भैरवी (आखिरी भाग ) – अंशु श्री सक्सेना : Moral Stories in Hindi

“मैडम जी, कोई मल्हार नाम के सज्जन आपसे मिलना चाहते हैं. मैंने उनसे कहा भी कि हमारी मैडम इतनी रात गये किसी से नहीं मिलतीं परन्तु वे यहाँ से जाने को तैयार ही नहीं हैं, कह रहे हैं कि मैडम से बिना मिले नहीं जाऊँगा” “ठीक है, अन्दर आने दो उन्हें” कहकर भैरवी ने फ़ोन … Read more

भैरवी (भाग 5) – अंशु श्री सक्सेना : Moral Stories in Hindi

कार्यक्रम का आरम्भ दीप प्रज्ज्वलित कर होना था अत: आयोजकों ने भैरवी को दीप प्रज्ज्वलित करने के लिए स्टेज पर आमंत्रित किया. जब भैरवी स्टेज पर चढ़ी तब मल्हार की नज़रों से उसकी आँखें जा मिलीं. मल्हार की आँखों में आश्चर्य व प्रसन्नता के मिलेजुले से भाव उभरे और वह बोल पड़ा, “अरे तुम…म..म…मेरा मतलब … Read more

भैरवी (भाग 4) – अंशु श्री सक्सेना : Moral Stories in Hindi

“पर मैं तो तुझे ज़िन्दगी भर नहीं भूलूँगा, ब्याह करूँगा तो सिर्फ़ तुझसे” मल्हार ने अपनी हथेलियों में उसका चेहरा लेते हुए कहा था. “चल झूठे”  कहते हुए भैरवी ने शरारत से अपना मुँह बिचकाया था और फिर न जाने क्या सोचकर उसने उचकते हुए मल्हार के कपोलों पर अपने प्रेम की नन्ही सी मुहर … Read more

भैरवी (भाग 3) – अंशु श्री सक्सेना : Moral Stories in Hindi

इसी बीच बलदेव सिंह का अचानक ही सड़क दुर्घटना में देहांत हो गया. पिता के देहांत पर जब भैरवी गाँव आई तो उसे अपनी बचपन की सहेली से पता चला कि मल्हार का परिवार गाँव छोड़ कर राजस्थान चला गया है, जहाँ के कण कण में लोकसंगीत बसा है. मल्हार के परिवार को वहाँ बहुत … Read more

भैरवी (भाग 2 ) – अंशु श्री सक्सेना : Moral Stories in Hindi

अब संगीत की कक्षा में दोनों एक साथ बैठने से कतराते, एक दूसरे से नज़रें मिलते ही आँखों ही आँखों में मुस्कुराते और गंगा किनारे की रेती पर बैठ, भविष्य के सपने बुनते. उन सपनों के धागे कभी चाँदी से रुपहले होते तो कभी सोने से सुनहरे. वे अपने सपनों की चादर में अपने अरमानों … Read more

भैरवी (भाग 1 ) – अंशु श्री सक्सेना : Moral Stories in Hindi

कमरे में पंखा फुलस्पीड पर चल रहा था. लखनऊ में वैसे भी अप्रैल आते आते अच्छी ख़ासी गर्मी पड़ने लगती है. मेज़ पर रखी “मिस भैरवी सिंह, ज़िलाधिकारी” की नेमप्लेट के नीचे दबे लिफ़ाफ़े से झाँकते फड़फड़ाते गुलाबी काग़ज़ पर भैरवी की नज़रें टिकी थीं. कागज़ पर लिखे सुनहरे रंग के शब्द दूर से ही … Read more

अनजाने रास्ते (भाग-11) – अंशु श्री सक्सेना : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : बीतते समय के साथ वैदेही की प्रेगनेन्सी को लेकर यूनिवर्सिटी कैम्पस में तरह तरह की चर्चाएँ होने लगीं। साथी लेक्चरार और रीडर्स की तिरस्कार भरी बींधती निगाहें और व्यंग्यात्मक परिहास वैदेही का कलेजा छलनी कर जाते । छात्र छात्राएँ उसे मुड़ मुड़ कर देखते और मुँह फेर कर हँसते। परन्तु … Read more

अनजाने रास्ते (भाग-10) – अंशु श्री सक्सेना : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : अयान के जाने के बाद वैदेही बिलकुल टूट गई। बार बार उसकी आँखों के सामने वही दृश्य घूम जाता, अस्तव्यस्त हालत में अयान और नजमा…नजमा का बेशर्मी से हँसना, उसकी अलमारी के बिखरे कपड़े…। वह डिपार्टमेंट क्लास लेने जाती और घर वापस आकर चुपचाप बिना खाये पिये पड़ जाती। डिपार्टमेंट … Read more

अनजाने रास्ते (भाग-9) – अंशु श्री सक्सेना : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : फिर उसका ध्यान वैदेही पर गया। वह नीलिमा जी से पूछ रही थी, “आपने वसु की कोई तस्वीर बाहर क्यों नहीं रखी है? दराज़ में, अल्बम में क्यों ?” “बेटा, कुहू की वजह से…वह इतनी छोटी है कि वह अपनी माँ को देखने और मिलने के लिए ज़िद करेगी…अभी उसको … Read more

अनजाने रास्ते (भाग-8) – अंशु श्री सक्सेना : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : घर की बालकनी में सूरज रोज़ हाज़िरी बजा रहा था और चाँद भी गाहे बगाहे वैदेही का हाल चाल लेने आ जाया करता था। ख़ाला की बेटी नजमा ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के एम.ए. पॉलिटिकल साइंस में प्रवेश ले लिया और वह अक्सर सप्ताहांत पर अयान और वैदेही के घर आ … Read more

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