हौसलों की उड़ान ( भाग 3) – अर्चना सक्सेना : Moral stories in hindi

moral stories in hindi : “दीदी मेरे हिसाब से आपको सेल्फ डिफेंस सीखना ही चाहिए।” “हुँह कौन सिखायेगा मुझे? बताया न कहकर देख चुकी हूँ मम्मी से। पापा तैयार थे पर मम्मी नहीं मान रहीं, जरूर नानी ने भी मना किया होगा।” “ये तो ठीक कह रही हो दीदी, चलो टेंशन मत लो सोचते हैं … Read more

हौसलों की उड़ान ( भाग 2) – अर्चना सक्सेना : Moral stories in hindi

moral stories in hindi : जब क्रोध शांत नहीं हुआ तो बड़ी बेटी जया को फोन लगा दिया सावित्री ने और घर में हुयी सारी बात मिर्च मसाला लगाकर सुना दी। छोटी बेटी उर्मि तो भाई भाभी की ही सगी है, वे कुछ कहती भी हैं तो उल्टा उन्हें ही समझाने लगती है पर ये … Read more

हौसलों की उड़ान ( भाग 1) – अर्चना सक्सेना : Moral stories in hindi

moral stories in hindi : “बहुत सिर पर चढ़ाकर रखती है तू अपनी बेटी को! देखना बहू पछतायेगी किसी दिन, जब खानदान का नाम डुबोयेगी तेरी ये लाड़ली! अरे लड़की जात है, पराये घर जाना है, लड़की को यूँ सिर पे नचाना ठीक नहीं होता। हमारी भी बेटियाँ पढ़ने जाती थीं, मजाल है मोहल्ले भर … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 39) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

अचानक कमरे की लाइट ऑन हुई और ऑंखों पर पड़े इस प्रकाश ने विनया की ऑंखें बंद कर दी और वो चीख कर डगमगा गई, डगमगाते ही उसने खुद को बलिष्ठ हाथों में पाया। “तुम डरती भी हो, मुझे तो लगा था केवल डराती हो।” मनीष विनया को बाॉंहों में लिए उसकी कजरारी नैनों में … Read more

तलाक -रिश्ते का अंत,या फिर से शुरुआत (भाग 2)- रचना कंडवाल

वो धीरे से बोला कि सब कुछ तो तुम ले गयी नींद,चैन,खुशी सब कुछ। अच्छा चलती हूं। मयंक ने कहा थोड़ी देर बैठ सकती हो?  आस्था उसे देख रही थी,कि जब से वो आयी थी मयंक ने एक बार भी उस से नजरें नहीं हटायी थी। वो बीमार सा लग रहा था वो बैठ गई … Read more

तलाक -रिश्ते का अंत,या फिर से शुरुआत (भाग 1)- रचना कंडवाल

आस्था कोर्ट से वापस लौटी तो बहुत उदास थी आज कागज के एक टुकड़े पर एक साइन ने उसे और मयंक को हमेशा के लिए लिए अलग कर दिया था।थके कदमों से अपने कमरे में जाकर बेड पर बैठ गई। भैय्या और मां भी उसके पीछे पीछे आ गये। मां तो खामोश थीं, पर भैय्या … Read more

गृहप्रवेश (भाग 5) – मंजरी त्रिपाठी

नहीं नताशा ऐसी कोई बात नहीं है।मुझे तुम्हारे भाई की सगाई से भला क्या दिक्कत हो सकती है।मुझे ना खुशी है और ना ही कोई दुख। अरे आप ऐसे कैसे बोल रहे हैं….कोई बात हुई है क्या??मिहिर की बात सुनकर नताशा चोंकते हुये बोली। कोई बात नहीं हुई नताशा बस मैं आश्चर्यचकित हूँ कि तुम … Read more

गृहप्रवेश (भाग 4) – मंजरी त्रिपाठी

नताशा और मिहिर अपनी नई गृहस्थी में प्रसन्न थे।और अब तो नताशा कतई चिंतामुक्त थी।उसे अब कोई भय नहीं था मिहिर की तरफ से,वो अपनी माँ को भी सारा घटनाचक्र बताती रहती है और उनके दिशानिर्देश पर चलते हुये ही मिहिर के साथ अपनी नई और अलग गृहस्थी बनाने में सफल हो पाई थी। उधर … Read more

गृहप्रवेश (भाग 3) – मंजरी त्रिपाठी

आज नताशा मिहिर और माधव को गये दो दिन हो गये।जानकी जी कई बार दौनो के कमरे में जाती और सूना कमरा देख कर सीने पे हाथ रखे बाहर आ जातीं।जगदीश जी से उनकी हालत नहीं देखी जाती।वो बार बार समझाते कि देखो जानकी चिड़िया और चिड़ा बहुत मेहनत और लगन से घौंसला बनाते हैं … Read more

गृहप्रवेश (भाग 2) – मंजरी त्रिपाठी

अब बहुत हो गया,अब मेरा इस घर में गुजारा मुश्किल है।आप मुझे एक कमरा लेकर दे दो मैं रह लूंगी पर अब इस घर में नहीं रह सकती,लगभग झुंझलाते हुये नताशा मिहिर से बोली। अभी तीन वर्ष पहले ही इस घर में दुल्हन बन कर आई नताशा एक बेटे की माँ बन चुकी थी,पति मिहिर … Read more

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