही बिना कुछ बताए, हमारी ज़िंदगी से चले जाना, ये क्या बात हुई भला ?

      अब इतनी भी क्या बेरुखी हम से, तेरे लिए हमने सारा जहाँ छोड़ा और तुमने हम को ही यूँ बिच मँझधार   अकेला छोड़ दिया ?

    कुछ दिनों बाद उन्हीं के दोस्तों से मुझे पता चला, कि कॉलेज के दिनों में उन्होंने अपने दोस्तों से शर्त लगाई थी, कि ” में उन से प्यार भी करुँगी और उनके साथ भाग के शादी भी करुँगी।”

    मैं नादान थी, जो उनकी मीठी-मीठी बातों में आ गई, वो तो शर्त जीत गए लेकिन मैं तो अपने आप से ही हार गई। 

      कोई बात नहीं, ऐ बेवफा सनम, जैसे तूने मेरा दिल तोड़ा, उसी तरह तेरा भी दिल एक ना एक दिन ज़रूर टूटेगा,

      तब आप मुझे याद करना, जैसे मेरी आँखों के आँसू बहे, वैसे ही आँसू जब आपकी आँखों से बहेंगे, तब आपको पता चलेगा, ऐ बेरहम, दिल पे जब चोट लगती है, तब कैसा लगता है ?

      जैसे बहता पानी अपना रास्ता ख़ुद बना ही लेता है, वैसे अब हम भी अपना रास्ता खुद ढूँढ ही लेंगे, जितने आँसू बहाने थे, बहा लिए हम ने। भले हमने अपनी ज़िंदगी में एकबार ठोकर खाई है, मगर ये ठोकर से हम इतना तो समझ ही गए हैं, कि बिना सोचे, बिना समझे, किसी से दिल्लगी नहीं करनी चाहिए। अब ये गलती दुबारा नहीं होगी हम से।

     तो दोस्तों, आप भी शायद समझ ही गए होंगे, कि मैं  क्या कहना चाहती हूँ, कि बिना सोचे, बिना समझे, आज कल किसी पे भी भरोसा ना करे और जल्दबाज़ी में कोई भी फ़ैसला ना ले, क्योंकि इस दुनिया में प्यार करनेवाले कम और धोखा देनेवाले  लोग ज़्यादा है।

लेखिका : बेला पुनीवाला 

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