डार्लिंग!कब मिलोगी” (भाग -81)- सीमा वर्मा : Moral stories in hindi

एक और बात है नैना!

उनकी एक जवान बेटी भी जिसका नाम ‘कुसुम’ है ,वो भी उनके साथ आई है।

जब मैं कलकत्ते में राॅय साहब के साथ काम करता था उन दिनों कुसुम के साथ मेरी बहुत अच्छी दोस्ती थी।

नाटक कंपनी की सारी बागडोर इस कुसुम के हाथों में ही है। एक तरह से उसे कंपनी की मैनेजिंग डायरेक्टर कह लो।

वह अभी अविवाहित है।

यों तो बंगालियों के यहां लड़कियों का अधिक उम्र तक अविवाहित रहना  चिंता करने का कोई खास कारण नहीं होता है।

लेकिन मिस्टर राॅय ने अपने बचपन का अधिक समय बिहार प्रांत में गुजारा है।  उनके उपर वहां का गहन प्रभाव है। जिस वजह से कुसुम का अभी तक विवाह के लिए स्वीकृति नहीं देना उनकी चिंता का कारण बना हुआ है।

सुना है,  कुसुम का किसी मुस्लिम लड़के ‘जीशान’ के साथ प्रेम संबंध है।  जिसके खबर पूरी सोसायटी को है, लेकिन खुद उसके बाबा इससे अनभिज्ञ हैं ।

या जान कर भी  शायद अंजान बने रहना चाहते हैं ?

कुसुम उनकी एकमात्र संतान और उन्हें जान से अधिक प्रिय है। कुसुम चाहती है हम उसके बाबा से मिलकर  उन्हें उस लड़के ‘ जीशान ‘ के साथ शादी करने के लिए कन्विंस करें।

अगर हम किसी तरह उन्हें उन दोनों के बारे में यथास्थिति जानकारी दे कर  इस विवाह के लिए राजी कर पाए तो फिर उनकी थियेटर कंपनी के साथ हमारा आगामी  कुछ वर्षों तक अनुबंध पक्का समझो।

बहुत ध्यान से यह सब सुन रही,

नैना को  समझ में आने लगा है। शोभित उसके लिए कुछ भी कर सकता है।

और ये भी कि जो वह हिमांशु में ढूंढती है, शोभित उसमें ढूंढ़ता है।

शोभित ने अपने बर्ताव से नैना के दिल में बहुत पहले से ही खास जगह बना ली थी… अब उसने उसकी जिंदगी में एक खास दोस्त की जगह बना ली है ,

जिसे वो भले ही प्यार नहीं करती, लेकिन  उसकी भावनाओं की बेइंतहा कद्र करती है।

साथ ही वह शोभित की भावनाओं पर अपनी पसंद- नापसंद की हदें नहीं लगाती है।

आज भी उसके मन में यह सब सुनकर खलबली मची हुई है।

प्रकटत: वह  सचेत हो कर बैठ गई और संयत स्वर  में  ,

” शोभित!

अगर तुम्हें ऐसा करना उचित लगता है तब मैं तैयार हूं।

चलो इसी बहाने कुसुम और उसके बाबा से मुलाकात भी हो जाएगी एवं शायद हमें अनुबंध पर साइन करने का सुअवसर भी प्राप्त हो जाए

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