उम्मीद का दीया – शकुंतला अग्रवाल ‘शकुन’
प्राची से लालिमा प्रस्फुटित हो जैसे ही वसुधा को चूमने लगती है, प्रकृति विभोर हो झूमने लगती है। उषा-काल की प्रथम किरण को अपने आगोश में समेटने का हेतल का नियम ही था। ऐसा कोई दिन नहीं निकलता था जब उसने सूर्योदय की पहली किरण का आचमन नहीं किया हो। शायद कोई किरण उसके … Read more