डार्लिंग!कब मिलोगी” (भाग -85)- सीमा वर्मा : Moral stories in hindi

वे गमगीन दिख रहे थे।

जैसे खुद से प्रलाप कर रहे हों,

” कुसुम जरूर अपनी जवानी की रुमानियत, आइडियलिज्म, उस मुसलमान लड़के जीशान के साथ मुहब्बत या जो भी कुछ है। मुझसे झूठ बोल कर उससे मिलने जाती होगी “

“और शायद एक साथ एक ही जगह रही भी होगी । लेकिन मुझे इतना  विश्वास है। उसने वैसी गलत हरकत कभी भी नहीं की होगी जिससे मेरी और उसकी इज्जत पर किसी तरह की आंच आए “

सहसा नैना, जो काफी देर से उन्हें सुन रही थी ,

उन्हें बीच में टोक पड़ी ,

“राॅय बाबू , लेकिन इतना विश्वास वो किस बिना पर ? “

वे हठात रुक कर उसके बेहद करीब आ कर,

” वो इस बिना पर कि …  सुनो लड़की! तुम कितने दिनों से घर से बाहर रह रही हो ?

“करीब छह- सात सालों से”

“फिर तुम्हारे पिता को भी तो इतना विश्वास होगा ही कि तुमने ऐसी- वैसी कोई हरकत नहीं की होगी जो तुम्हें नहीं करनी चाहिये  ?’

सीधे खड़े हो गए।

” अब आप क्या करेंगे ?” उसने धीमी आवाज में पूछा।

” कुसुम और जीशान को शादी करने की इजाजत देंगे या ‘धर्म’ उन दोनों के आड़े आएगा ? “

राॅय बाबू पीछे हट गये अपनी आराम कुर्सी पर बैठ कर मुस्कुराए।

“सब कुछ आज और अभी भी जान लोगी ? चलो पहले लंच लेते हैं

तब तक शायद कुसुम भी वापस आ जाए। “

“तुम उससे मिली भी नहीं हो,

क्या मालूम ? उसके विवाह के यज्ञ तैयारी और सम्पन्न होना तुम्हारे ही हाथों से लिखा हो ?

अभी तो हमें बहुत आगे साथ-साथ काम करना है “

वह हंसी एक अजीब-सी उदास सी हंसी जो शायद माहौल के अनुकूल नहीं थी।  

दृष्टि स्थिर कर गर्दन हिलाती हुई –

” नहीं, नहीं … आपने समझा नहीं शायद ,

पानी में छोड़ दिए जाने मात्र से ही कोई तैरना नहीं सीख सकता।

तैरना सीखने के लिए पहले नदी में गिरना होता है, फिर धार के साथ- साथ बहना होता है।

लेकिन जो समुद्र में गिरता है उसके लिए कोई राह नहीं, पार नहीं एवं किनारा भी नहीं। इसलिए मेरी बात छोड़िए सर !

राॅय बाबू ने हंस कर कहा –

” मैं भाग्य नहीं मानता लेकिन जीवन में घट रही घटनाओं से लगता है।  भाग्य चाहे हो ना हो ?

‘ समय ‘ बहुत बलवान होता है “

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