अनजाने रास्ते (भाग-9) – अंशु श्री सक्सेना : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : फिर उसका ध्यान वैदेही पर गया। वह नीलिमा जी से पूछ रही थी, “आपने वसु की कोई तस्वीर बाहर क्यों नहीं रखी है? दराज़ में, अल्बम में क्यों ?” “बेटा, कुहू की वजह से…वह इतनी छोटी है कि वह अपनी माँ को देखने और मिलने के लिए ज़िद करेगी…अभी उसको … Read more

अनजाने रास्ते (भाग-8) – अंशु श्री सक्सेना : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : घर की बालकनी में सूरज रोज़ हाज़िरी बजा रहा था और चाँद भी गाहे बगाहे वैदेही का हाल चाल लेने आ जाया करता था। ख़ाला की बेटी नजमा ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के एम.ए. पॉलिटिकल साइंस में प्रवेश ले लिया और वह अक्सर सप्ताहांत पर अयान और वैदेही के घर आ … Read more

अनजाने रास्ते (भाग-7) – अंशु श्री सक्सेना : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : लगभग दस बाद अयान वह ख़ुशख़बरी लेकर आया जिसका वैदेही को बेसब्री से इंतज़ार था। ख़ाला के देवर ने दिल्ली से बुलावा भेजा था। वैदेही दिल्ली जाने की तैयारियों में जी जान से जुट गई। अयान की अम्मी इस बात से दुखी थीं कि वैदेही के कारण अयान को भी … Read more

अनजाने रास्ते (भाग-6) – अंशु श्री सक्सेना : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : वैदेही ने जब घर का दरवाज़ा खटखटाया तो एक बूढ़े व्यक्ति ने दरवाज़ा खोला और काँपती सी रूखी आवाज़ में पूछा, “कहो, किससे मिलना है ?” “जी, वो….वो अयान यहीं रहते हैं क्या…अयान मलिक” “हाँ, यहीं रहत हैं…तनिक ठहरो हम बुलात हैं” बूढ़े ने कहा और भीतर चला गया। पलक … Read more

अनजाने रास्ते (भाग-5) – अंशु श्री सक्सेना : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : घर से बाहर क़दम रखते हुए वह एक पल को ठिठकी। इस घर में बिताए बाइस वर्ष उस एक पल में सिमट गये। उसकी सारी आकांक्षाएँ, इच्छाएँ पलक झपकते ही पूरी करते पापा, लाड़ दुलार से पापा के कंधों पर झूलती वो, उसकी चोटी खींचकर चिढ़ाते अमित भैया, उसके छुपने … Read more

अनजाने रास्ते (भाग-4) – अंशु श्री सक्सेना : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : रक्षाबंधन का दिन था। अमित भैया ने पापा के समक्ष अपनी लाडली बहन को फ़िल्म दिखाने का प्रस्ताव रखा और बोले, “पापा, आज मैं और वैदेही फ़िल्म देख आते हैं और डिनर भी बाहर करके लौटेंगे” वैदेही का मुरझाया चेहरा देखकर पापा ने सहर्ष अनुमति दे दी।पिक्चर हॉल में पहुँचने … Read more

समाज सेवा – विभा गुप्ता: hindi stories with moral

hindi stories with moral :   ” माँ…मेरे आईएएस बनने की खुशी में मेरी सहेलियाँ मुझे किसी बड़े रेस्ट्रां में पार्टी देने के लिये कह रहीं हैं।मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है…क्या करुँ…पार्टी दूँ या मना कर दूँ….।” अपना हैंडबैग टेबल पर रखती हुई दीपा ने अपनी माँ से पूछा जो रसोई में बेटी के … Read more

किसी से ना कहिएगा – लतिका श्रीवास्तव: hindi stories with moral

hindi stories with moral : रमेश जी आप ही बताइए मैने ऐसा क्या  कहा जो मोहन जी मुझ पर बिगड़ने लग गए कल मैंने उनके बारे में सोसाइटी की मीटिंग में कोई बुराई नही की थी फिर भी वह ऐसा क्यों सोच रहे हैं !! हां हां मैं भी यही सोच रहा था राधेश्याम जी … Read more

विधवा नहीं सधवा – प्रीति सक्सेना

मैं सुधा!! एक नई नवेली दुल्हन  !! पर मैं न तो शरमा रही हूं न ही लाज से मेरी आंखें बोझिल हो रही हैं, मैं सोच में डूबी हूं…. क्यों डूबी हूं ? क्या वजह है मेरे सोचने की? उसके लिए मुझे दो वर्ष पीछे की स्मृतियों में जाना पड़ेगा और अपने अतीत को बाहर … Read more

घर अब घर लगता है – संगीता अग्रवाल : hindi stories with moral

hindi stories with moral : ” क्या बात है नीलेश इतना उदास क्यो लग रहा है ?” अतुल जो नीलेश का सहकर्मी और दोस्त दोनो था उसकी सीट पर आ पूछने लगा। ” क्या बताऊं यार परेशान हो गया हूँ मैं अपनी जिंदगी से !” नीलेश दुखी स्वर मे बोला। ” अरे मेरे भाई अभी … Read more

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